पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
नीतिवचन
1. {#1बुद्धि का मूल्य } [QS]मेरे पुत्र, यदि तुम मेरे वचन स्वीकार करो [QE][QS2]और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में संचित कर रखो, [QE]
2. [QS]यदि अपने कानों को ज्ञान के प्रति चैतन्य [QE][QS2]तथा अपने हृदय को समझदारी की ओर लगाए रखो; [QE]
3. [QS]वस्तुतः यदि तुम समझ को आह्वान करो [QE][QS2]और समझ को उच्च स्वर में पुकारो, [QE]
4. [QS]यदि तुम इसकी खोज उसी रीति से करो [QE][QS2]जैसी चांदी के लिए की जाती है और इसे एक गुप्‍त निधि मानते हुए खोजते रहो, [QE]
5. [QS]तब तुम्हें ज्ञात हो जाएगा कि याहवेह के प्रति श्रद्धा क्या होती है, [QE][QS2]तब तुम्हें परमेश्वर का ज्ञान प्राप्‍त हो जाएगा. [QE]
6. [QS]क्योंकि ज्ञान को देनेवाला याहवेह ही हैं; [QE][QS2]उन्हीं के मुख से ज्ञान और समझ की बातें बोली जाती हैं. [QE]
7. [QS]खरे के लिए वह यथार्थ ज्ञान आरक्षित रखते हैं, [QE][QS2]उनके लिए वह ढाल प्रमाणित होते हैं, जिनका चालचलन निर्दोष है, [QE]
8. [QS]वह बिना पक्षपात न्याय प्रणाली की सुरक्षा बनाए रखते हैं [QE][QS2]तथा उनकी दृष्टि उनके संतों के चालचलन पर लगी रहती है. [QE][PBR]
9. [QS]मेरे पुत्र, तब तुम्हें धर्मी, बिना पक्षपात न्याय, [QE][QS2]हर एक सन्मार्ग और औचित्य की पहचान हो जाएगी. [QE]
10. [QS]क्योंकि तब ज्ञान तुम्हारे हृदय में आ बसेगा, [QE][QS2]ज्ञान तुम्हारी आत्मा में आनंद का संचार करेगा. [QE]
11. [QS]निर्णय-ज्ञान तुम्हारी चौकसी करेगा, [QE][QS2]समझदारी में तुम्हारी सुरक्षा होगी. [QE][PBR]
12. [QS]ये तुम्हें बुराई के मार्ग से और ऐसे व्यक्तियों से बचा लेंगे, [QE][QS2]जिनकी बातें कुटिल है, [QE]
13. [QS]जो अंधकारपूर्ण जीवनशैली को अपनाने के लिए [QE][QS2]खराई के चालचलन को छोड़ देते हैं, [QE]
14. [QS]जिन्हें कुकृत्यों [QE][QS2]तथा बुराई की भ्रष्टता में आनंद आता है, [QE]
15. [QS]जिनके व्यवहार ही कुटिल हैं [QE][QS2]जो बिगड़े मार्ग पर चालचलन करते हैं. [QE][PBR]
16. [QS]तब ज्ञान तुम्हें अनाचरणीय स्त्री से, उस अन्य पुरुषगामिनी से, [QE][QS2]जिसकी बातें मीठी हैं, सुरक्षित रखेगी, [QE]
17. [QS]जिसने युवावस्था के साथी का परित्याग कर दिया है [QE][QS2]जो परमेश्वर के समक्ष की गई वाचा को भूल जाती है. [QE]
18. [QS]उसका घर-परिवार मृत्यु के गर्त में समाता जा रहा है, [QE][QS2]उसके पांव अधोलोक की राह पर हैं. [QE]
19. [QS]जो कोई उसके पास गया, वह लौटकर कभी न आ सकता, [QE][QS2]और न उनमें से कोई पुनः जीवन मार्ग पा सकता है. [QE][PBR]
20. [QS]मेरे पुत्र, ज्ञान तुम्हें भलाई के मार्ग पर ले जाएगा [QE][QS2]और तुम्हें धर्मियों के मार्ग पर स्थिर रखेगा. [QE]
21. [QS]धर्मियों को ही देश प्राप्‍त होगा, [QE][QS2]और वे, जो धर्मी हैं, इसमें बने रहेंगे; [QE]
22. [QS]किंतु दुर्जनों को देश से निकाला जाएगा [QE][QS2]तथा धोखेबाज को समूल नष्ट कर दिया जाएगा. [QE]
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बुद्धि का मूल्य 1 मेरे पुत्र, यदि तुम मेरे वचन स्वीकार करो और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में संचित कर रखो, 2 यदि अपने कानों को ज्ञान के प्रति चैतन्य तथा अपने हृदय को समझदारी की ओर लगाए रखो; 3 वस्तुतः यदि तुम समझ को आह्वान करो और समझ को उच्च स्वर में पुकारो, 4 यदि तुम इसकी खोज उसी रीति से करो जैसी चांदी के लिए की जाती है और इसे एक गुप्‍त निधि मानते हुए खोजते रहो, 5 तब तुम्हें ज्ञात हो जाएगा कि याहवेह के प्रति श्रद्धा क्या होती है, तब तुम्हें परमेश्वर का ज्ञान प्राप्‍त हो जाएगा. 6 क्योंकि ज्ञान को देनेवाला याहवेह ही हैं; उन्हीं के मुख से ज्ञान और समझ की बातें बोली जाती हैं. 7 खरे के लिए वह यथार्थ ज्ञान आरक्षित रखते हैं, उनके लिए वह ढाल प्रमाणित होते हैं, जिनका चालचलन निर्दोष है, 8 वह बिना पक्षपात न्याय प्रणाली की सुरक्षा बनाए रखते हैं तथा उनकी दृष्टि उनके संतों के चालचलन पर लगी रहती है. 9 मेरे पुत्र, तब तुम्हें धर्मी, बिना पक्षपात न्याय, हर एक सन्मार्ग और औचित्य की पहचान हो जाएगी. 10 क्योंकि तब ज्ञान तुम्हारे हृदय में आ बसेगा, ज्ञान तुम्हारी आत्मा में आनंद का संचार करेगा. 11 निर्णय-ज्ञान तुम्हारी चौकसी करेगा, समझदारी में तुम्हारी सुरक्षा होगी. 12 ये तुम्हें बुराई के मार्ग से और ऐसे व्यक्तियों से बचा लेंगे, जिनकी बातें कुटिल है, 13 जो अंधकारपूर्ण जीवनशैली को अपनाने के लिए खराई के चालचलन को छोड़ देते हैं, 14 जिन्हें कुकृत्यों तथा बुराई की भ्रष्टता में आनंद आता है, 15 जिनके व्यवहार ही कुटिल हैं जो बिगड़े मार्ग पर चालचलन करते हैं. 16 तब ज्ञान तुम्हें अनाचरणीय स्त्री से, उस अन्य पुरुषगामिनी से, जिसकी बातें मीठी हैं, सुरक्षित रखेगी, 17 जिसने युवावस्था के साथी का परित्याग कर दिया है जो परमेश्वर के समक्ष की गई वाचा को भूल जाती है. 18 उसका घर-परिवार मृत्यु के गर्त में समाता जा रहा है, उसके पांव अधोलोक की राह पर हैं. 19 जो कोई उसके पास गया, वह लौटकर कभी न आ सकता, और न उनमें से कोई पुनः जीवन मार्ग पा सकता है. 20 मेरे पुत्र, ज्ञान तुम्हें भलाई के मार्ग पर ले जाएगा और तुम्हें धर्मियों के मार्ग पर स्थिर रखेगा. 21 धर्मियों को ही देश प्राप्‍त होगा, और वे, जो धर्मी हैं, इसमें बने रहेंगे; 22 किंतु दुर्जनों को देश से निकाला जाएगा तथा धोखेबाज को समूल नष्ट कर दिया जाएगा.
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