1. [QS]याहवेह की स्तुति हो! [QE][PBR] [QS]याहवेह का धन्यवाद करो-वे भले हैं; [QE][QS2]उनकी करुणा सदा की है. [QE][PBR]
2. [QS]किसमें क्षमता है याहवेह के महाकार्य को लिखने की [QE][QS2]अथवा उनका तृप्त स्तवन करने की? [QE]
3. [QS]प्रशंसनीय हैं वे, जो न्याय का पालन करते हैं, [QE][QS2]जो सदैव वही करते हैं, जो न्याय संगत ही होता है. [QE][PBR]
4. [QS]याहवेह, जब आप अपनी प्रजा पर कृपादृष्टि करें, तब मुझे स्मरण रखिए, [QE][QS2]जब आप उन्हें उद्धार दिलाएं, तब मेरा भी ध्यान रखें. [QE]
5. [QS]कि मैं आपके चुने हुओं की समृद्धि देख सकूं, [QE][QS2]कि मैं आपके राष्ट्र के आनंद में उल्लसित हो सकूं, [QE][QS2]कि मैं आपके निज भाग के साथ गर्व कर सकूं. [QE][PBR]
6. [QS]हमने अपने पूर्वजों के समान पाप किए हैं; [QE][QS2]हमने अपराध किया है, हमारे आचरण में अधर्म था. [QE]
7. [QS]जब हमारे पूर्वज मिस्र देश में थे, [QE][QS2]उन्होंने आपके द्वारा किए गए आश्चर्य कार्यों की गहनता को मन में ग्रहण नहीं किया; [QE][QS]उनके लिए आपके करुणा-प्रेम में किए गए वे अनेक हितकार्य नगण्य ही रहे, [QE][QS2]सागर, लाल सागर के तट पर उन्होंने विद्रोह कर दिया. [QE]
8. [QS]फिर भी परमेश्वर ने अपनी महिमा के निमित्त उनकी रक्षा की, [QE][QS2]कि उनका अतुलनीय सामर्थ्य प्रख्यात हो जाए. [QE]
9. [QS]परमेश्वर ने लाल सागर को डांटा और वह सूख गया; [QE][QS2]परमेश्वर उन्हें उस गहराई में से इस प्रकार लेकर आगे बढ़ते गए मानो वे वन के मार्ग पर चल रहे हों. [QE]
10. [QS]परमेश्वर ने शत्रुओं से उनकी सुरक्षा की; [QE][QS2]उन्हें शत्रुओं के अधिकार से मुक्त कर दिया. [QE]
11. [QS]उनके प्रतिरोधी जल में डूब गए; [QE][QS2]उनमें से एक भी जीवित न रहा. [QE]
12. [QS]तब उन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास किया [QE][QS2]और उनकी वंदना की. [QE][PBR]
13. [QS]किंतु शीघ्र ही वह परमेश्वर के महाकार्य को भूल गए; [QE][QS2]यहां तक कि उन्होंने परमेश्वर के निर्देशों की प्रतीक्षा भी नहीं की. [QE]
14. [QS]जब वे बंजर भूमि में थे, वे अपने अनियंत्रित आवेगों में बह गए; [QE][QS2]उजाड़ क्षेत्र में उन्होंने परमेश्वर की परीक्षा ली. [QE]
15. [QS]तब परमेश्वर ने उनकी अभिलाषा की पूर्ति कर दी; [QE][QS2]इसके अतिरिक्त परमेश्वर ने उन पर महामारी भेज दी. [QE][PBR]
16. [QS]मंडप निवासकाल में वे मोशेह [QE][QS2]और अहरोन से, जो याहवेह के अभिषिक्त थे, डाह करने लगे. [QE]
17. [QS]तब भूमि फट गई और दाथान को निगल गई; [QE][QS2]अबीराम के दल को उसने गाड़ दिया. [QE]
18. [QS]उनके अनुयायियों पर अग्निपात हुआ; [QE][QS2]आग ने कुकर्मियों को भस्म कर दिया. [QE]
19. [QS]होरेब पर्वत पर उन्होंने बछड़े की प्रतिमा ढाली [QE][QS2]और इस धातु प्रतिमा की आराधना की. [QE]
20. [QS]उन्होंने परमेश्वर की महिमा का विनिमय [QE][QS2]उस बैल की प्रतिमा से कर लिया, जो घास चरता है. [QE]
21. [QS]वे उस परमेश्वर को भूल गए, जिन्होंने उनकी रक्षा की थी, [QE][QS2]जिन्होंने मिस्र देश में असाधारण कार्य किए थे, [QE]
22. [QS]हाम के क्षेत्र में आश्चर्य कार्य [QE][QS2]तथा लाल सागर के तट पर भयंकर कार्य किए थे. [QE]
23. [QS]तब परमेश्वर ने निश्चय किया कि वह उन्हें नष्ट कर देंगे. [QE][QS2]वह उन्हें नष्ट कर चुके होते, यदि परमेश्वर के चुने मोशेह उनके [QE][QS]और परमेश्वर के सत्यानाश प्रकोप के मध्य आकर, [QE][QS2]जलजलाहट को ठंडा न करते. [QE][PBR]
24. [QS]इसके बाद इस्राएलियों ने उस सुखदायी भूमि को निकम्मी समझा; [QE][QS2]उन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास नहीं किया. [QE]
25. [QS]अपने-अपने तंबुओं में वे कुड़कुड़ाते रहे, [QE][QS2]उन्होंने याहवेह की आज्ञाएं नहीं मानीं. [QE]
26. [QS]तब याहवेह ने शपथ खाई, [QE][QS2]कि वह उन्हें बंजर भूमि में ही मिटा देंगे, [QE]
27. [QS]कि वह उनके वंशजों को अन्य जनताओं के मध्य नष्ट कर देंगे [QE][QS2]और उन्हें समस्त पृथ्वी पर बिखरा देंगे. [QE][PBR]
28. [QS]उन्होंने पओर के देवता बाल की पूजा-अर्चना की. [QE][QS2]उन्होंने उस बलि में से खाया, जो निर्जीव देवताओं को अर्पित की गई थी. [QE]
29. [QS]अपने अधर्म के द्वारा उन्होंने याहवेह के क्रोध को भड़का दिया, [QE][QS2]परिणामस्वरूप उनके मध्य महामारी फैल गई. [QE]
30. [QS]तब फिनिहास ने सामने आकर मध्यस्थ का कार्य किया, [QE][QS2]और महामारी थम गई. [QE]
31. [QS]उनकी इस भूमिका को पीढ़ी से पीढ़ी के लिए [QE][QS2]युक्त घोषित किया गया. [QE]
32. [QS]मेरिबाह जलाशय के निकट उन्होंने याहवेह के कोप को भड़काया, [QE][QS2]उनके कारण मोशेह पर संकट आ पड़ा, [QE]
33. [QS]क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के आत्मा के विरुद्ध बलवा किया था, [QE][QS2]और मोशेह ने बिन सोचे शब्द बोल डाले थे. [QE][PBR]
34. [QS]याहवेह के आदेश के अनुरूप [QE][QS2]उन्होंने उन लोगों की हत्या नहीं की, [QE]
35. [QS]परंतु वे अन्य जनताओं से घुल-मिल गए [QE][QS2]और उन्होंने उनकी प्रथाएं भी अपना लीं. [QE]
36. [QS]उन्होंने उनकी प्रतिमाओं की आराधना की, [QE][QS2]जो उनके लिए फंदा बन गईं. [QE]
37. [QS]उन्होंने अपने पुत्र-पुत्रियों को प्रेतों [QE][QS2]के लिए बलि कर दिया. [QE]
38. [QS]उन्होंने निर्दोषों का रक्त बहाया, [QE][QS2]अपने ही पुत्रों और पुत्रियों का रक्त, [QE][QS]जिनकी उन्होंने कनान देश की प्रतिमाओं को बलि अर्पित की, [QE][QS2]और उनके रक्त से भूमि दूषित हो गई. [QE]
39. [QS]अपने कार्यों से उन्होंने स्वयं को भ्रष्ट कर डाला; [QE][QS2]उन्होंने अपने ही कार्यों के द्वारा विश्वासघात किया. [QE][PBR]
40. [QS]ये सभी वे कार्य थे, जिनके कारण याहवेह अपने ही लोगों से क्रोधित हो गए [QE][QS2]और उनको अपना निज भाग उनके लिए घृणास्पद हो गया. [QE]
41. [QS]परमेश्वर ने उन्हें अन्य राष्ट्रों के अधीन कर दिया, [QE][QS2]उनके विरोधी ही उन पर शासन करने लगे. [QE]
42. [QS]उनके शत्रु उन पर अधिकार करते रहे [QE][QS2]और उन्हें उनकी शक्ति के सामने समर्पण करना पड़ा. [QE]
43. [QS]कितनी ही बार उन्होंने उन्हें मुक्त किया, [QE][QS2]किंतु वे थे विद्रोह करने पर ही अटल, [QE][QS2]तब वे अपने ही अपराध में नष्ट होते चले गए. [QE]
44. [QS]किंतु उनका संकट परमेश्वर की दृष्टि में था. [QE][QS2]तब उन्होंने उनकी पुकार सुनी; [QE]
45. [QS]उनके कल्याण के निमित्त परमेश्वर ने अपनी वाचा का स्मरण किया, [QE][QS2]और अपने करुणा-प्रेम की परिणामता में परमेश्वर ने उन पर कृपा की. [QE]
46. [QS]परमेश्वर ने उनके प्रति, जिन्होंने उन्हें बंदी बना रखा था, [QE][QS2]उनके हृदय में कृपाभाव उत्पन्न किया. [QE][PBR]
47. [QS]याहवेह, हमारे परमेश्वर, हमारी रक्षा कीजिए, [QE][QS2]और हमें विभिन्न राष्ट्रों में से एकत्र कर लीजिए, [QE][QS]कि हम आपके पवित्र नाम के प्रति आभार व्यक्त कर सकें [QE][QS2]और आपका स्तवन हमारे गर्व का विषय बन जाए. [QE][PBR] [PBR]
48. [QS]आदि से अनंत काल तक धन्य हैं. [QE][QS2]याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, [QE][PBR] [QS]इस पर सारी प्रजा कहे, “आमेन,” [QE][PBR] [QS]याहवेह की स्तुति हो. [QE]