1. [QS]याहवेह, हमारे प्रभु, [QE][QS2]समस्त पृथ्वी पर कितना तेजमय है आपका नाम! [QE][PBR] [QS]स्वर्ग पर आपने [QE][QS2]अपने वैभव को प्रदर्शित किया है. [QE]
2. [QS]आपने अपने शत्रुओं के कारण बालकों एवं शिशुओं [QE][QS2]के मुख से अपना बल बसा लिया, [QE][QS2]कि आपके विरोधियों तथा शत्रु का अंत हो जाए. [QE]
3. [QS]जब मैं आपकी उंगलियों, [QE][QS2]द्वारा रचा आकाश, [QE][QS]चंद्रमा और नक्षत्रों को, [QE][QS2]जिन्हें आपने यथास्थान पर स्थापित किया, देखता हूं, [QE]
4. [QS]तब मैं विचार करता हूं: मनुष्य है ही क्या, कि आप उसकी ओर ध्यान दें? [QE][QS2]क्या विशेषता है मानव में कि आप उसके विषय में विचार भी करें? [QE][PBR]
5. [QS]आपने मनुष्य को सम्मान और वैभव का मुकुट पहनाया, [QE][QS2]क्योंकि आपने उसे स्वर्गदूतों से थोड़ा ही कम बनाया है. [QE]
6. [QS]आपने उसे अपनी सृष्टि का प्रशासक बनाया; [QE][QS2]आपने सभी कुछ उसके अधिकार में दे दिया: [QE]
7. [QS]भेड़-बकरी, गाय-बैल, [QE][QS2]तथा वन्य पशु, [QE]
8. [QS]आकाश के पक्षी, [QE][QS2]एवं समुद्र की मछलियां, [QE][QS2]तथा समुद्री धाराओं में चलते फिरते सभी जलचर भी. [QE][PBR]
9. [QS]याहवेह, हमारे प्रभु, [QE][QS2]समस्त पृथ्वी पर कितना तेजमय है आपका नाम! [QE]