1. [QS]मूर्ख[* मूर्ख स्तोत्र संहिता के मुताबिक वह जिसमें नैतिकता की कमी है ] मन ही मन में कहते हैं, [QE][QS2]“परमेश्वर है ही नहीं.” [QE][QS]वे सभी भ्रष्ट हैं और उनके काम घिनौने हैं; [QE][QS2]ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता हो. [QE][PBR]
2. [QS]स्वर्ग से याहवेह [QE][QS2]मनुष्यों पर दृष्टि डालते हैं [QE][QS]इस आशा में कि कोई तो होगा, जो बुद्धिमान है, [QE][QS2]जो परमेश्वर की खोज करता हो. [QE]
3. [QS]सभी मनुष्य भटक गए हैं, सभी नैतिक रूप से भ्रष्ट हो चुके हैं; [QE][QS2]कोई भी सत्कर्म परोपकार नहीं करता, [QE][QS2]हां, एक भी नहीं. [QE][PBR]
4. [QS]मेरी प्रजा के ये भक्षक, ये दुष्ट पुरुष, क्या ऐसे निर्बुद्धि हैं? [QE][PBR] [QS]जो उसे ऐसे खा जाते हैं, जैसे रोटी को; [QE][QS2]क्या उन्हें याहवेह की उपासना का कोई ध्यान नहीं? [QE]
5. [QS]वहां वे अत्यंत घबरा गये हैं, [QE][QS2]क्योंकि परमेश्वर धर्मी पीढ़ी के पक्ष में होते हैं. [QE]
6. [QS]तुम दुःखित को लज्जित करने की युक्ति कर रहे हो, [QE][QS2]किंतु उनका आश्रय याहवेह हैं. [QE][PBR]
7. [QS]कैसा उत्तम होता यदि इस्राएल का उद्धार ज़ियोन से प्रगट होता! [QE][QS2]याकोब के लिए वह हर्षोल्लास का अवसर होगा, [QE][QS2]जब याहवेह अपनी प्रजा को दासत्व से लौटा लाएंगे, तब इस्राएल आनंदित हो जाएगा! [QE]