पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
भजन संहिता
1. [QS]याहवेह, मैं आपको पुकार रहा हूं; [QE][QS2]आप मेरी सुरक्षा की चट्टान हैं, [QE][QS2]मेरी अनसुनी न कीजिए. [QE][QS]कहीं ऐसा न हो कि आपके प्रत्युत्तर न देने पर मैं उनके समान हो जाऊं, [QE][QS2]जो मृतक लोक में उतर रहे हैं. [QE]
2. [QS]जब मैं परम पवित्र स्थान [QE][QS2]की ओर अपने हाथ उठाऊं, [QE][QS]जब मैं सहायता के लिए आपको पुकारूं, [QE][QS2]तो मेरी पुकार सुन लीजिए. [QE][PBR]
3. [QS]दुष्टों के लिए निर्धारित दंड में मुझे सम्मिलित न कीजिए, [QE][QS2]वे अधर्म करते रहते हैं, [QE][QS]पड़ोसियों के साथ उनका वार्तालाप अत्यंत मेल-मिलाप का होता है [QE][QS2]किंतु उनके हृदय में उनके लिए बुराई की युक्तियां ही उपजती रहती हैं. [QE]
4. [QS]उन्हें उनके आचरण के अनुकूल ही प्रतिफल दीजिए, [QE][QS2]उन्होंने जो कुछ किया है बुराई की है; [QE][QS]उन्हें उनके सभी कार्यों के अनुरूप दंड दीजिए, [QE][QS2]उन्हें वही दंड दीजिए, जिसके वे अधिकारी हैं. [QE][PBR]
5. [QS]क्योंकि याहवेह के महाकार्य का, [QE][QS2]याहवेह की कृतियों के लिए ही, उनकी दृष्टि में कोई महत्व नहीं! [QE][QS]याहवेह उन्हें नष्ट कर देंगे, [QE][QS2]इस रीति से कि वे कभी उठ न पाएंगे. [QE][PBR]
6. [QS]याहवेह का स्तवन हो, [QE][QS2]उन्होंने सहायता के लिए मेरी पुकार सुन ली है. [QE]
7. [QS]याहवेह मेरा बल एवं मेरी ढाल हैं; [QE][QS2]उन पर ही मेरा भरोसा है, उन्होंने मेरी सहायता की है. [QE][QS]मेरा हृदय हर्षोल्लास में उछल रहा है, [QE][QS2]मैं अपने गीत के द्वारा उनके लिए आभार व्यक्त करूंगा. [QE][PBR]
8. [QS]याहवेह अपनी प्रजा का बल हैं, [QE][QS2]अपने अभिषिक्त के लिए उद्धार का दृढ़ गढ़ हैं. [QE]
9. [QS]आप अपनी मीरास को उद्धार प्रदान कीजिए और उसे आशीष दीजिए; [QE][QS2]उनके चरवाहा होकर उन्हें सदा-सर्वदा संभालते रहिए. [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 28 / 150
1 याहवेह, मैं आपको पुकार रहा हूं; आप मेरी सुरक्षा की चट्टान हैं, मेरी अनसुनी न कीजिए. कहीं ऐसा न हो कि आपके प्रत्युत्तर न देने पर मैं उनके समान हो जाऊं, जो मृतक लोक में उतर रहे हैं. 2 जब मैं परम पवित्र स्थान की ओर अपने हाथ उठाऊं, जब मैं सहायता के लिए आपको पुकारूं, तो मेरी पुकार सुन लीजिए. 3 दुष्टों के लिए निर्धारित दंड में मुझे सम्मिलित न कीजिए, वे अधर्म करते रहते हैं, पड़ोसियों के साथ उनका वार्तालाप अत्यंत मेल-मिलाप का होता है किंतु उनके हृदय में उनके लिए बुराई की युक्तियां ही उपजती रहती हैं. 4 उन्हें उनके आचरण के अनुकूल ही प्रतिफल दीजिए, उन्होंने जो कुछ किया है बुराई की है; उन्हें उनके सभी कार्यों के अनुरूप दंड दीजिए, उन्हें वही दंड दीजिए, जिसके वे अधिकारी हैं. 5 क्योंकि याहवेह के महाकार्य का, याहवेह की कृतियों के लिए ही, उनकी दृष्टि में कोई महत्व नहीं! याहवेह उन्हें नष्ट कर देंगे, इस रीति से कि वे कभी उठ न पाएंगे. 6 याहवेह का स्तवन हो, उन्होंने सहायता के लिए मेरी पुकार सुन ली है. 7 याहवेह मेरा बल एवं मेरी ढाल हैं; उन पर ही मेरा भरोसा है, उन्होंने मेरी सहायता की है. मेरा हृदय हर्षोल्लास में उछल रहा है, मैं अपने गीत के द्वारा उनके लिए आभार व्यक्त करूंगा. 8 याहवेह अपनी प्रजा का बल हैं, अपने अभिषिक्त के लिए उद्धार का दृढ़ गढ़ हैं. 9 आप अपनी मीरास को उद्धार प्रदान कीजिए और उसे आशीष दीजिए; उनके चरवाहा होकर उन्हें सदा-सर्वदा संभालते रहिए.
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