1. [QS]हे परमेश्वर, हमने अपने कानों से सुना है, [QE][QS2]पूर्वजों ने उसका उल्लेख किया है, [QE][QS]कि प्राचीन काल में, [QE][QS2]हमारे पूर्वजों के समय में [QE][QS]आपने जो कुछ किया है: [QE]
2. [QS]अपने भुजबल से आपने जनताओं को निकाल दिया [QE][QS2]और उनके स्थान पर हमारे पूर्वजों को बसा दिया; [QE][QS]आपने उन लोगों को कुचल दिया [QE][QS2]और हमारे पूर्वजों को समृद्ध बना दिया. [QE]
3. [QS]यह अधिकार उन्होंने अपनी तलवार के बल पर नहीं किया, [QE][QS2]और न ही यह उनके भुजबल का परिणाम था; [QE][QS]यह परिणाम था आपके दायें हाथ, [QE][QS2]उसकी सामर्थ्य तथा [QE][QS2]आपके मुख के प्रकाश का, क्योंकि वे आपकी प्रीति के पात्र थे. [QE][PBR]
4. [QS]मेरे परमेश्वर, आप मेरे राजा हैं, [QE][QS2]याकोब की विजय का आदेश दीजिए. [QE]
5. [QS]आपके द्वारा ही हम अपने शत्रुओं पर प्रबल हो सकेंगे; [QE][QS2]आप ही के महिमामय नाम से हम अपने शत्रुओं को कुचल डालेंगे. [QE]
6. [QS]मुझे अपने धनुष पर भरोसा नहीं है, [QE][QS2]मेरी तलवार भी मेरी विजय का साधन नहीं है; [QE]
7. [QS]हमें अपने शत्रुओं पर विजय आपने ही प्रदान की है, [QE][QS2]आपने ही हमारे शत्रुओं को लज्जित किया है. [QE]
8. [QS]हम निरंतर परमेश्वर में गर्व करते रहे, [QE][QS2]हम सदा-सर्वदा आपकी महिमा का धन्यवाद करते रहेंगे. [QE][PBR]
9. [QS]किंतु अब आपने हमें लज्जित होने के लिए शोकित छोड़ दिया है; [QE][QS2]आप हमारी सेना के साथ भी नहीं चल रहे. [QE]
10. [QS]आपके दूर होने के कारण, हमें शत्रुओं को पीठ दिखानी पड़ी. [QE][QS2]यहां तक कि हमारे विरोधी हमें लूटकर चले गए. [QE]
11. [QS]आपने हमें वध के लिए निर्धारित भेड़ों समान छोड़ दिया है. [QE][QS2]आपने हमें अनेक राष्ट्रों में बिखेर दिया है. [QE]
12. [QS]आपने अपनी प्रजा को मिट्टी के मोल बेच दिया, [QE][QS2]और ऊपर से आपने इसमें लाभ मिलने की भी बात नहीं की. [QE][PBR]
13. [QS]अपने पड़ोसियों के लिए अब हम निंदनीय हो गए हैं, [QE][QS2]सबके सामने घृणित एवं उपहास पात्र. [QE]
14. [QS]राष्ट्रों में हम उपमा होकर रह गए हैं; [QE][QS2]हमारे नाम पर वे सिर हिलाने लगते हैं. [QE]
15. [QS]सारे दिन मेरा अपमान मेरे सामने झूलता रहता है, [QE][QS2]तथा मेरी लज्जा ने मुझे भयभीत कर रखा है. [QE]
16. [QS]उस शत्रु की वाणी, जो मेरी निंदा एवं मुझे कलंकित करता है, [QE][QS2]उसकी उपस्थिति के कारण जो शत्रु तथा बदला लेनेवाले है. [QE][PBR]
17. [QS]हमने न तो आपको भुला दिया था, [QE][QS2]और न हमने आपकी वाचा ही भंग की; [QE][QS2]फिर भी हमें यह सब सहना पड़ा. [QE]
18. [QS]हमारे हृदय आपसे बहके नहीं; [QE][QS2]हमारे कदम आपके मार्ग से भटके नहीं. [QE]
19. [QS]फिर भी आपने हमें उजाड़ कर गीदड़ों का बसेरा बना दिया; [QE][QS2]और हमें गहन अंधकार में छिपा दिया. [QE][PBR]
20. [QS]यदि हम अपने परमेश्वर को भूल ही जाते [QE][QS2]अथवा हमने अन्य देवताओं की ओर हाथ बढ़ाया होता, [QE]
21. [QS]क्या परमेश्वर को इसका पता न चल गया होता, [QE][QS2]उन्हें तो हृदय के सभी रहस्यों का ज्ञान होता है? [QE]
22. [QS]फिर भी आपके निमित्त हम दिन भर मृत्यु का सामना करते रहते हैं; [QE][QS2]हमारी स्थिति वध के लिए निर्धारित भेड़ों के समान है. [QE][PBR]
23. [QS]जागिए, प्रभु! सो क्यों रहे हैं? [QE][QS2]उठ जाइए! हमें सदा के लिए शोकित न छोड़िए. [QE]
24. [QS]आपने हमसे अपना मुख क्यों छिपा लिया है [QE][QS2]हमारी दुर्दशा और उत्पीड़न को अनदेखा न कीजिए? [QE][PBR]
25. [QS]हमारे प्राण धूल में मिल ही चुके हैं; [QE][QS2]हमारा पेट भूमि से जा लगा है. [QE]
26. [QS]उठकर हमारी सहायता कीजिए; [QE][QS2]अपने करुणा-प्रेम के निमित्त हमें मुक्त कीजिए. [QE]