पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. [QS]विभिन्‍न देशों के निवासियो, यह सुनो; [QE][QS2]धरती के वासियो, यह सुनो, [QE]
2. [QS]सुनो अरे उच्च और निम्न, [QE][QS2]सुनो अरे दीन जनो और अमीरो, [QE]
3. [QS]मैं बुद्धिमानी की बातें करने पर हूं; [QE][QS2]तथा मेरे हृदय का चिंतन समझ से परिपूर्ण होगा. [QE]
4. [QS]मैं नीतिवचन पर ध्यान दूंगा; [QE][QS2]मैं किन्‍नोर की संगत पर पहेली स्पष्ट करूंगा: [QE][PBR]
5. [QS]क्या आवश्यकता है विपत्ति के समय मुझे भयभीत होने की, [QE][QS2]जब दुष्ट धोखेबाज मुझे आ घेरते हैं; [QE]
6. [QS]हां, वे जिनका भरोसा उनकी संपत्ति पर है, [QE][QS2]तथा जिन्हें अपनी सम्पन्‍नता का गर्व है? [QE]
7. [QS]कोई भी मनुष्य किसी अन्य मनुष्य के प्राणों का उद्धार नहीं कर सकता, [QE][QS2]और न ही वह परमेश्वर को किसी के प्राणों के लिए छुड़ौती दे सकता है. [QE]
8. [QS]क्योंकि उसके प्राणों का मूल्य अत्यंत ऊंचा है, [QE][QS2]कि कोई मूल्य पर्याप्‍त नहीं है, [QE]
9. [QS]कि मनुष्य सर्वदा जीवित रहे, [QE][QS2]वह कभी कब्र का अनुभव न करे. [QE]
10. [QS]सभी के सामने यह स्पष्ट है, कि सभी बुद्धिमानो की भी मृत्यु होती है; [QE][QS2]वैसे ही मूर्खों और अज्ञानियों की भी, [QE][QS2]ये सभी अपनी संपत्ति दूसरों के लिए छोड़ जाते हैं. [QE]
11. [QS]उनकी आत्मा में उनका विचार है, कि उनके आवास अमर हैं, [QE][QS2]तथा उनके निवास सभी पीढ़ियों के लिए हो गए हैं, [QE][QS2]वे तो अपने देशों को भी अपने नाम से पुकारने लगे हैं. [QE][PBR]
12. [QS]अपने ऐश्वर्य के बावजूद मनुष्य अमरत्व प्राप्‍त नहीं कर सकता; [QE][QS2]वह तो फिर भी नश्वर पशु समान ही है. [QE][PBR]
13. [QS]यह नियति उनकी है, जो बुद्धिहीन हैं तथा उनकी, [QE][QS2]जो उनके विचारों से सहमत होते हैं. [QE]
14. [QS]भेड़ों के समान अधोलोक ही उनकी नियति है; [QE][QS2]मृत्यु ही उनका चरवाहा होगा. [QE][QS]प्रातःकाल सीधे लोग उन पर शासन करेंगे [QE][QS]तथा उनकी देह अधोलोक की ग्रास हो जाएंगी, [QE][QS2]परिणामस्वरूप उनका कोई आधार शेष न रह जाएगा. [QE]
15. [QS]मेरे प्राण परमेश्वर द्वारा अधोलोक की सामर्थ्य से मुक्त किए जाएंगे; [QE][QS2]निश्चयतः वह मुझे स्वीकार कर लेंगे. [QE]
16. [QS]किसी पुरुष की विकसित होती जा रही समृद्धि को देख डर न जाना, [QE][QS2]जब उसकी जीवनशैली वैभवशाली होने लगे; [QE]
17. [QS]क्योंकि मृत्यु होने पर वह इनमें से कुछ भी अपने साथ नहीं ले जाएगा, [QE][QS2]उसका वैभव उसके साथ कब्र में नहीं उतरेगा. [QE]
18. [QS]यद्यपि जब वह जीवित था, [QE][QS2]उसने प्रशंसा ही प्राप्‍त की, क्योंकि मनुष्य समृद्ध होने पर उनकी प्रशंसा करते ही हैं, [QE]
19. [QS]वह पुरुष अंततः अपने पूर्वजों में ही जा मिलेगा, [QE][QS2]जिनके लिए जीवन प्रकाश देखना नियत नहीं है. [QE][PBR]
20. [QS]एक धनवान मनुष्य को सुबुद्धि खो गया है, [QE][QS2]तो उसमें और उस नाशमान पशु में कोई अंतर नहीं रह गया! [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 49 / 150
1 विभिन्‍न देशों के निवासियो, यह सुनो; धरती के वासियो, यह सुनो, 2 सुनो अरे उच्च और निम्न, सुनो अरे दीन जनो और अमीरो, 3 मैं बुद्धिमानी की बातें करने पर हूं; तथा मेरे हृदय का चिंतन समझ से परिपूर्ण होगा. 4 मैं नीतिवचन पर ध्यान दूंगा; मैं किन्‍नोर की संगत पर पहेली स्पष्ट करूंगा: 5 क्या आवश्यकता है विपत्ति के समय मुझे भयभीत होने की, जब दुष्ट धोखेबाज मुझे आ घेरते हैं; 6 हां, वे जिनका भरोसा उनकी संपत्ति पर है, तथा जिन्हें अपनी सम्पन्‍नता का गर्व है? 7 कोई भी मनुष्य किसी अन्य मनुष्य के प्राणों का उद्धार नहीं कर सकता, और न ही वह परमेश्वर को किसी के प्राणों के लिए छुड़ौती दे सकता है. 8 क्योंकि उसके प्राणों का मूल्य अत्यंत ऊंचा है, कि कोई मूल्य पर्याप्‍त नहीं है, 9 कि मनुष्य सर्वदा जीवित रहे, वह कभी कब्र का अनुभव न करे. 10 सभी के सामने यह स्पष्ट है, कि सभी बुद्धिमानो की भी मृत्यु होती है; वैसे ही मूर्खों और अज्ञानियों की भी, ये सभी अपनी संपत्ति दूसरों के लिए छोड़ जाते हैं. 11 उनकी आत्मा में उनका विचार है, कि उनके आवास अमर हैं, तथा उनके निवास सभी पीढ़ियों के लिए हो गए हैं, वे तो अपने देशों को भी अपने नाम से पुकारने लगे हैं. 12 अपने ऐश्वर्य के बावजूद मनुष्य अमरत्व प्राप्‍त नहीं कर सकता; वह तो फिर भी नश्वर पशु समान ही है. 13 यह नियति उनकी है, जो बुद्धिहीन हैं तथा उनकी, जो उनके विचारों से सहमत होते हैं. 14 भेड़ों के समान अधोलोक ही उनकी नियति है; मृत्यु ही उनका चरवाहा होगा. प्रातःकाल सीधे लोग उन पर शासन करेंगे तथा उनकी देह अधोलोक की ग्रास हो जाएंगी, परिणामस्वरूप उनका कोई आधार शेष न रह जाएगा. 15 मेरे प्राण परमेश्वर द्वारा अधोलोक की सामर्थ्य से मुक्त किए जाएंगे; निश्चयतः वह मुझे स्वीकार कर लेंगे. 16 किसी पुरुष की विकसित होती जा रही समृद्धि को देख डर न जाना, जब उसकी जीवनशैली वैभवशाली होने लगे; 17 क्योंकि मृत्यु होने पर वह इनमें से कुछ भी अपने साथ नहीं ले जाएगा, उसका वैभव उसके साथ कब्र में नहीं उतरेगा. 18 यद्यपि जब वह जीवित था, उसने प्रशंसा ही प्राप्‍त की, क्योंकि मनुष्य समृद्ध होने पर उनकी प्रशंसा करते ही हैं, 19 वह पुरुष अंततः अपने पूर्वजों में ही जा मिलेगा, जिनके लिए जीवन प्रकाश देखना नियत नहीं है. 20 एक धनवान मनुष्य को सुबुद्धि खो गया है, तो उसमें और उस नाशमान पशु में कोई अंतर नहीं रह गया!
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