पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
भजन संहिता
3. {#3द्वितीय पुस्तक [BR]स्तोत्र 42–72 }[PS]*संगीत निर्देशक के लिये. कोराह के पुत्रों की [US]मसकील[UE][* शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द ] गीत रचना. *[PE][QS]जैसे हिरणी को बहते झरनों की उत्कट लालसा होती है, [QE][QS2]वैसे ही परमेश्वर, मेरे प्राण को आपकी लालसा रहती है. [QE]
2. [QS]मेरा प्राण परमेश्वर के लिए, हां, जीवन्त परमेश्वर के लिए प्यासा है. [QE][QS2]मैं कब जाकर परमेश्वर से भेंट कर सकूंगा? [QE]
3. [QS]दिन और रात, [QE][QS2]मेरे आंसू ही मेरा आहार बन गए हैं. [QE][QS]सारे दिन लोग मुझसे एक ही प्रश्न कर रहे हैं, [QE][QS2]“कहां है तुम्हारा परमेश्वर?” [QE]
4. [QS]जब मैं अपने प्राण आपके सम्मुख उंडेल रहा हूं, [QE][QS2]मुझे उन सारी घटनाओं का स्मरण आ रहा है; [QE][QS]क्योंकि मैं ही परमेश्वर के भवन की ओर अग्रगामी, [QE][QS2]विशाल जनसमूह की शोभायात्रा का अधिनायक हुआ करता था. [QE][QS]उस समय उत्सव के वातावरण में जय जयकार [QE][QS2]तथा धन्यवाद की ध्वनि गूंज रही होती थी. [QE][PBR]
5. [QS]मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो? [QE][QS2]क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो? [QE][QS]परमेश्वर पर भरोसा रखो, [QE][QS2]क्योंकि यह सब होने पर मैं पुनः उनकी उपस्थिति [QE][QS2]के आश्वासन के लिए उनका स्तवन करूंगा. [QE][PBR]
6. [QS]मेरे परमेश्वर! मेरे अंदर खिन्‍न है मेरा प्राण; [QE][QS2]तब मैं यरदन प्रदेश से तथा हरमोन, [QE][QS]मित्सार पर्वत से [QE][QS2]आपका स्मरण करूंगा. [QE]
7. [QS]आपके झरने की गर्जना के ऊपर से [QE][QS2]सागर सागर का आह्वान करता है; [QE][QS]सागर की लहरें तथा तट पर टकराती लहरें [QE][QS2]मुझ पर होती हुई निकल गईं. [QE][PBR]
8. [QS]दिन के समय याहवेह अपना करुणा-प्रेम प्रगट करते हैं, [QE][QS2]रात्रि में उनका गीत जो मेरे जीवन के लिए परमेश्वर को संबोधित [QE][QS2]एक प्रार्थना है, उसे मैं गाया करूंगा. [QE][PBR]
9. [QS]परमेश्वर, मेरी चट्टान[† अर्थात् आश्रय ] से मैं प्रश्न करूंगा, [QE][QS2]“आप मुझे क्यों भूल गए? [QE][QS]मेरे शत्रुओं द्वारा दी जा रही यातनाओं के कारण, [QE][QS2]क्यों मुझे शोकित होना पड़ रहा है?” [QE]
10. [QS]जब सारे दिन मेरे दुश्मन [QE][QS2]यह कहते हुए मुझ पर ताना मारते हैं, [QE][QS]“कहां है तुम्हारा परमेश्वर?” [QE][QS2]तब मेरी हड्डियां मृत्यु वेदना सह रहीं हैं. [QE][PBR]
11. [QS]मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो? [QE][QS2]क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो? [QE][QS]परमेश्वर पर भरोसा रखो, [QE][QS2]क्योंकि यह सब होते हुए भी [QE][QS2]मैं याहवेह का स्तवन करूंगा. [QE]
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द्वितीय पुस्तक
स्तोत्र 42–72

3 *संगीत निर्देशक के लिये. कोराह के पुत्रों की मसकील* शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द गीत रचना. *जैसे हिरणी को बहते झरनों की उत्कट लालसा होती है, वैसे ही परमेश्वर, मेरे प्राण को आपकी लालसा रहती है. 2 मेरा प्राण परमेश्वर के लिए, हां, जीवन्त परमेश्वर के लिए प्यासा है. मैं कब जाकर परमेश्वर से भेंट कर सकूंगा? 3 दिन और रात, मेरे आंसू ही मेरा आहार बन गए हैं. सारे दिन लोग मुझसे एक ही प्रश्न कर रहे हैं, “कहां है तुम्हारा परमेश्वर?” 4 जब मैं अपने प्राण आपके सम्मुख उंडेल रहा हूं, मुझे उन सारी घटनाओं का स्मरण आ रहा है; क्योंकि मैं ही परमेश्वर के भवन की ओर अग्रगामी, विशाल जनसमूह की शोभायात्रा का अधिनायक हुआ करता था. उस समय उत्सव के वातावरण में जय जयकार तथा धन्यवाद की ध्वनि गूंज रही होती थी. 5 मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो? क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो? परमेश्वर पर भरोसा रखो, क्योंकि यह सब होने पर मैं पुनः उनकी उपस्थिति के आश्वासन के लिए उनका स्तवन करूंगा. 6 मेरे परमेश्वर! मेरे अंदर खिन्‍न है मेरा प्राण; तब मैं यरदन प्रदेश से तथा हरमोन, मित्सार पर्वत से आपका स्मरण करूंगा. 7 आपके झरने की गर्जना के ऊपर से सागर सागर का आह्वान करता है; सागर की लहरें तथा तट पर टकराती लहरें मुझ पर होती हुई निकल गईं. 8 दिन के समय याहवेह अपना करुणा-प्रेम प्रगट करते हैं, रात्रि में उनका गीत जो मेरे जीवन के लिए परमेश्वर को संबोधित एक प्रार्थना है, उसे मैं गाया करूंगा. 9 परमेश्वर, मेरी चट्टान अर्थात् आश्रय से मैं प्रश्न करूंगा, “आप मुझे क्यों भूल गए? मेरे शत्रुओं द्वारा दी जा रही यातनाओं के कारण, क्यों मुझे शोकित होना पड़ रहा है?” 10 जब सारे दिन मेरे दुश्मन यह कहते हुए मुझ पर ताना मारते हैं, “कहां है तुम्हारा परमेश्वर?” तब मेरी हड्डियां मृत्यु वेदना सह रहीं हैं. 11 मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो? क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो? परमेश्वर पर भरोसा रखो, क्योंकि यह सब होते हुए भी मैं याहवेह का स्तवन करूंगा.
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