पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
1. [QS]विशाल निधि से कहीं अधिक योग्य है अच्छा नाम; [QE][QS2]तथा स्वर्ण और चांदी से श्रेष्ठ है आदर सम्मान! [QE][PBR]
2. [QS]सम्पन्‍न और निर्धन के विषय में एक समता है: [QE][QS2]दोनों ही के सृजनहार याहवेह ही हैं. [QE][PBR]
3. [QS]चतुर व्यक्ति जोखिम को देखकर छिप जाता है, [QE][QS2]किंतु अज्ञानी आगे ही बढ़ता जाता है और यातना सहता है. [QE][PBR]
4. [QS]विनम्रता तथा याहवेह के प्रति श्रद्धा का प्रतिफल होता है; [QE][QS2]धन संपदा, सम्मान और जीवन. [QE][PBR]
5. [QS]कुटिल व्यक्ति के मार्ग पर बिछे रहते हैं कांटे और फंदे, [QE][QS2]किंतु जो कोई अपने जीवन के प्रति सावधान रहता है, स्वयं को इन सबसे दूर ही दूर रखता है. [QE][PBR]
6. [QS]अपनी संतान को उसी जीवनशैली के लिए तैयार कर लो, [QE][QS2]जो सुसंगत है, वृद्ध होने पर भी वह इससे भटकेगा नहीं. [QE][PBR]
7. [QS]निर्धन पर धनाढ्य अधिकार कर लेता है, [QE][QS2]तथा ऋणी महाजन का दास होकर रह जाता है. [QE][PBR]
8. [QS]जो कोई अन्याय का बीजारोपण करता है, विपत्ति की उपज एकत्र करता है, [QE][QS2]तब उसके क्रोध की लाठी भी विफल सिद्ध होती है. [QE][PBR]
9. [QS]उदार व्यक्ति धन्य रहेगा, [QE][QS2]क्योंकि वह निर्धन को अपने भोजन में सहभागी कर लेता है. [QE][PBR]
10. [QS]यदि छिछोरे और ठट्ठा करनेवाले को सभा से बाहर कर दिया जाए; [QE][QS2]तो विवाद, कलह और परनिंदा सभी समाप्‍त हो जाएंगे. [QE][PBR]
11. [QS]जिन्हें निर्मल हृदय की महत्ता ज्ञात है, जिनकी बातें मधुर हैं, [QE][QS2]वे राजा के प्रिय पात्र हो जाएंगे. [QE][PBR]
12. [QS]याहवेह की दृष्टि ज्ञान की रक्षा करती है, [QE][QS2]किंतु वह कृतघ्न और विश्वासघाती के वक्तव्य को मिटा देते हैं. [QE][PBR]
13. [QS]आलसी कहता है, “बाहर सिंह है! [QE][QS2]बाहर सड़क पर जाने पर मेरी मृत्यु निश्चित है!” [QE][PBR]
14. [QS]चरित्रहीन स्त्री का मुख गहरे गड्ढे-समान है; [QE][QS2]याहवेह द्वारा शापित व्यक्ति ही इसमें जा गिरता है. [QE][PBR]
15. [QS]बालक की प्रकृति में ही मूर्खता बंधी रहती है, [QE][QS2]अनुशासन की छड़ी से ही यह उससे दूर की जाती है. [QE][PBR]
16. [QS]जो अपनी संपत्ति में वृद्धि पाने के उद्देश्य से निर्धन पर अंधेर करने, [QE][QS2]तथा धनाढ्य को उपहार देने का परिणाम होता है; निर्धनता! [QE]
17. {#3तीस ज्ञान सूत्र }{#2पहला सूत्र } [QS]अत्यंत ध्यानपूर्वक बुद्धिमानों का प्रवचन सुनो; [QE][QS2]और मेरे ज्ञान की बातों को मन में बसा लो, [QE]
18. [QS]क्योंकि यह करना तुम्हारे लिए सुखदायी होगा, [QE][QS2]यदि ये तुम्हारे मन में बसे हुए होंगे, यदि ये सभी तुम्हें मुखाग्र होंगे. [QE]
19. [QS]मैं यह सब तुम पर, विशेष रूप से [QE][QS2]तुम पर इसलिये प्रकट कर रहा हूं, कि तुम्हारा भरोसा याहवेह पर अटल रहे; [QE]
20. [QS]विचार करो, क्या मैंने परामर्श [QE][QS2]तथा ज्ञान के ये तीस नीति सूत्र इस उद्देश्य से नहीं लिखे कि [QE]
21. [QS]तुम्हें यह बोध रहे कि सुसंगत और सत्य क्या है, [QE][QS2]और तुम अपने प्रेषकों को उपयुक्त उत्तर दे सको? [QE]
22. {#2दूसरा सूत्र } [QS]किसी निर्धन को इसलिये लूटने न लगो, कि वह निर्धन है, [QE][QS2]वैसे ही किसी पीड़ित को न्यायालय ले जाकर गुनहगार न बनाना, [QE]
23. [QS]क्योंकि याहवेह पीड़ित के पक्ष में खड़े होंगे, [QE][QS2]और उनके प्राण का बदला लेंगे. [QE]
24. {#2तीसरा सूत्र } [QS]किसी क्रोधी व्यक्ति को मित्र न बनाना, [QE][QS2]और न किसी शीघ्र क्रोधी व्यक्ति के किसी कार्य में सहयोगी बनना. [QE]
25. [QS]कहीं ऐसा न हो कि तुम भी उसी के समान बन जाओ [QE][QS2]और स्वयं किसी फंदे में जा फंसो. [QE]
26. {#2चौथा सूत्र } [QS]तुम उनके जैसे न बनना, जो किसी की ज़मानत लेते हैं, [QE][QS2]जो किसी ऋणी के ऋण का दायित्व लेते हैं. [QE]
27. [QS]यदि तुम्हारे पास भुगतान करने के लिए कुछ नहीं है, [QE][QS2]तो साहूकार तो तुमसे तुम्हारा बिछौना छीन लेगा. [QE]
28. {#2पांचवां सूत्र } [QS]अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित [QE][QS2]सीमा-चिन्हों को तुम कभी न हटाना. [QE]
29. {#2छठा सूत्र } [QS]क्या आप किसी को अपने काम में कुशल दिखते हैं? [QE][QS2]उस व्यक्ति का स्थान राजा की उपस्थिति में है; [QE][QS2]वे नीचे श्रेणी के अधिकारियों के सामने सेवा नहीं करेंगे. [QE]
Total 31 अध्याय, Selected अध्याय 22 / 31
1 विशाल निधि से कहीं अधिक योग्य है अच्छा नाम; तथा स्वर्ण और चांदी से श्रेष्ठ है आदर सम्मान! 2 सम्पन्‍न और निर्धन के विषय में एक समता है: दोनों ही के सृजनहार याहवेह ही हैं. 3 चतुर व्यक्ति जोखिम को देखकर छिप जाता है, किंतु अज्ञानी आगे ही बढ़ता जाता है और यातना सहता है. 4 विनम्रता तथा याहवेह के प्रति श्रद्धा का प्रतिफल होता है; धन संपदा, सम्मान और जीवन. 5 कुटिल व्यक्ति के मार्ग पर बिछे रहते हैं कांटे और फंदे, किंतु जो कोई अपने जीवन के प्रति सावधान रहता है, स्वयं को इन सबसे दूर ही दूर रखता है. 6 अपनी संतान को उसी जीवनशैली के लिए तैयार कर लो, जो सुसंगत है, वृद्ध होने पर भी वह इससे भटकेगा नहीं. 7 निर्धन पर धनाढ्य अधिकार कर लेता है, तथा ऋणी महाजन का दास होकर रह जाता है. 8 जो कोई अन्याय का बीजारोपण करता है, विपत्ति की उपज एकत्र करता है, तब उसके क्रोध की लाठी भी विफल सिद्ध होती है. 9 उदार व्यक्ति धन्य रहेगा, क्योंकि वह निर्धन को अपने भोजन में सहभागी कर लेता है. 10 यदि छिछोरे और ठट्ठा करनेवाले को सभा से बाहर कर दिया जाए; तो विवाद, कलह और परनिंदा सभी समाप्‍त हो जाएंगे. 11 जिन्हें निर्मल हृदय की महत्ता ज्ञात है, जिनकी बातें मधुर हैं, वे राजा के प्रिय पात्र हो जाएंगे. 12 याहवेह की दृष्टि ज्ञान की रक्षा करती है, किंतु वह कृतघ्न और विश्वासघाती के वक्तव्य को मिटा देते हैं. 13 आलसी कहता है, “बाहर सिंह है! बाहर सड़क पर जाने पर मेरी मृत्यु निश्चित है!” 14 चरित्रहीन स्त्री का मुख गहरे गड्ढे-समान है; याहवेह द्वारा शापित व्यक्ति ही इसमें जा गिरता है. 15 बालक की प्रकृति में ही मूर्खता बंधी रहती है, अनुशासन की छड़ी से ही यह उससे दूर की जाती है. 16 जो अपनी संपत्ति में वृद्धि पाने के उद्देश्य से निर्धन पर अंधेर करने, तथा धनाढ्य को उपहार देने का परिणाम होता है; निर्धनता! तीस ज्ञान सूत्र पहला सूत्र 17 अत्यंत ध्यानपूर्वक बुद्धिमानों का प्रवचन सुनो; और मेरे ज्ञान की बातों को मन में बसा लो, 18 क्योंकि यह करना तुम्हारे लिए सुखदायी होगा, यदि ये तुम्हारे मन में बसे हुए होंगे, यदि ये सभी तुम्हें मुखाग्र होंगे. 19 मैं यह सब तुम पर, विशेष रूप से तुम पर इसलिये प्रकट कर रहा हूं, कि तुम्हारा भरोसा याहवेह पर अटल रहे; 20 विचार करो, क्या मैंने परामर्श तथा ज्ञान के ये तीस नीति सूत्र इस उद्देश्य से नहीं लिखे कि 21 तुम्हें यह बोध रहे कि सुसंगत और सत्य क्या है, और तुम अपने प्रेषकों को उपयुक्त उत्तर दे सको? दूसरा सूत्र 22 किसी निर्धन को इसलिये लूटने न लगो, कि वह निर्धन है, वैसे ही किसी पीड़ित को न्यायालय ले जाकर गुनहगार न बनाना, 23 क्योंकि याहवेह पीड़ित के पक्ष में खड़े होंगे, और उनके प्राण का बदला लेंगे. तीसरा सूत्र 24 किसी क्रोधी व्यक्ति को मित्र न बनाना, और न किसी शीघ्र क्रोधी व्यक्ति के किसी कार्य में सहयोगी बनना. 25 कहीं ऐसा न हो कि तुम भी उसी के समान बन जाओ और स्वयं किसी फंदे में जा फंसो. चौथा सूत्र 26 तुम उनके जैसे न बनना, जो किसी की ज़मानत लेते हैं, जो किसी ऋणी के ऋण का दायित्व लेते हैं. 27 यदि तुम्हारे पास भुगतान करने के लिए कुछ नहीं है, तो साहूकार तो तुमसे तुम्हारा बिछौना छीन लेगा. पांचवां सूत्र 28 अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित सीमा-चिन्हों को तुम कभी न हटाना. छठा सूत्र 29 क्या आप किसी को अपने काम में कुशल दिखते हैं? उस व्यक्ति का स्थान राजा की उपस्थिति में है; वे नीचे श्रेणी के अधिकारियों के सामने सेवा नहीं करेंगे.
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