1. [QS]परमेश्वर, मेरे महाराजा, मैं आपका स्तवन करता हूं; [QE][QS2]मैं सदा-सर्वदा आपके नाम का गुणगान करूंगा. [QE]
2. [QS]प्रतिदिन मैं आपकी वंदना करूंगा, [QE][QS2]मैं सदा-सर्वदा आपके नाम का गुणगान करूंगा. [QE][PBR]
3. [QS]सर्वोच्च हैं याहवेह, स्तुति के सर्वाधिक योग्य; [QE][QS2]अगम है उनकी सर्वोच्चता. [QE]
4. [QS]आपके कार्य एक पीढ़ी से दूसरी को बताए जाएंगे; [QE][QS2]वे आपके महाकार्य की उद्घोषणा करेंगे. [QE]
5. [QS]आपकी प्रभुसत्ता के भव्य प्रताप पर [QE][QS2]तथा आपके अद्भुत कार्यों पर मैं मनन करता रहूंगा. [QE]
6. [QS]मनुष्य आपके अद्भुत कार्यों की सामर्थ्य की घोषणा करेंगे, [QE][QS2]मैं आपके महान कार्यों की उद्घोषणा करूंगा. [QE]
7. [QS]लोग आपकी बड़ी भलाई की कीर्ति का वर्णन करेंगे [QE][QS2]तथा उच्च स्वर में आपकी धार्मिकता का गुणगान करेंगे. [QE][PBR]
8. [QS]याहवेह उदार एवं कृपालु हैं, [QE][QS2]वह शीघ्र क्रोधित नहीं होते और बड़ी है उनकी करुणा. [QE][PBR]
9. [QS]याहवेह सभी के प्रति भले हैं; [QE][QS2]तथा उनकी कृपा उनकी हर एक कृति पर स्थिर रहती है. [QE]
10. [QS]याहवेह, आपके द्वारा बनाए गए समस्त सृष्टि आपके प्रति आभार व्यक्त करेंगे, [QE][QS2]और आपके समस्त सात्विक आपका स्तवन करेंगे. [QE]
11. [QS]वे आपके साम्राज्य की महिमा का वर्णन [QE][QS2]तथा आपके सामर्थ्य की उद्घोषणा करेंगे. [QE]
12. [QS]कि समस्त मनुष्यों को आपके महाकार्य ज्ञात हो जाएं [QE][QS2]और उन्हें आपके साम्राज्य के अप्रतिम वैभव का बोध हो जाए. [QE]
13. [QS]आपका साम्राज्य अनंत साम्राज्य है, [QE][QS2]तथा आपका प्रभुत्व पीढ़ी से पीढ़ी बना रहता है. [QE][PBR] [QS]याहवेह अपनी समस्त प्रतिज्ञाओं में निष्ठ हैं; [QE][QS2]उनके समस्त कार्यों में उनकी कृपा बनी रहती है. [QE]
14. [QS]उन सभी को, जो गिरने पर होते हैं, याहवेह संभाल लेते हैं [QE][QS2]और जो झुके जा रहे हैं, उन्हें वह थाम कर सीधे खड़ा कर देते हैं. [QE]
15. [QS]सभी की दृष्टि अपेक्षा में आपकी ओर लगी रहती है, [QE][QS2]और आप उपयुक्त अवसर पर उन्हें आहार प्रदान करते हैं. [QE]
16. [QS]आप अपना हाथ उदारतापूर्वक खोलते हैं; [QE][QS2]आप हर एक जीवित प्राणी की इच्छा को पूरी करते हैं. [QE][PBR]
17. [QS]याहवेह अपनी समस्त नीतियों में सीधे हैं, [QE][QS2]उनकी सभी गतिविधियों में सच्चा हैं. [QE]
18. [QS]याहवेह उन सभी के निकट होते हैं, जो उन्हें पुकारते हैं, [QE][QS2]उनके निकट, जो सच्चाई में उन्हें पुकारते हैं. [QE]
19. [QS]वह अपने श्रद्धालुओं की अभिलाषा पूर्ण करते हैं; [QE][QS2]वह उनकी पुकार सुनकर उनकी रक्षा भी करते हैं. [QE]
20. [QS]याहवेह उन सभी की रक्षा करते हैं, जिन्हें उनसे प्रेम है, [QE][QS2]किंतु वह दुष्टों को नष्ट कर देंगे. [QE][PBR]
21. [QS]मेरा मुख याहवेह का गुणगान करेगा. [QE][QS2]सभी सदा-सर्वदा [QE][QS2]उनके पवित्र नाम का स्तवन करते रहें. [QE]