1. [QS]धन्य है वह मनुष्य, जो दरिद्र एवं दुर्बल की सुधि लेता है; [QE][QS2]याहवेह विपत्ति की स्थिति से उसका उद्धार करते हैं. [QE]
2. [QS]याहवेह उसे सुरक्षा प्रदान कर उसके जीवन की रक्षा करेंगे. [QE][QS2]वह अपने देश में आशीषित होगा. [QE][QS2]याहवेह उसे उसके शत्रुओं की इच्छापूर्ति के लिए नहीं छोड़ देंगे. [QE]
3. [QS]रोगशय्या पर याहवेह उसे संभालते रहेंगे, [QE][QS2]और उसे पुनःस्वस्थ करेंगे. [QE][PBR]
4. [QS]मैंने पुकारा, “याहवेह, मुझ पर कृपा कीजिए; [QE][QS2]यद्यपि मैंने आपके विरुद्ध पाप किया है, फिर भी मुझे रोगमुक्त कीजिए.” [QE]
5. [QS]बुराई भाव में मेरे शत्रु मेरे विषय में कामना करते हैं, [QE][QS2]“कब मरेगा वह और कब उसका नाम मिटेगा?” [QE]
6. [QS]जब कभी उनमें से कोई मुझसे भेंट करने आता है, [QE][QS2]वह खोखला दिखावा मात्र करता है, जबकि मन ही मन वह मेरे विषय में अधर्म की बातें संचय करता है; [QE][QS2]बाहर जाकर वह इनके आधार पर मेरी निंदा करता है. [QE][PBR]
7. [QS]मेरे समस्त शत्रु मिलकर मेरे विरुद्ध में कानाफूसी करते रहते हैं; [QE][QS2]वे मेरे संबंध में बुराई की योजना सोचते रहते हैं. [QE]
8. [QS]वे कहते हैं, “उसे एक घृणित रोग का संक्रमण हो गया है; [QE][QS2]अब वह इस रोगशय्या से कभी उठ न सकेगा.” [QE]
9. [QS]यहां तक कि जो मेरा परम मित्र था, [QE][QS2]जिस पर मैं भरोसा करता था, [QE][QS]जिसके साथ मैं भोजन करता था, [QE][QS2]उसी ने मुझ पर लात उठाई है. [QE][PBR]
10. [QS]किंतु याहवेह, आप मुझ पर कृपा करें; [QE][QS2]मुझमें पुनः बल-संचार करें कि मैं उनसे प्रतिशोध ले सकूं. [QE]
11. [QS]इसलिये कि मेरा शत्रु मुझे नाश न कर सका, [QE][QS2]मैं समझ गया हूं कि आप मुझसे अप्रसन्न नहीं हैं. [QE]
12. [QS]मेरी सच्चाई के कारण मुझे स्थिर रखते हुए, [QE][QS2]सदा-सर्वदा के लिए अपनी उपस्थिति में मुझे बसा लीजिए. [QE][PBR] [PBR]
13. [QS]सर्वदा से सर्वदा तक इस्राएल के परमेश्वर, [QE][QS2]याहवेह का स्तवन होता रहे. [QE][QCS]आमेन और आमेन. [QCE]