पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. [QS]क्यों मचा रहे हैं राष्ट्र यह खलबली? [QE][QS2]क्यों देश-देश जुटे हैं विफल षड़्‍यंत्र की रचना में? [QE]
2. [QS]याहवेह तथा उनके अभिषिक्त के विरोध में [QE][QS2]संसार के राजाओं ने एका किया है [QE][QS2]एकजुट होकर शासक सम्मति कर रहे हैं: [QE]
3. [QS]“चलो, तोड़ फेंकें उनके द्वारा डाली गई ये बेड़ियां, [QE][QS2]उतार डालें उनके द्वारा बांधी गई ये रस्सियां.” [QE][PBR]
4. [QS]वह, जो स्वर्गिक सिंहासन पर विराजमान हैं, [QE][QS2]उन पर हंसते हैं, प्रभु उनका उपहास करते हैं. [QE]
5. [QS]तब वह उन्हें अपने प्रकोप से डराकर अपने रोष में [QE][QS2]उन्हें संबोधित करते हैं, [QE]
6. [QS]“अपने पवित्र पर्वत ज़ियोन पर स्वयं [QE][QS2]मैंने अपने राजा को बसा दिया है.” [QE]
7. [PS]मैं याहवेह की राजाज्ञा की घोषणा करूंगा: [QE][QS]उन्होंने मुझसे कहा है, “तुम मेरे पुत्र हो; [QE][QS2]आज मैं तुम्हारा जनक हो गया हूं. [QE]
8. [QS]मुझसे मांगो, [QE][QS2]तो मैं तुम्हें राष्ट्र दे दूंगा तथा संपूर्ण पृथ्वी को [QE][QS2]तुम्हारी निज संपत्ति बना दूंगा. [QE]
9. [QS]तुम उन्हें लोहे के छड़ से टुकड़े-टुकड़े कर डालोगे; [QE][QS2]मिट्टी के पात्रों समान चूर-चूर कर दोगे.” [QE][PBR]
10. [QS]तब राजाओ, बुद्धिमान बनो; [QE][QS2]पृथ्वी के न्यायियों, सचेत हो जाओ. [QE]
11. [QS]श्रद्धा भाव में याहवेह की आराधना करो; [QE][QS2]थरथराते हुए आनंद मनाओ. [QE]
12. [QS]पूर्ण सच्चाई में पुत्र को सम्मान दो, ऐसा न हो कि वह क्रोधित हो जाए [QE][QS2]और तुम मार्ग में ही नष्ट हो जाओ, [QE][QS]क्योंकि उसका क्रोध शीघ्र भड़कता है. [QE][QS2]धन्य होते हैं वे सभी, जो उनका आश्रय लेते हैं. [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 2 / 150
1 क्यों मचा रहे हैं राष्ट्र यह खलबली? क्यों देश-देश जुटे हैं विफल षड़्‍यंत्र की रचना में? 2 याहवेह तथा उनके अभिषिक्त के विरोध में संसार के राजाओं ने एका किया है एकजुट होकर शासक सम्मति कर रहे हैं: 3 “चलो, तोड़ फेंकें उनके द्वारा डाली गई ये बेड़ियां, उतार डालें उनके द्वारा बांधी गई ये रस्सियां.” 4 वह, जो स्वर्गिक सिंहासन पर विराजमान हैं, उन पर हंसते हैं, प्रभु उनका उपहास करते हैं. 5 तब वह उन्हें अपने प्रकोप से डराकर अपने रोष में उन्हें संबोधित करते हैं, 6 “अपने पवित्र पर्वत ज़ियोन पर स्वयं मैंने अपने राजा को बसा दिया है.” 7 मैं याहवेह की राजाज्ञा की घोषणा करूंगा: उन्होंने मुझसे कहा है, “तुम मेरे पुत्र हो; आज मैं तुम्हारा जनक हो गया हूं. 8 मुझसे मांगो, तो मैं तुम्हें राष्ट्र दे दूंगा तथा संपूर्ण पृथ्वी को तुम्हारी निज संपत्ति बना दूंगा. 9 तुम उन्हें लोहे के छड़ से टुकड़े-टुकड़े कर डालोगे; मिट्टी के पात्रों समान चूर-चूर कर दोगे.” 10 तब राजाओ, बुद्धिमान बनो; पृथ्वी के न्यायियों, सचेत हो जाओ. 11 श्रद्धा भाव में याहवेह की आराधना करो; थरथराते हुए आनंद मनाओ. 12 पूर्ण सच्चाई में पुत्र को सम्मान दो, ऐसा न हो कि वह क्रोधित हो जाए और तुम मार्ग में ही नष्ट हो जाओ, क्योंकि उसका क्रोध शीघ्र भड़कता है. धन्य होते हैं वे सभी, जो उनका आश्रय लेते हैं.
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