1. [QS]परमेश्वर हमारे आश्रय-स्थल एवं शक्ति हैं, [QE][QS2]संकट की स्थिति में सदैव उपलब्ध सहायक. [QE]
2. [QS]तब हम भयभीत न होंगे, चाहे पृथ्वी विस्थापित हो जाए, [QE][QS2]चाहे पर्वत महासागर के गर्भ में जा पड़ें, [QE]
3. [QS]हां, तब भी जब समुद्र गरजना करते हुए फेन उठाने लगें [QE][QS2]और पर्वत इस उत्तेजना के कारण थर्रा जाएं. [QE][PBR]
4. [QS]परमेश्वर के नगर में एक नदी है, जिसकी जलधारा में इस नगर का उल्लास है, [QE][QS2]यह नगर वह पवित्र स्थान है, जहां सर्वोच्च परमेश्वर निवास करते हैं. [QE]
5. [QS]परमेश्वर इस नगर में निवास करते हैं, इस नगर की क्षति न होगी; [QE][QS2]हर एक अरुणोदय में उसके लिए परमेश्वर की सहायता मिलती रहेगी. [QE]
6. [QS]राष्ट्रों में खलबली मची हुई है, राज्य के लोग डगमगाने लगे; [QE][QS2]परमेश्वर के एक आह्वान पर, पृथ्वी पिघल जाती है. [QE][PBR]
7. [QS]सर्वशक्तिमान याहवेह हमारे पक्ष में हैं; [QE][QS2]याकोब के परमेश्वर में हमारी सुरक्षा है. [QE][PBR]
8. [QS]यहां आकर याहवेह के कार्यों पर विचार करो, [QE][QS2]पृथ्वी पर उन्होंने कैसा विध्वंस किया है. [QE]
9. [QS]उन्हीं के आदेश से पृथ्वी के छोर तक [QE][QS2]युद्ध थम जाते हैं. [QE][QS]वही धनुष को भंग और भाले को टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं; [QE][QS2]वह रथों को अग्नि में भस्म कर देते हैं. [QE]
10. [QS]परमेश्वर कहते हैं, “समस्त प्रयास छोड़कर यह समझ लो कि परमेश्वर मैं हूं; [QE][QS2]समस्त राष्ट्रों में मेरी महिमा होगी, [QE][QS2]समस्त पृथ्वी पर मेरी महिमा होगी.” [QE][PBR]
11. [QS]सर्वशक्तिमान याहवेह हमारे पक्ष में हैं; [QE][QS2]याकोब के परमेश्वर में हमारी सुरक्षा है. [QE]