1. {א आलेफ़ } [QS]कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, [QE][QS2]जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है. [QE]
2. [QS]कैसे धन्य हैं वे, जो उनके अधिनियमों का पालन करते हैं [QE][QS2]तथा जो पूर्ण मन से उनके खोजी हैं. [QE]
3. [QS]वे याहवेह के मार्गों में चलते हैं, [QE][QS2]और उनसे कोई अन्याय नहीं होता. [QE]
4. [QS]आपने ये आदेश इसलिये दिए हैं, [QE][QS2]कि हम इनका पूरी तरह पालन करें. [QE]
5. [QS]मेरी कामना है कि आपके आदेशों का पालन करने में [QE][QS2]मेरा आचरण दृढ़ रहे! [QE]
6. [QS]मैं आपके आदेशों पर विचार करता रहूंगा, [QE][QS2]तब मुझे कभी लज्जित होना न पड़ेगा. [QE]
7. [QS]जब मैं आपकी धर्ममय व्यवस्था का मनन करूंगा, [QE][QS2]तब मैं निष्कपट हृदय से आपका स्तवन करूंगा. [QE]
8. [QS]मैं आपकी विधियों का पालन करूंगा; [QE][QS2]आप मेरा परित्याग कभी न कीजिए. [QE]
9. {ב बैथ } [QS]युवा अपना आचरण कैसे स्वच्छ रखे? [QE][QS2]आपके वचन पालन के द्वारा. [QE]
10. [QS]मैं आपको संपूर्ण हृदय से खोजता हूं; [QE][QS2]आप मुझे अपने आदेशों से भटकने न दीजिए. [QE]
11. [QS]आपके वचन को मैंने अपने हृदय में इसलिये रख छोड़ा है, [QE][QS2]कि मैं आपके विरुद्ध पाप न कर बैठूं. [QE]
12. [QS]याहवेह, आपका स्तवन हो; [QE][QS2]मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए. [QE]
13. [QS]जो व्यवस्था आपके मुख द्वारा निकली हैं, [QE][QS2]मैं उन्हें अपने मुख से दोहराता रहता हूं. [QE]
14. [QS]आपके अधिनियमों का पालन करना मेरा आनंद है, [QE][QS2]ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई विशाल धनराशि पर आनंदित होता है. [QE]
15. [QS]आपके नीति-सिद्धांत मेरे चिंतन का विषय हैं, [QE][QS2]मैं आपकी सम्विधियों की विवेचना करता रहता हूं. [QE]
16. [QS]आपकी विधियां मुझे मगन कर देती हैं, [QE][QS2]आपके वचनों को मैं कभी न भूलूंगा. [QE]
17. {ג गिमेल } [QS]अपने सेवक पर उपकार कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं, [QE][QS2]मैं आपके वचन का पालन करूंगा. [QE]
18. [QS]मुझे आपकी व्यवस्था की गहन और अद्भुत बातों को [QE][QS2]ग्रहण करने की दृष्टि प्रदान कीजिए. [QE]
19. [QS]पृथ्वी पर मैं प्रवासी मात्र हूं; [QE][QS2]मुझसे अपने निर्देश न छिपाइए. [QE]
20. [QS]सारा समय आपकी व्यवस्था की [QE][QS2]अभिलाषा करते-करते मेरे प्राण डूब चले हैं. [QE]
21. [QS]आपकी प्रताड़ना उन पर पड़ती है, जो अभिमानी हैं, शापित हैं, [QE][QS2]और जो आपके आदेशों का परित्याग कर भटकते रहते हैं. [QE]
22. [QS]मुझ पर लगे घृणा और तिरस्कार के कलंक को मिटा दीजिए, [QE][QS2]क्योंकि मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं. [QE]
23. [QS]यद्यपि प्रशासक साथ बैठकर मेरी निंदा करते हैं, [QE][QS2]आपका यह सेवक आपकी विधियों पर मनन करेगा. [QE]
24. [QS]आपके अधिनियमों में मगन है मेरा आनंद; [QE][QS2]वे ही मेरे सलाहकार हैं. [QE]
25. {ד दालेथ } [QS]मेरा प्राण नीचे धूलि में जा पड़ा है; [QE][QS2]अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए. [QE]
26. [QS]जब मैंने आपके सामने अपने आचरण का वर्णन किया, आपने मुझे उत्तर दिया; [QE][QS2]याहवेह, अब मुझे अपनी विधियां सिखा दीजिए. [QE]
27. [QS]मुझे अपने उपदेशों की प्रणाली की समझ प्रदान कीजिए, [QE][QS2]कि मैं आपके अद्भुत कार्यों पर मनन कर सकूं. [QE]
28. [QS]शोक अतिरेक में मेरा प्राण डूबा जा रहा है; [QE][QS2]अपने वचन से मुझमें बल दीजिए. [QE]
29. [QS]झूठे मार्ग से मुझे दूर रखिए; [QE][QS2]और अपनी कृपा में मुझे अपनी व्यवस्था की शिक्षा दीजिए. [QE]
30. [QS]मैंने सच्चाई के मार्ग को अपनाया है; [QE][QS2]मैंने आपके नियमों को अपना आदर्श बनाया है. [QE]
31. [QS]याहवेह, मैंने आपके नियमों को दृढतापूर्वक थाम रखा है; [QE][QS2]मुझे लज्जित न होने दीजिए. [QE]
32. [QS]आपने मेरे हृदय में साहस का संचार किया है, [QE][QS2]तब मैं अब आपके आदेशों के पथ पर दौड़ रहा हूं. [QE]
33. {ה हे } [QS]याहवेह, मुझे आपकी विधियों का आचरण करने की शिक्षा दीजिए, [QE][QS2]कि मैं आजीवन उनका पालन करता रहूं. [QE]
34. [QS]मुझे वह समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी व्यवस्था का पालन कर सकूं [QE][QS2]और संपूर्ण हृदय से इसमें मगन आज्ञाओं का पालन कर सकूं. [QE]
35. [QS]अपने आदेशों के मार्ग में मेरा संचालन कीजिए, [QE][QS2]क्योंकि इन्हीं में मेरा आनंद है. [QE]
36. [QS]मेरे हृदय को स्वार्थी लाभ की ओर नहीं, [QE][QS2]परंतु अपने नियमों की ओर फेर दीजिए. [QE]
37. [QS]अपने वचन के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए; [QE][QS2]मेरी रुचि निरर्थक वस्तुओं से हटा दीजिए. [QE]
38. [QS]अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा पूर्ण कीजिए, [QE][QS2]कि आपके प्रति मेरी श्रद्धा स्थायी रहे. [QE]
39. [QS]उस लज्जा को मुझसे दूर रखिए, जिसकी मुझे आशंका है, [QE][QS2]क्योंकि आपके नियम उत्तम हैं. [QE]
40. [QS]कैसी तीव्र है आपके उपदेशों के प्रति मेरी अभिलाषा! [QE][QS2]अपनी धार्मिकता के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए. [QE]
41. {ו वाव } [QS]याहवेह, आपका करुणा-प्रेम[† करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं ] मुझ पर प्रगट हो जाए, [QE][QS2]और आपकी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे आपका उद्धार प्राप्त हो; [QE]
42. [QS]कि मैं उसे उत्तर दे सकूं, जो मेरा अपमान करता है, [QE][QS2]आपके वचन पर मेरा भरोसा है. [QE]
43. [QS]सत्य के वचन मेरे मुख से न छीनिए, [QE][QS2]मैं आपकी व्यवस्था पर आशा रखता हूं. [QE]
44. [QS]मैं सदा-सर्वदा निरंतर, [QE][QS2]आपकी व्यवस्था का पालन करता रहूंगा. [QE]
45. [QS]मेरा जीवन स्वतंत्र हो जाएगा, [QE][QS2]क्योंकि मैं आपके उपदेशों का खोजी हूं. [QE]
46. [QS]राजाओं के सामने मैं आपके अधिनियमों पर व्याख्यान दूंगा [QE][QS2]और मुझे लज्जित नहीं होना पड़ेगा. [QE]
47. [QS]क्योंकि आपका आदेश मेरे आनंद का उगम हैं, [QE][QS2]और वे मुझे प्रिय हैं. [QE]
48. [QS]मैं आपके आदेशों की ओर हाथ बढ़ाऊंगा, जो मुझे प्रिय हैं, [QE][QS2]और आपकी विधियां मेरे मनन का विषय हैं. [QE]
49. {ז ज़ईन } [QS]याहवेह, अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा को स्मरण कीजिए, [QE][QS2]क्योंकि आपने मुझमें आशा का संचार किया है. [QE]
50. [QS]मेरी पीड़ा में मुझे इस बातों से सांत्वना प्राप्त होती है: [QE][QS2]आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे नवजीवन का स्रोत हैं. [QE]
51. [QS]अहंकारी बेधड़क मेरा उपहास करते हैं, [QE][QS2]किंतु मैं आपकी व्यवस्था से दूर नहीं होता. [QE]
52. [QS]याहवेह, जब प्राचीन काल से प्रगट आपकी व्यवस्था पर मैं विचार करता हूं, [QE][QS2]तब मुझे उनमें सांत्वना प्राप्त होती है. [QE]
53. [QS]दुष्ट मुझमें कोप उकसाते हैं, ये वे हैं, [QE][QS2]जिन्होंने आपकी व्यवस्था त्याग दी है. [QE]
54. [QS]आपकी विधियां मेरे गीत की विषय-वस्तु हैं [QE][QS2]चाहे मैं किसी भी स्थिति में रहूं. [QE]
55. [QS]याहवेह, मैं आपकी व्यवस्था का पालन करता हूं, [QE][QS2]रात्रि में मैं आपका स्मरण करता हूं. [QE]
56. [QS]आपके उपदेशों का पालन करते [QE][QS2]जाना ही मेरी चर्या है. [QE]
57. {ח ख़ेथ } [QS]याहवेह, आप मेरे जीवन का अंश बन गए हैं; [QE][QS2]आपके आदेशों के पालन के लिए मैंने शपथ की है. [QE]
58. [QS]सारे मन से मैंने आपसे आग्रह किया है; [QE][QS2]अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए. [QE]
59. [QS]मैंने अपनी जीवनशैली का विचार किया है [QE][QS2]और मैंने आपके अधिनियमों के पालन की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं. [QE]
60. [QS]अब मैं विलंब न करूंगा [QE][QS2]और शीघ्रता से आपके आदेशों को मानना प्रारंभ कर दूंगा. [QE]
61. [QS]मैं आपकी व्यवस्था से दूर न होऊंगा, [QE][QS2]यद्यपि दुर्जनों ने मुझे रस्सियों से बांध भी रखा हो. [QE]
62. [QS]आपकी युक्ति संगत व्यवस्था के प्रति आभार अभिव्यक्त करने के लिए, [QE][QS2]मैं मध्य रात्रि को ही जाग जाता हूं. [QE]
63. [QS]मेरी मैत्री उन सभी से है, जिनमें आपके प्रति श्रद्धा है, [QE][QS2]उन सभी से, जो आपके उपदेशों पर चलते हैं. [QE]
64. [QS]याहवेह, पृथ्वी आपके करुणा-प्रेम से तृप्त है; [QE][QS2]मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए. [QE]
65. {ט टेथ } [QS]याहवेह, अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप [QE][QS2]अपने सेवक का कल्याण कीजिए. [QE]
66. [QS]मुझे ज्ञान और धर्ममय परख सीखाइए, [QE][QS2]क्योंकि मैं आपकी आज्ञाओं पर भरोसा करता हूं. [QE]
67. [QS]अपनी पीड़ाओं में रहने के पूर्व मैं भटक गया था, [QE][QS2]किंतु अब मैं आपके वचन के प्रति आज्ञाकारी हूं. [QE]
68. [QS]आप धन्य हैं, और जो कुछ आप करते हैं भला ही होता है; [QE][QS2]मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए. [QE]
69. [QS]यद्यपि अहंकारियों ने मुझे झूठी बातों से कलंकित कर दिया है, [QE][QS2]मैं पूर्ण सच्चाई में आपके आदेशों को थामे हुए हूं. [QE]
70. [QS]उनके हृदय कठोर तथा संवेदनहीन हो चुके हैं, [QE][QS2]किंतु आपकी व्यवस्था ही मेरा आनंद है. [QE]
71. [QS]यह मेरे लिए भला ही रहा कि मैं प्रताड़ित किया गया, [QE][QS2]इससे मैं आपकी विधियों से सीख सकूं. [QE]
72. [QS]आपके मुख से निकली व्यवस्था मेरे लिए [QE][QS2]स्वर्ण और चांदी की हजारों मुद्राओं से कहीं अधिक मूल्यवान हैं. [QE]
73. {י योध } [QS]आपके हाथों ने मेरा निर्माण किया और मुझे आकार दिया; [QE][QS2]मुझे अपने आदेशों को समझने की सद्बुद्धि प्रदान कीजिए. [QE]
74. [QS]मुझे देख आपके भक्त उल्लसित हो सकें, [QE][QS2]क्योंकि आपका वचन ही मेरी आशा है. [QE]
75. [QS]याहवेह, यह मैं जानता हूं कि आपकी व्यवस्था धर्ममय है, [QE][QS2]और आपके द्वारा मेरा क्लेश न्याय संगत था. [QE]
76. [QS]अब अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा के अनुरूप, [QE][QS2]आपका करुणा-प्रेम ही मेरी शांति है! [QE]
77. [QS]आपकी व्यवस्था में मेरा आनन्दमग्न है, [QE][QS2]तब मुझे आपकी मनोहरता में जीवन प्राप्त हो. [QE]
78. [QS]अहंकारियों को लज्जित होना पड़े क्योंकि उन्होंने अकारण ही मुझसे छल किया है; [QE][QS2]किंतु मैं आपके उपदेशों पर मनन करता रहूंगा. [QE]
79. [QS]आपके श्रद्धालु, जिन्होंने आपके अधिनियमों को समझ लिया है, [QE][QS2]पुनः मेरे पक्ष में हो जाएं, [QE]
80. [QS]मेरा हृदय पूर्ण सिद्धता में आपकी विधियों का पालन करता रहे, [QE][QS2]कि मुझे लज्जित न होना पड़े. [QE]
81. {כ काफ़ } [QS]आपके उद्धार की तीव्र अभिलाषा करते हुए मेरा प्राण बेचैन हुआ जा रहा है, [QE][QS2]अब आपका वचन ही मेरी आशा का आधार है. [QE]
82. [QS]आपकी प्रतिज्ञा-पूर्ति की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं; [QE][QS2]मैं पूछ रहा हूं, “कब मुझे आपकी ओर से सांत्वना प्राप्त होगी?” [QE]
83. [QS]यद्यपि मैं धुएं में संकुचित द्राक्षारस की कुप्पी के समान हो गया हूं, [QE][QS2]फिर भी आपकी विधियां मेरे मन से लुप्त नहीं हुई हैं. [QE]
84. [QS]और कितनी प्रतीक्षा करनी होगी आपके सेवक को? [QE][QS2]आप कब मेरे सतानेवालों को दंड देंगे? [QE]
85. [QS]अहंकारियों ने मेरे लिए गड्ढे खोद रखे हैं, [QE][QS2]उनका आचरण आपकी व्यवस्था के विपरीत है. [QE]
86. [QS]विश्वासयोग्य हैं आपके आदेश; [QE][QS2]मेरी सहायता कीजिए, झूठ बोलनेवाले मुझे दुःखित कर रहे हैं. [QE]
87. [QS]उन्होंने मुझे धरती पर से लगभग मिटा ही डाला था, [QE][QS2]फिर भी मैं आपके नीति सूत्रों से दूर न हुआ. [QE]
88. [QS]मैं आपके मुख से बोले हुए नियमों का पालन करता रहूंगा, [QE][QS2]अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मेरे जीवन की रक्षा कीजिए. [QE]
89. {ל लामेध } [QS]याहवेह, सर्वदा है आपका वचन; [QE][QS2]यह स्वर्ग में दृढतापूर्वक बसा है. [QE]
90. [QS]पीढ़ी से पीढ़ी आपकी सच्चाई बनी रहती है; [QE][QS2]आपके द्वारा ही पृथ्वी की स्थापना की गई और यह स्थायी बनी हुई है. [QE]
91. [QS]आप के नियम सभी आज तक अस्तित्व में हैं, [QE][QS2]और सभी कुछ आपकी सेवा कर रहे हैं. [QE]
92. [QS]यदि आपकी व्यवस्था में मैं उल्लास मगन न होता, [QE][QS2]तो इन पीड़ाओं को सहते सहते मेरी मृत्यु हो जाती. [QE]
93. [QS]आपके उपदेश मेरे मन से कभी नष्ट न होंगे, [QE][QS2]क्योंकि इन्हीं के द्वारा आपने मुझे जीवन प्रदान किया है, [QE]
94. [QS]तब मुझ पर आपका ही स्वामित्व है, मेरी रक्षा कीजिए; [QE][QS2]मैं आपके ही उपदेशों का खोजी हूं. [QE]
95. [QS]दुष्ट मुझे नष्ट करने के उद्देश्य से घात लगाए बैठे हैं, [QE][QS2]किंतु आपकी चेतावनियों पर मैं विचार करता रहूंगा. [QE]
96. [QS]हर एक सिद्धता में मैंने कोई न कोई सीमा ही पाई है, [QE][QS2]किंतु आपके आदेश असीमित हैं. [QE]
97. {מ मेम } [QS]आह, कितनी अधिक प्रिय है मुझे आपकी व्यवस्था! [QE][QS2]इतना, कि मैं दिन भर इसी पर विचार करता रहता हूं. [QE]
98. [QS]आपके आदेशों ने तो मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बना दिया है [QE][QS2]क्योंकि ये कभी मुझसे दूर नहीं होते. [QE]
99. [QS]मुझमें तो अपने सभी शिक्षकों से अधिक समझ है, [QE][QS2]क्योंकि आपके उपदेश मेरे चिंतन का विषय हैं. [QE]
100. [QS]आपके उपदेशों का पालन करने का ही परिणाम यह है, [QE][QS2]कि मुझमें बुजुर्गों से अधिक समझ है. [QE]
101. [QS]आपकी आज्ञा का पालन करने के लक्ष्य से, [QE][QS2]मैंने अपने कदम हर एक अधर्म के पथ पर चलने से बचा रखे हैं. [QE]
102. [QS]आप ही के द्वारा दी गई शिक्षा के कारण, [QE][QS2]मैं आपके नियम तोड़ने से बच सका हूं. [QE]
103. [QS]कैसा मधुर है आपकी प्रतिज्ञाओं का आस्वादन करना, [QE][QS2]आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे मुख में मधु से भी अधिक मीठी हैं! [QE]
104. [QS]हर एक झूठा मार्ग मेरी दृष्टि में घृणास्पद है; [QE][QS2]क्योंकि आपके उपदेशों से मुझे समझदारी प्राप्त होती है. [QE]
105. {נ नून } [QS]आपका वचन मेरे पांवों के लिए दीपक, [QE][QS2]और मेरे मार्ग के लिए प्रकाश है. [QE]
106. [QS]मैंने यह शपथ ली है और यह सुनिश्चित किया है, [QE][QS2]कि मैं आपके धर्ममय नियमों का ही पालन करता जाऊंगा. [QE]
107. [QS]याहवेह, मेरी पीड़ा असह्य है; [QE][QS2]अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए. [QE]
108. [QS]याहवेह, मेरे मुख से निकले स्वैच्छिक स्तवन वचनों को स्वीकार कीजिए, [QE][QS2]और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए. [QE]
109. [QS]आपकी व्यवस्था से मैं कभी दूर न होऊंगा, [QE][QS2]यद्यपि मैं लगातार अपने जीवन को हथेली पर लिए फिरता हूं. [QE]
110. [QS]दुष्टों ने मेरे लिए जाल बिछाया हुआ है, [QE][QS2]किंतु मैं आपके उपदेशों से नहीं भटका. [QE]
111. [QS]आपके नियमों को मैंने सदा-सर्वदा के लिए निज भाग में प्राप्त कर लिया है; [QE][QS2]वे ही मेरे हृदय का आनंद हैं. [QE]
112. [QS]आपकी विधियों का अंत तक [QE][QS2]पालन करने के लिए मेरा हृदय तैयार है. [QE]
113. {ס सामेख } [QS]दुविधा से ग्रस्त मन का पुरुष मेरे लिए घृणास्पद है, [QE][QS2]मुझे प्रिय है आपकी व्यवस्था. [QE]
114. [QS]आप मेरे आश्रय हैं, मेरी ढाल हैं; [QE][QS2]मेरी आशा का आधार है आपका वचन. [QE]
115. [QS]अधर्मियो, दूर रहो मुझसे, [QE][QS2]कि मैं परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सकूं! [QE]
116. [QS]याहवेह, अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे सम्भालिए, कि मैं जीवित रहूं; [QE][QS2]मेरी आशा भंग न होने पाए. [QE]
117. [QS]मुझे थाम लीजिए कि मैं सुरक्षित रहूं; [QE][QS2]मैं सदैव आपकी विधियों पर भरोसा करता रहूंगा. [QE]
118. [QS]वे सभी, जो आपके नियमों से भटक जाते हैं, आपकी उपेक्षा के पात्र हो जाते हैं, [QE][QS2]क्योंकि निरर्थक होती है उनकी चालाकी. [QE]
119. [QS]संसार के सभी दुष्टों को आप मैल के समान फेंक देते हैं; [QE][QS2]यही कारण है कि मुझे आपकी चेतावनियां प्रिय हैं. [QE]
120. [QS]आपके भय से मेरी देह कांप जाती है; [QE][QS2]आपके निर्णयों का विचार मुझमें भय का संचार कर देता है. [QE]
121. {ע अयिन } [QS]मैंने वही किया है, जो न्याय संगत तथा धर्ममय है; [QE][QS2]मुझे सतानेवालों के सामने न छोड़ दीजिएगा. [QE]
122. [QS]अपने सेवक का हित निश्चित कर दीजिए; [QE][QS2]अहंकारियों को मुझ पर अत्याचार न करने दीजिए. [QE]
123. [QS]आपके उद्धार की प्रतीक्षा में, [QE][QS2]आपकी निष्ठ प्रतिज्ञाओं की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं. [QE]
124. [QS]अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप अपने सेवक से व्यवहार कीजिए [QE][QS2]और मुझे अपने अधिनियमों की शिक्षा दीजिए. [QE]
125. [QS]मैं आपका सेवक हूं, मुझे समझ प्रदान कीजिए, [QE][QS2]कि मैं आपकी विधियों को समझ सकूं. [QE]
126. [QS]याहवेह, आपके नियम तोड़े जा रहे हैं; [QE][QS2]समय आ गया है कि आप अपना कार्य करें. [QE]
127. [QS]इसलिये कि मुझे आपके आदेश स्वर्ण से अधिक प्रिय हैं, [QE][QS2]शुद्ध कुन्दन से अधिक, [QE]
128. [QS]मैं आपके उपदेशों को धर्ममय मानता हूं, [QE][QS2]तब मुझे हर एक गलत मार्ग से घृणा है. [QE]
129. {פ पे } [QS]अद्भुत हैं आपके अधिनियम; [QE][QS2]इसलिये मैं उनका पालन करता हूं. [QE]
130. [QS]आपके वचन के खुलने से ज्योति उत्पन्न होती है; [QE][QS2]परिणामस्वरूप भोले पुरुषों को सबुद्धि प्राप्त होती है. [QE]
131. [QS]मेरा मुख खुला है और मैं हांफ रहा हूं, [QE][QS2]क्योंकि मुझे प्यास है आपके आदेशों की. [QE]
132. [QS]मेरी ओर ध्यान दीजिए और मुझ पर कृपा कीजिए, [QE][QS2]जैसी आपकी नीति उनके प्रति है, जिन्हें आपसे प्रेम है. [QE]
133. [QS]अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मेरे पांव को स्थिर कर दीजिए; [QE][QS2]कोई भी दुष्टता मुझ पर प्रभुता न करने पाए. [QE]
134. [QS]मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा लीजिए, [QE][QS2]कि मैं आपके उपदेशों का पालन कर सकूं. [QE]
135. [QS]अपने सेवक पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए [QE][QS2]और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए. [QE]
136. [QS]मेरी आंखों से अश्रुप्रवाह हो रहा है, [QE][QS2]क्योंकि लोग आपकी व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे. [QE]
137. {צ त्सादे } [QS]याहवेह, आप धर्मी हैं, [QE][QS2]सच्चे हैं आपके नियम. [QE]
138. [QS]जो अधिनियम आपने प्रगट किए हैं, वे धर्ममय हैं; [QE][QS2]वे हर एक दृष्टिकोण से विश्वासयोग्य हैं. [QE]
139. [QS]मैं भस्म हो रहा हूं, [QE][QS2]क्योंकि मेरे शत्रु आपके वचनों को भूल गए हैं. [QE]
140. [QS]आपकी प्रतिज्ञाओं का उचित परीक्षण किया जा चुका है, [QE][QS2]वे आपके सेवक को अत्यंत प्रिय हैं. [QE]
141. [QS]यद्यपि मैं छोटा, यहां तक कि लोगों की दृष्टि में घृणास्पद हूं, [QE][QS2]फिर भी मैं आपके अधिनियमों को नहीं भूलता. [QE]
142. [QS]अनंत है आपकी धार्मिकता, परमेश्वर [QE][QS2]तथा यथार्थ है आपकी व्यवस्था. [QE]
143. [QS]क्लेश और संकट मुझ पर टूट पड़े हैं, [QE][QS2]किंतु आपके आदेश मुझे मगन रखे हुए हैं. [QE]
144. [QS]आपके अधिनियम सदा-सर्वदा धर्ममय ही प्रमाणित हुए हैं; [QE][QS2]मुझे इनके विषय में ऐसी समझ प्रदान कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं. [QE]
145. {ק क़ौफ़ } [QS]याहवेह, मैं संपूर्ण हृदय से आपको पुकार रहा हूं, [QE][QS2]मुझे उत्तर दीजिए, कि मैं आपकी विधियों का पालन कर सकूं. [QE]
146. [QS]मैं आपको पुकार रहा हूं; मेरी रक्षा कीजिए, [QE][QS2]कि मैं आपके अधिनियमों का पालन कर सकूं. [QE]
147. [QS]मैं सूर्योदय से पूर्व ही जाग कर सहायता के लिये पुकारता हूं; [QE][QS2]मेरी आशा आपके वचन पर आधारित है. [QE]
148. [QS]रात्रि के समस्त प्रहरों में मेरी आंखें खुली रहती हैं, [QE][QS2]कि मैं आपकी प्रतिज्ञाओं पर मनन कर सकूं. [QE]
149. [QS]अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरी पुकार सुनिए; [QE][QS2]याहवेह, अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए. [QE]
150. [QS]जो मेरे विरुद्ध बुराई की युक्ति रच रहे हैं, मेरे निकट आ गए हैं, [QE][QS2]किंतु वे आपकी व्यवस्था से दूर हैं. [QE]
151. [QS]फिर भी, याहवेह, आप मेरे निकट हैं, [QE][QS2]और आपके सभी आदेश प्रामाणिक हैं. [QE]
152. [QS]अनेक-अनेक वर्ष पूर्व मैंने आपके अधिनियमों से यह अनुभव कर लिया था [QE][QS2]कि आपने इनकी स्थापना ही इसलिये की है कि ये सदा-सर्वदा स्थायी बने रहें. [QE]
153. {ר रेश } [QS]मेरे दुःख पर ध्यान दीजिए और मुझे इससे बचा लीजिए, [QE][QS2]क्योंकि आपकी व्यवस्था को मैं भुला नहीं. [QE]
154. [QS]मेरे पक्ष का समर्थन करके मेरा उद्धार कीजिए; [QE][QS2]अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए. [QE]
155. [QS]कठिन है दुष्टों का उद्धार होना, [QE][QS2]क्योंकि उन्हें आपकी विधियों की महानता ही ज्ञात नहीं. [QE]
156. [QS]याहवेह, अनुपम है आपकी मनोहरता; [QE][QS2]अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए. [QE]
157. [QS]मेरे सतानेवाले तथा शत्रु अनेक हैं, [QE][QS2]किंतु मैं आपके अधिनियमों से दूर नहीं हुआ हूं. [QE]
158. [QS]विश्वासघाती आपके आदेशों का पालन नहीं करते, [QE][QS2]तब मेरी दृष्टि में वे घृणास्पद हैं. [QE]
159. [QS]आप ही देख लीजिए: कितने प्रिय हैं मुझे आपके नीति-सिद्धांत; [QE][QS2]याहवेह, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए. [QE]
160. [QS]वस्तुतः सत्य आपके वचन का सार है; [QE][QS2]तथा आपके धर्ममय नियम सदा-सर्वदा स्थायी रहते हैं. [QE]
161. {ש शीन } [QS]प्रधान मुझे बिना किसी कारण के दुःखित कर रहे हैं, [QE][QS2]किंतु आपके वचन का ध्यान कर मेरा हृदय कांप उठता है. [QE]
162. [QS]आपकी प्रतिज्ञाओं से मुझे ऐसा उल्लास प्राप्त होता है; [QE][QS2]जैसा किसी को बड़ी लूट प्राप्त हुई है. [QE]
163. [QS]झूठ से मुझे घृणा है, बैर है [QE][QS2]किंतु मुझे प्रेम है आपकी व्यवस्था से. [QE]
164. [QS]आपकी धर्ममय व्यवस्था का [QE][QS2]ध्यान कर मैं दिन में सात-सात बार आपका स्तवन करता हूं. [QE]
165. [QS]जिन्हें आपकी व्यवस्था से प्रेम है, उनको बड़ी शांति मिलती रहती है, [QE][QS2]वे किसी रीति से विचलित नहीं हो सकते. [QE]
166. [QS]याहवेह, मैं आपके उद्धार का प्रत्याशी हूं, [QE][QS2]मैं आपके आदेशों का पालन करता हूं. [QE]
167. [QS]मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं, [QE][QS2]क्योंकि वे मुझे अत्यंत प्रिय हैं. [QE]
168. [QS]मैं आपके उपदेशों तथा नियमों का पालन करता हूं, [QE][QS2]आपके सामने मेरा संपूर्ण आचरण प्रगट है. [QE]
169. {ת ताव } [QS]याहवेह, मेरी पुकार आप तक पहुंचे; [QE][QS2]मुझे अपने वचन को समझने की क्षमता प्रदान कीजिए. [QE]
170. [QS]मेरा गिड़गिड़ाना आप तक पहुंचे; [QE][QS2]अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करते हुए मुझे छुड़ा लीजिए. [QE]
171. [QS]मेरे होंठों से आपका स्तवन छलक उठे, [QE][QS2]क्योंकि आपने मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दी है. [QE]
172. [QS]मेरी जीभ आपके वचन का गान करेगी, [QE][QS2]क्योंकि आपके सभी आदेश आदर्श हैं. [QE]
173. [QS]आपकी भुजा मेरी सहायता के लिए तत्पर रहे, [QE][QS2]मैंने आपके उपदेशों को अपनाया है. [QE]
174. [QS]आपसे उद्धार की प्राप्ति की मुझे उत्कंठा है, [QE][QS2]याहवेह, आपकी व्यवस्था में मेरा आनंद है. [QE]
175. [QS]मुझे आयुष्मान कीजिए कि मैं आपका स्तवन करता रहूं, [QE][QS2]और आपकी व्यवस्था मुझे संभाले रहे. [QE]
176. [QS]मैं खोई हुई भेड़ के समान हो गया था. [QE][QS2]आप ही अपने सेवक को खोज लीजिए, [QE][QS2]क्योंकि मैं आपके आदेशों को भूला नहीं. [QE]