1. [QS]याहवेह, मेरा न्याय संगत, अनुरोध सुनिए; [QE][QS2]मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए. [QE][QS]मेरी प्रार्थना को सुन लीजिए, [QE][QS2]जो कपटी होंठों से निकले शब्द नहीं हैं. [QE]
2. [QS]आपके द्वारा मेरा न्याय किया जाए; [QE][QS2]आपकी दृष्टि में वही आए जो धर्ममय है. [QE][PBR]
3. [QS]आप मेरे हृदय को परख चुके हैं, [QE][QS2]रात्रि में आपने मेरा ध्यान रखा है, [QE][QS]आपने मुझे परखकर निर्दोष पाया है; [QE][QS2]मैंने यह निश्चय किया है कि मेरे मुख से कोई अपराध न होगा. [QE]
4. [QS]मनुष्यों के आचरण के संदर्भ में, [QE][QS2]ठीक आपके ही आदेश के अनुरूप [QE][QS2]मैं हिंसक मनुष्यों के मार्गों से दूर ही दूर रहा हूं. [QE]
5. [QS]मेरे पांव आपके मार्गों पर दृढ़ रहें; [QE][QS2]और मेरे पांव लड़खड़ाए नहीं. [QE][PBR]
6. [QS]मैंने आपको ही पुकारा है, क्योंकि परमेश्वर, आप मुझे उत्तर देंगे; [QE][QS2]मेरी ओर कान लगाकर मेरी बिनती को सुनिए. [QE]
7. [QS]अपने शत्रुओं के पास से आपके दायें पक्ष [QE][QS2]में आए हुए शरणागतों के रक्षक, [QE][QS2]उन पर अपने करुणा-प्रेम[* करुणा-प्रेम ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं ] का आश्चर्य प्रदर्शन कीजिए. [QE]
8. [QS]अपने आंखों की पुतली के समान मेरी सुरक्षा कीजिए; [QE][QS2]अपने पंखों की आड़ में मुझे छिपा लीजिए [QE]
9. [QS]उन दुष्टों से, जो मुझ पर प्रहार करते रहते हैं, [QE][QS2]उन प्राणघातक शत्रुओं से, जिन्होंने मुझे घेर लिया है. [QE][PBR]
10. [QS]उनके हृदय कठोर हो चुके हैं, [QE][QS2]उनके शब्द घमंडी हैं. [QE]
11. [QS]वे मेरा पीछा करते रहे हैं और अब उन्होंने मुझे घेर लिया है. [QE][QS2]उनकी आंखें मुझे खोज रही हैं, कि वे मुझे धरती पर पटक दें. [QE]
12. [QS]वह उस सिंह के समान है जो फाड़ खाने को तत्पर है, [QE][QS2]उस जवान सिंह के समान जो घात लगाए छिपा बैठा है. [QE][PBR]
13. [QS]उठिए, याहवेह, उसका सामना कीजिए, उसे नाश कीजिए; [QE][QS2]अपनी तलवार के द्वारा दुर्जन से मेरे प्राण बचा लीजिए, [QE]
14. [QS]याहवेह, अपने हाथों द्वारा, उन मनुष्यों से, उन सांसारिक मनुष्यों से [QE][QS2]जिनका भाग मात्र इसी जीवन में मगन है. [QE][QS]उनका पेट आप अपनी निधि से परिपूर्ण कर देते हैं; [QE][QS2]संतान पाकर वे प्रसन्न हैं, [QE][QS2]और वे अपनी समृद्धि अपनी संतान के लिए छोड़ जाते हैं. [QE][PBR]
15. [QS]अपनी धार्मिकता के कारण मैं आपके मुख का दर्शन करूंगा; [QE][QS2]जब मैं प्रातः आंखें खोलूं, तो आपके स्वरूप का दर्शन मुझे आनंद से तृप्त कर देगा. [QE]