पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
1. {#3शलोमोन के कुछ और नीति वाक्य }
2. [PS]ये भी राजा शलोमोन के ही कुछ और नीति वाक्य हैं, जिन्हें यहूदिया राज्य के राजा हिज़किय्याह के लोगों ने तैयार किया है: [PE][QS]परमेश्वर की महिमा इसमें है कि वह किसी विषय को गुप्‍त रख देते हैं; [QE][QS2]जबकि राजा की महिमा किसी विषय की गहराई तक खोजने में होती है. [QE]
3. [QS]जैसे आकाश की ऊंचाई और पृथ्वी की गहराई, [QE][QS2]उसी प्रकार राजाओं का हृदय भी रहस्यमय होता है. [QE][PBR]
4. [QS]चांदी में से खोट दूर कर दो, [QE][QS2]तो चांदीकार के लिए शुद्ध चांदी शेष रह जाती है. [QE]
5. [QS]राजा के सामने से दुष्टों को हटा दो, [QE][QS2]तो राज सिंहासन धर्म में प्रतिष्ठित हो जाएगा. [QE][PBR]
6. [QS]न तो राजा के समक्ष स्वयं को सम्मान्य प्रमाणित करो, [QE][QS2]और न ही किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति का स्थान लेने का प्रयास करो; [QE]
7. [QS]क्योंकि उत्तम तो यह होगा कि राजा ही तुम्हें आमंत्रित कर यह कहे, “यहां मेरे पास आओ,” [QE][QS2]इसकी अपेक्षा कि तुम्हें सब की दृष्टि में निम्नतर स्थान पर जाने का आदेश दिया जाए. [QE][PBR]
8. [QS]मात्र इसलिये कि तुमने कुछ देख लिया है, [QE][QS2]मुकदमा चलाने की उतावली न करना. [QE][PBR]
9. [QS]विवादास्पद विषय पर सीधा उसी व्यक्ति से विचार-विमर्श कर लो, [QE][QS2]और किसी अन्य व्यक्ति का रहस्य प्रकाशित न करना, [QE]
10. [QS]कहीं ऐसा न हो कि कोई इसे सुन ले, यह तुम्हारे ही लिए लज्जा का कारण हो जाए [QE][QS2]और तुम्हारी प्रतिष्ठा स्थायी रूप से नष्ट हो जाए. [QE][PBR]
11. [QS]उचित अवसर पर कहा हुआ वचन चांदी के पात्र में [QE][QS2]प्रस्तुत स्वर्ण के सेब के समान होता है. [QE]
12. [QS]तत्पर श्रोता के लिए ज्ञानवान व्यक्ति की चेतावनी वैसी ही होती है [QE][QS2]जैसे स्वर्ण कर्णफूल अथवा स्वर्ण आभूषण. [QE][PBR]
13. [QS]कटनी के समय की उष्णता में ठंडे पानी के पेय के समान होता है, [QE][QS2]प्रेषक के लिए वह दूत, जो विश्वासयोग्य है; [QE][QS2]वह अपने स्वामी के हृदय को प्रफुल्लित कर देता है. [QE]
14. [QS]बारिश के बिना बादलों और हवा की तरह है जो व्यक्ति उपहार तो देता नहीं, [QE][QS2]किंतु सबके समक्ष देने की डींग मारता रहता है. [QE][PBR]
15. [QS]धैर्य के द्वारा शासक को भी मनाया जा सकता है, [QE][QS2]और कोमलता में कहे गए वचन से हड्डी को भी तोड़ा जा सकता है. [QE][PBR]
16. [QS]यदि तुम्हें कहीं मधु प्राप्‍त हो जाए, तो उतना ही खाना, जितना पर्याप्‍त है, [QE][QS2]सीमा से अधिक खाओगे तो, तुम उसे उगल दोगे. [QE]
17. [QS]उत्तम तो यह होगा कि तुम्हारे पड़ोसी के घर में [QE][QS2]तुम्हारे पैर कम ही पडे़ं, ऐसा न हो कि वह तुमसे ऊब जाए और तुमसे घृणा करने लगे. [QE][PBR]
18. [QS]वह व्यक्ति, जो अपने पड़ोसी के विरुद्ध झूठा साक्षी हो जाता है, [QE][QS2]वह युद्ध के लिए प्रयुक्त लाठी, तलवार अथवा बाण के समान है. [QE]
19. [QS]विपदा के अवसर पर ऐसे व्यक्ति पर भरोसा रखना, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता, [QE][QS2]वैसा ही होता है, जैसे सड़े दांत अथवा टूटे पैर पर भरोसा रखना. [QE]
20. [QS]दुःख में डूबे व्यक्ति के समक्ष हर्ष गीत गाने का वैसा ही प्रभाव होता है, [QE][QS2]जैसा शीतकाल में किसी को विवस्त्र कर देना [QE][QS2]अथवा किसी के घावों पर सिरका मल देना. [QE][PBR]
21. [QS]यदि तुम्हारा विरोधी भूखा है, उसे भोजन कराओ, [QE][QS2]यदि प्यासा है, उसे पीने के लिए जल दो; [QE]
22. [QS]इससे तुम उसके सिर पर प्रज्वलित कोयलों का ढेर लगा दोगे, [QE][QS2]और तुम्हें याहवेह की ओर से पारितोषिक प्राप्‍त होगा. [QE][PBR]
23. [QS]जैसे उत्तरी वायु प्रवाह वृष्टि का उत्पादक होता है, [QE][QS2]वैसे ही पीठ पीछे पर निंदा करती जीभ शीघ्र क्रोधी मुद्रा उत्पन्‍न करती है. [QE][PBR]
24. [QS]विवादी पत्नी के साथ घर में निवास करने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है [QE][QS2]छत के एक कोने में रह लेना. [QE][PBR]
25. [QS]दूर देश से आया शुभ संदेश वैसा ही होता है, [QE][QS2]जैसा प्यासी आत्मा को दिया गया शीतल जल. [QE]
26. [QS]वह धर्मी व्यक्ति, जो दुष्टों के आगे झुक जाता है, [QE][QS2]गंदले सोते तथा दूषित कुओं-समान होता है. [QE][PBR]
27. [QS]मधु का अत्यधिक सेवन किसी प्रकार लाभकर नहीं होता, [QE][QS2]ठीक इसी प्रकार अपने लिए सम्मान से और अधिक सम्मान का यत्न करना लाभकर नहीं होता. [QE][PBR]
28. [QS]वह व्यक्ति, जिसका स्वयं पर कोई नियंत्रण नहीं है, वैसा ही है, [QE][QS2]जैसा वह नगर, जिसकी सुरक्षा के लिए कोई दीवार नहीं है. [QE]
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शलोमोन के कुछ और नीति वाक्य 1 2 ये भी राजा शलोमोन के ही कुछ और नीति वाक्य हैं, जिन्हें यहूदिया राज्य के राजा हिज़किय्याह के लोगों ने तैयार किया है: परमेश्वर की महिमा इसमें है कि वह किसी विषय को गुप्‍त रख देते हैं; जबकि राजा की महिमा किसी विषय की गहराई तक खोजने में होती है. 3 जैसे आकाश की ऊंचाई और पृथ्वी की गहराई, उसी प्रकार राजाओं का हृदय भी रहस्यमय होता है. 4 चांदी में से खोट दूर कर दो, तो चांदीकार के लिए शुद्ध चांदी शेष रह जाती है. 5 राजा के सामने से दुष्टों को हटा दो, तो राज सिंहासन धर्म में प्रतिष्ठित हो जाएगा. 6 न तो राजा के समक्ष स्वयं को सम्मान्य प्रमाणित करो, और न ही किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति का स्थान लेने का प्रयास करो; 7 क्योंकि उत्तम तो यह होगा कि राजा ही तुम्हें आमंत्रित कर यह कहे, “यहां मेरे पास आओ,” इसकी अपेक्षा कि तुम्हें सब की दृष्टि में निम्नतर स्थान पर जाने का आदेश दिया जाए. 8 मात्र इसलिये कि तुमने कुछ देख लिया है, मुकदमा चलाने की उतावली न करना. 9 विवादास्पद विषय पर सीधा उसी व्यक्ति से विचार-विमर्श कर लो, और किसी अन्य व्यक्ति का रहस्य प्रकाशित न करना, 10 कहीं ऐसा न हो कि कोई इसे सुन ले, यह तुम्हारे ही लिए लज्जा का कारण हो जाए और तुम्हारी प्रतिष्ठा स्थायी रूप से नष्ट हो जाए. 11 उचित अवसर पर कहा हुआ वचन चांदी के पात्र में प्रस्तुत स्वर्ण के सेब के समान होता है. 12 तत्पर श्रोता के लिए ज्ञानवान व्यक्ति की चेतावनी वैसी ही होती है जैसे स्वर्ण कर्णफूल अथवा स्वर्ण आभूषण. 13 कटनी के समय की उष्णता में ठंडे पानी के पेय के समान होता है, प्रेषक के लिए वह दूत, जो विश्वासयोग्य है; वह अपने स्वामी के हृदय को प्रफुल्लित कर देता है. 14 बारिश के बिना बादलों और हवा की तरह है जो व्यक्ति उपहार तो देता नहीं, किंतु सबके समक्ष देने की डींग मारता रहता है. 15 धैर्य के द्वारा शासक को भी मनाया जा सकता है, और कोमलता में कहे गए वचन से हड्डी को भी तोड़ा जा सकता है. 16 यदि तुम्हें कहीं मधु प्राप्‍त हो जाए, तो उतना ही खाना, जितना पर्याप्‍त है, सीमा से अधिक खाओगे तो, तुम उसे उगल दोगे. 17 उत्तम तो यह होगा कि तुम्हारे पड़ोसी के घर में तुम्हारे पैर कम ही पडे़ं, ऐसा न हो कि वह तुमसे ऊब जाए और तुमसे घृणा करने लगे. 18 वह व्यक्ति, जो अपने पड़ोसी के विरुद्ध झूठा साक्षी हो जाता है, वह युद्ध के लिए प्रयुक्त लाठी, तलवार अथवा बाण के समान है. 19 विपदा के अवसर पर ऐसे व्यक्ति पर भरोसा रखना, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता, वैसा ही होता है, जैसे सड़े दांत अथवा टूटे पैर पर भरोसा रखना. 20 दुःख में डूबे व्यक्ति के समक्ष हर्ष गीत गाने का वैसा ही प्रभाव होता है, जैसा शीतकाल में किसी को विवस्त्र कर देना अथवा किसी के घावों पर सिरका मल देना. 21 यदि तुम्हारा विरोधी भूखा है, उसे भोजन कराओ, यदि प्यासा है, उसे पीने के लिए जल दो; 22 इससे तुम उसके सिर पर प्रज्वलित कोयलों का ढेर लगा दोगे, और तुम्हें याहवेह की ओर से पारितोषिक प्राप्‍त होगा. 23 जैसे उत्तरी वायु प्रवाह वृष्टि का उत्पादक होता है, वैसे ही पीठ पीछे पर निंदा करती जीभ शीघ्र क्रोधी मुद्रा उत्पन्‍न करती है. 24 विवादी पत्नी के साथ घर में निवास करने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है छत के एक कोने में रह लेना. 25 दूर देश से आया शुभ संदेश वैसा ही होता है, जैसा प्यासी आत्मा को दिया गया शीतल जल. 26 वह धर्मी व्यक्ति, जो दुष्टों के आगे झुक जाता है, गंदले सोते तथा दूषित कुओं-समान होता है. 27 मधु का अत्यधिक सेवन किसी प्रकार लाभकर नहीं होता, ठीक इसी प्रकार अपने लिए सम्मान से और अधिक सम्मान का यत्न करना लाभकर नहीं होता. 28 वह व्यक्ति, जिसका स्वयं पर कोई नियंत्रण नहीं है, वैसा ही है, जैसा वह नगर, जिसकी सुरक्षा के लिए कोई दीवार नहीं है.
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