पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
भजन संहिता
1. [QS]मैंने याहवेह में आश्रय लिया है, [QE][QS2]फिर तुम मुझसे यह क्यों कह रहे हो: [QE][QS2]“पंछी के समान अपने पर्वत को उड़ जा. [QE]
2. [QS]सावधान! दुष्ट ने अपना धनुष साध लिया है; [QE][QS2]और उसने धनुष पर बाण भी चढ़ा लिया है, [QE][QS]कि अंधकार में [QE][QS2]सीधे लोगों की हत्या कर दे. [QE]
3. [QS]यदि आधार ही नष्ट हो जाए, [QE][QS2]तो धर्मी के पास कौन सा विकल्प शेष रह जाता है?” [QE][PBR]
4. [QS]याहवेह अपने पवित्र मंदिर में हैं; [QE][QS2]उनका सिंहासन स्वर्ग में बसा है. [QE][QS]उनकी दृष्टि सर्वत्र मनुष्यों को देखती है; [QE][QS2]उनकी सूक्ष्मदृष्टि हर एक को परखती रहती है. [QE]
5. [QS]याहवेह की दृष्टि धर्मी एवं दुष्ट दोनों को परखती है, [QE][QS2]याहवेह के आत्मा हिंसा [QE][QS2]प्रिय पुरुषों से घृणा करते हैं. [QE]
6. [QS]दुष्टों पर वह फन्दों की वृष्टि करेंगे, [QE][QS2]उनके प्याले में उनका अंश होगा अग्नि; [QE][QS2]गंधक तथा प्रचंड हवा. [QE][PBR]
7. [QS]याहवेह युक्त हैं, [QE][QS2]धर्मी ही उन्हें प्रिय हैं; [QE][QS2]धर्मी जन उनका मुंह देखने पाएंगे. [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 11 / 150
1 मैंने याहवेह में आश्रय लिया है, फिर तुम मुझसे यह क्यों कह रहे हो: “पंछी के समान अपने पर्वत को उड़ जा. 2 सावधान! दुष्ट ने अपना धनुष साध लिया है; और उसने धनुष पर बाण भी चढ़ा लिया है, कि अंधकार में सीधे लोगों की हत्या कर दे. 3 यदि आधार ही नष्ट हो जाए, तो धर्मी के पास कौन सा विकल्प शेष रह जाता है?” 4 याहवेह अपने पवित्र मंदिर में हैं; उनका सिंहासन स्वर्ग में बसा है. उनकी दृष्टि सर्वत्र मनुष्यों को देखती है; उनकी सूक्ष्मदृष्टि हर एक को परखती रहती है. 5 याहवेह की दृष्टि धर्मी एवं दुष्ट दोनों को परखती है, याहवेह के आत्मा हिंसा प्रिय पुरुषों से घृणा करते हैं. 6 दुष्टों पर वह फन्दों की वृष्टि करेंगे, उनके प्याले में उनका अंश होगा अग्नि; गंधक तथा प्रचंड हवा. 7 याहवेह युक्त हैं, धर्मी ही उन्हें प्रिय हैं; धर्मी जन उनका मुंह देखने पाएंगे.
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 11 / 150
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