1. [QS]मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो; [QE][QS2]मेरी संपूर्ण आत्मा उनके पवित्र नाम का स्तवन करे. [QE]
2. [QS]मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो, [QE][QS2]उनके किसी भी उपकार को न भूलो. [QE]
3. [QS]वह तेरे सब अपराध क्षमा करते [QE][QS2]तथा तेरे सब रोग को चंगा करते हैं. [QE]
4. [QS]वही तेरे जीवन को गड्ढे से छुड़ा लेते हैं [QE][QS2]तथा तुझे करुणा-प्रेम एवं मनोहरता से सुशोभित करते हैं. [QE]
5. [QS]वह तेरी अभिलाषाओं को मात्र उत्कृष्ट वस्तुओं से ही तृप्त करते हैं, [QE][QS2]जिसके परिणामस्वरूप तेरी जवानी गरुड़-समान नई हो जाती है. [QE][PBR]
6. [QS]याहवेह सभी दुःखितों के निमित्त धर्म [QE][QS2]एवं न्यायसंगतता के कार्य करते हैं. [QE][PBR]
7. [QS]उन्होंने मोशेह को अपनी नीति स्पष्ट की, [QE][QS2]तथा इस्राएल राष्ट्र के सामने अपना अद्भुत कृत्य: [QE]
8. [QS]याहवेह करुणामय, कृपानिधान, [QE][QS2]क्रोध में विलंबी तथा करुणा-प्रेम में समृद्ध हैं. [QE]
9. [QS]वह हम पर निरंतर आरोप नहीं लगाते रहेंगे, [QE][QS2]और न ही हम पर उनकी अप्रसन्नता स्थायी बनी रहेगी; [QE]
10. [QS]उन्होंने हमें न तो हमारे अपराधों के लिए निर्धारित दंड दिया [QE][QS2]और न ही उन्होंने हमारे अधर्मों का प्रतिफल हमें दिया है. [QE]
11. [QS]क्योंकि आकाश पृथ्वी से जितना ऊपर है, [QE][QS2]उतना ही महान है उनका करुणा-प्रेम उनके श्रद्धालुओं के लिए. [QE]
12. [QS]पूर्व और पश्चिम के मध्य जितनी दूरी है, [QE][QS2]उन्होंने हमारे अपराध हमसे उतने ही दूर कर दिए हैं. [QE][PBR]
13. [QS]जैसे पिता की मनोहरता उसकी संतान पर होती है, [QE][QS2]वैसे ही याहवेह की मनोहरता उनके श्रद्धालुओं पर स्थिर रहती है; [QE]
14. [QS]क्योंकि उन्हें हमारी सृष्टि ज्ञात है, [QE][QS2]उन्हें स्मरण रहता है कि हम मात्र धूल ही हैं. [QE]
15. [QS]मनुष्य से संबंधित बातें यह है, कि उसका जीवन घास समान है, [QE][QS2]वह मैदान के पुष्प समान खिलता है, [QE]
16. [QS]उस पर उष्ण हवा का प्रवाह होता है और वह नष्ट हो जाता है, [QE][QS2]किसी को यह स्मरण तक नहीं रह जाता, कि पुष्प किस स्थान पर खिला था, [QE]
17. [QS]किंतु याहवेह का करुणा-प्रेम उनके श्रद्धालुओं [QE][QS2]पर अनादि से अनंत तक, [QE][QS2]तथा परमेश्वर की धार्मिकता उनकी संतान की संतान पर स्थिर बनी रहती है. [QE]
18. [QS]जो उनकी वाचा का पालन करते [QE][QS2]तथा उनके आदेशों का पालन करना याद रखते हैं. [QE][PBR]
19. [QS]याहवेह ने अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थापित किया है, [QE][QS2]समस्त बनाई वस्तुओं पर उनका शासन है. [QE][PBR]
20. [QS]तुम, जो उनके स्वर्गदूत हो, याहवेह का स्तवन करो, [QE][QS2]तुम जो शक्तिशाली हो, तुम उनके आदेशों का पालन करते हो, [QE][QS2]उनके मुख से निकले वचन को पूर्ण करते हो. [QE]
21. [QS]स्वर्ग की संपूर्ण सेना और तुम, जो उनके सेवक हो, [QE][QS2]और जो उनकी इच्छा की पूर्ति करते हो, याहवेह का स्तवन करो. [QE]
22. [QS]उनकी समस्त सृष्टि, जो समस्त रचना में व्याप्त हैं, [QE][QS2]याहवेह का स्तवन करें. [QE][PBR] [QS]मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो. [QE]