पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
भजन संहिता
1. [QS]“मेरे बचपन से वे मुझ पर घोर अत्याचार करते आए हैं,” [QE][QS2]इस्राएल राष्ट्र यही कहे; [QE]
2. [QS]“मेरे बचपन से वे मुझ पर घोर अत्याचार करते आए हैं, [QE][QS2]किंतु वे मुझ पर प्रबल न हो सके हैं. [QE]
3. [QS]हल चलानेवालों ने मेरे पीठ पर हल चलाया है, [QE][QS2]और लम्बी-लम्बी हल रेखाएं खींच दी हैं. [QE]
4. [QS]किंतु याहवेह युक्त है; [QE][QS2]उन्हीं ने मुझे दुष्टों के बंधनों से मुक्त किया है.” [QE][PBR]
5. [QS]वे सभी, जिन्हें ज़ियोन से बैर है, [QE][QS2]लज्जित हो लौट जाएं. [QE]
6. [QS]उनकी नियति भी वही हो, जो घर की छत पर उग आई घास की होती है, [QE][QS2]वह विकसित होने के पूर्व ही मुरझा जाती है; [QE]
7. [QS]किसी के हाथों में कुछ भी नहीं आता, [QE][QS2]और न उसकी पुलियां बांधी जा सकती हैं. [QE]
8. [QS]आते जाते पुरुष यह कभी न कह पाएं, [QE][QS2]“तुम पर याहवेह की कृपादृष्टि हो; [QE][QS2]हम याहवेह के नाम में तुम्हारे लिए मंगल कामना करते हैं.” [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 129 / 150
1 “मेरे बचपन से वे मुझ पर घोर अत्याचार करते आए हैं,” इस्राएल राष्ट्र यही कहे; 2 “मेरे बचपन से वे मुझ पर घोर अत्याचार करते आए हैं, किंतु वे मुझ पर प्रबल न हो सके हैं. 3 हल चलानेवालों ने मेरे पीठ पर हल चलाया है, और लम्बी-लम्बी हल रेखाएं खींच दी हैं. 4 किंतु याहवेह युक्त है; उन्हीं ने मुझे दुष्टों के बंधनों से मुक्त किया है.” 5 वे सभी, जिन्हें ज़ियोन से बैर है, लज्जित हो लौट जाएं. 6 उनकी नियति भी वही हो, जो घर की छत पर उग आई घास की होती है, वह विकसित होने के पूर्व ही मुरझा जाती है; 7 किसी के हाथों में कुछ भी नहीं आता, और न उसकी पुलियां बांधी जा सकती हैं. 8 आते जाते पुरुष यह कभी न कह पाएं, “तुम पर याहवेह की कृपादृष्टि हो; हम याहवेह के नाम में तुम्हारे लिए मंगल कामना करते हैं.”
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 129 / 150
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