1. [QS]हे परमेश्वर, हम आपकी स्तुति करते हैं, [QE][QS2]हम आपकी स्तुति करते हैं क्योंकि आपका नाम हमारे निकट है; [QE][QS2]लोग आपके महाकार्य का वर्णन कर रहे हैं. [QE][PBR]
2. [QS]आपका कथन है, “उपयुक्त समय का निर्धारण मैं करता हूं; [QE][QS2]निष्पक्ष न्याय भी मेरा ही होता है. [QE]
3. [QS]जब भूकंप होता है और पृथ्वी के निवासी भयभीत हो कांप उठते हैं, [QE][QS2]तब मैं ही हूं, जो पृथ्वी के स्तंभों को दृढतापूर्वक थामे रखता हूं. [QE]
4. [QS]अहंकारी से मैंने कहा, ‘घमंड न करो,’ [QE][QS2]और दुष्ट से, ‘अपने सींग ऊंचे न करो, [QE]
5. [QS]स्वर्ग की ओर सींग उठाने का साहस न करना; [QE][QS2]अपना सिर ऊंचा कर बातें न करना.’ ” [QE][PBR]
6. [QS]न तो पूर्व से, न पश्चिम से और न ही दक्षिण के वन से, [QE][QS2]कोई किसी मनुष्य को ऊंचा कर सकता है. [QE]
7. [QS]मात्र परमेश्वर ही न्याय करते हैं: [QE][QS2]वह किसी को ऊंचा करते हैं और किसी को नीचा. [QE]
8. [QS]याहवेह के हाथों में एक कटोरा है, [QE][QS2]उसमें मसालों से मिली उफनती दाखमधु है; [QE][QS]वह इसे उण्डेलते हैं और पृथ्वी के समस्त दुष्ट [QE][QS2]तलछट तक इसका पान करते हैं. [QE][PBR]
9. [QS]मेरी ओर से सर्वदा यही घोषणा होगी; [QE][QS2]मैं याकोब के परमेश्वर का गुणगान करूंगा; [QE]
10. [QS]आप का, जो कहते हैं, “मैं समस्त दुष्टों के सींग काट डालूंगा, [QE][QS2]किंतु धर्मियों के सींग ऊंचे किए जाएंगे.” [QE]