1. [QS]मैं याहवेह के करुणा-प्रेम का सदा गुणगान करूंगा; [QE][QS2]मैं पीढ़ी से पीढ़ी [QE][QS2]अपने मुख से आपकी सच्चाई को बताता रहूंगा. [QE]
2. [QS]मेरी उद्घोषणा होगी कि आपका करुणा-प्रेम सदा-सर्वदा अटल होगी, [QE][QS2]स्वर्ग में आप अपनी सच्चाई को स्थिर करेंगे. [QE]
3. [QS]आपने कहा, “मैंने अपने चुने हुए के साथ एक वाचा स्थापित की है, [QE][QS2]मैंने अपने सेवक दावीद से यह शपथ खाई है, [QE]
4. [QS]‘मैं तुम्हारे वंश को युगानुयुग अटल रखूंगा. [QE][QS2]मैं तुम्हारे सिंहासन को पीढ़ी से पीढ़ी स्थिर बनाए रखूंगा.’ ” [QE][PBR]
5. [QS]याहवेह, स्वर्ग मंडल आपके अद्भुत कार्यों का गुणगान करता है. [QE][QS2]भक्तों की सभा में आपकी सच्चाई की स्तुति की जाती है. [QE]
6. [QS]स्वर्ग में कौन याहवेह के तुल्य हो सकता है? [QE][QS2]स्वर्गदूतों में कौन याहवेह के समान है? [QE]
7. [QS]जब सात्विक एकत्र होते हैं, वहां परमेश्वर के प्रति गहन श्रद्धा व्याप्त होता है; [QE][QS2]सभी के मध्य वही सबसे अधिक श्रद्धा योग्य हैं. [QE]
8. [QS]याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, कौन है आपके समान सर्वशक्तिमान याहवेह? [QE][QS2]आप सच्चाई को धारण किए हुए हैं. [QE][PBR]
9. [QS]उमड़ता सागर आपके नियंत्रण में है; [QE][QS2]जब इसकी लहरें उग्र होने लगती हैं, आप उन्हें शांत कर देते हैं. [QE]
10. [QS]आपने ही विकराल जल जंतु रहब को ऐसे कुचल डाला मानो वह एक खोखला शव हो; [QE][QS2]यह आपका ही भुजबल था, कि आपने अपने शत्रुओं को पछाड़ दिया. [QE]
11. [QS]स्वर्ग के स्वामी आप हैं तथा पृथ्वी भी आपकी ही है; [QE][QS2]आपने ही संसार संस्थापित किया और वह सब भी बनाया जो, संसार में है. [QE]
12. [QS]उत्तर दिशा आपकी रचना है और दक्षिण दिशा भी; [QE][QS2]आपकी महिमा में ताबोर और हरमोन पर्वत उल्लास में गाने लगते हैं. [QE]
13. [QS]सामर्थ्य आपकी भुजा में व्याप्त है; [QE][QS2]बलवंत है आपका हाथ तथा प्रबल है आपका दायां हाथ. [QE][PBR]
14. [QS]धार्मिकता तथा खराई आपके सिंहासन के आधार हैं; [QE][QS2]करुणा-प्रेम तथा सच्चाई आपके आगे-आगे चलते हैं. [QE]
15. [QS]याहवेह, धन्य होते हैं वे, जिन्होंने आपका जयघोष करना सीख लिया है, [QE][QS2]जो आपकी उपस्थिति की ज्योति में आचरण करते हैं. [QE]
16. [QS]आपके नाम पर वे दिन भर खुशी मनाते हैं [QE][QS2]वे आपकी धार्मिकता का उत्सव मनाते हैं. [QE]
17. [QS]क्योंकि आप ही उनके गौरव तथा बल हैं, [QE][QS2]आपकी ही कृपादृष्टि के द्वारा हमारा बल आधारित रहता है. [QE]
18. [QS]वस्तुतः याहवेह ही हमारी सुरक्षा ढाल हैं, [QE][QS2]हमारे राजा इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के ही हैं. [QE][PBR]
19. [QS]वर्षों पूर्व आपने दर्शन में [QE][QS2]अपने सच्चे लोगों से वार्तालाप किया था: [QE][QS]“एक योद्धा को मैंने शक्ति-सम्पन्न किया है; [QE][QS2]अपनी प्रजा में से मैंने एक युवक को खड़ा किया है. [QE]
20. [QS]मुझे मेरा सेवक, दावीद, मिल गया है; [QE][QS2]अपने पवित्र तेल से मैंने उसका अभिषेक किया है. [QE]
21. [QS]मेरा ही हाथ उसे स्थिर रखेगा; [QE][QS2]निश्चयतः मेरी भुजा उसे सशक्त करती जाएगी. [QE]
22. [QS]कोई भी शत्रु उसे पराजित न करेगा; [QE][QS2]कोई भी दुष्ट उसे दुःखित न करेगा. [QE]
23. [QS]उसके देखते-देखते मैं उसके शत्रुओं को नष्ट कर दूंगा [QE][QS2]और उसके विरोधियों को नष्ट कर डालूंगा. [QE]
24. [QS]मेरी सच्चाई तथा मेरा करुणा-प्रेम उस पर बना रहेगा, [QE][QS2]मेरी महिमा उसकी कीर्ति को ऊंचा रखेगी. [QE]
25. [QS]मैं उसे समुद्र पर अधिकार दूंगा, [QE][QS2]उसका दायां हाथ नदियों पर शासन करेगा. [QE]
26. [QS]वह मुझे संबोधित करेगा, ‘आप मेरे पिता हैं, [QE][QS2]मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धार की चट्टान.’ [QE]
27. [QS]मैं उसे अपने प्रथमजात का पद भी प्रदान करूंगा, [QE][QS2]उसका पद पृथ्वी के समस्त राजाओं से उच्च होगा—सर्वोच्च. [QE]
28. [QS]उसके प्रति मैं अपना करुणा-प्रेम सदा-सर्वदा बनाए रखूंगा, [QE][QS2]उसके साथ स्थापित की गई मेरी वाचा कभी भंग न होगी. [QE]
29. [QS]मैं उसके वंश को सदैव सुस्थापित रखूंगा, [QE][QS2]जब तक आकाश का अस्तित्व रहेगा, उसका सिंहासन भी स्थिर बना रहेगा. [QE][PBR]
30. [QS]“यदि उसकी संतान मेरी व्यवस्था का परित्याग कर देती है [QE][QS2]तथा मेरे अधिनियमों के अनुसार नहीं चलती, [QE]
31. [QS]यदि वे मेरी विधियों को भंग करते हैं [QE][QS2]तथा मेरे आदेशों का पालन करने से चूक जाते हैं, [QE]
32. [QS]तो मैं उनके अपराध का दंड उन्हें लाठी के प्रहार से [QE][QS2]तथा उनके अपराधों का दंड कोड़ों के प्रहार से दूंगा; [QE]
33. [QS]किंतु मैं अपना करुणा-प्रेम उसके प्रति कभी कम न होने दूंगा [QE][QS2]और न मैं अपनी सच्चाई का घात करूंगा. [QE]
34. [QS]मैं अपनी वाचा भंग नहीं करूंगा [QE][QS2]और न अपने शब्द परिवर्तित करूंगा. [QE]
35. [QS]एक ही बार मैंने सदा-सर्वदा के लिए अपनी पवित्रता की शपथ खाई है, [QE][QS2]मैं दावीद से झूठ नहीं बोलूंगा; [QE]
36. [QS]उसका वंश सदा-सर्वदा अटल बना रहेगा [QE][QS2]और उसका सिंहासन मेरे सामने सूर्य के समान सदा-सर्वदा ठहरे रहेगा; [QE]
37. [QS]यह आकाश में विश्वासयोग्य साक्ष्य होकर, [QE][QS2]चंद्रमा के समान सदा-सर्वदा ठहरे रहेगा.” [QE][PBR]
38. [QS]किंतु आप अपने अभिषिक्त से अत्यंत उदास हो गए, [QE][QS2]आपने उसकी उपेक्षा की, आपने उसका परित्याग कर दिया. [QE]
39. [QS]आपने अपने सेवक से की गई वाचा की उपेक्षा की है; [QE][QS2]आपने उसके मुकुट को धूल में फेंक दूषित कर दिया. [QE]
40. [QS]आपने उसकी समस्त दीवारें तोड़ उन्हें ध्वस्त कर दिया [QE][QS2]और उसके समस्त रचों को खंडहर बना दिया. [QE]
41. [QS]आते जाते समस्त लोग उसे लूटते चले गए; [QE][QS2]वह पड़ोसियों के लिए घृणा का पात्र होकर रह गया है. [QE]
42. [QS]आपने उसके शत्रुओं का दायां हाथ सशक्त कर दिया; [QE][QS2]आपने उसके समस्त शत्रुओं को आनंद विभोर कर दिया. [QE]
43. [QS]उसकी तलवार की धार आपने समाप्त कर दी [QE][QS2]और युद्ध में आपने उसकी कोई सहायता नहीं की. [QE]
44. [QS]आपने उसके वैभव को समाप्त कर दिया [QE][QS2]और उसके सिंहासन को धूल में मिला दिया. [QE]
45. [QS]आपने उसकी युवावस्था के दिन घटा दिए हैं; [QE][QS2]आपने उसे लज्जा के वस्त्रों से ढांक दिया है. [QE][PBR]
46. [QS]और कब तक, याहवेह? क्या आपने स्वयं को सदा के लिए छिपा लिया है? [QE][QS2]कब तक आपका कोप अग्नि-सा दहकता रहेगा? [QE]
47. [QS]मेरे जीवन की क्षणभंगुरता का स्मरण कीजिए, [QE][QS2]किस व्यर्थता के लिए आपने समस्त मनुष्यों की रचना की! [QE]
48. [QS]ऐसा कौन सा मनुष्य है जो सदा जीवित रहे, और मृत्यु को न देखे? [QE][QS2]ऐसा कौन है, अपने प्राणों को अधोलोक के अधिकार से मुक्त कर सकता है? [QE]
49. [QS]प्रभु, अब आपका वह करुणा-प्रेम कहां गया, [QE][QS2]जिसकी शपथ आपने अपनी सच्चाई में दावीद से ली थी? [QE]
50. [QS]प्रभु, स्मरण कीजिए, कितना अपमान हुआ है आपके सेवक का, [QE][QS2]कैसे मैं समस्त राष्ट्रों द्वारा किए गए अपमान अपने हृदय में लिए हुए जी रहा हूं. [QE]
51. [QS]याहवेह, ये सभी अपमान, जो मेरे शत्रु मुझ पर करते रहे, [QE][QS2]इनका प्रहार आपके अभिषिक्त के हर एक कदम पर किया गया. [QE][PBR] [PBR]
52. [QS]याहवेह का स्तवन सदा-सर्वदा होता रहे! [QE][QCS]आमेन और आमेन. [QCE]