पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
भजन संहिता
1. [QS]वह, जिसका निवास सर्वोच्च परमेश्वर के आश्रय में है, [QE][QS2]सर्वशक्तिमान के छाया कुंज में सुरक्षित निवास करेगा. [QE]
2. [QS]याहवेह के विषय में मेरी घोषणा है, “वह मेरे आश्रय, मेरे गढ़ हैं, [QE][QS2]मेरे शरणस्थान परमेश्वर हैं, जिनमें मेरा भरोसा है.” [QE][PBR]
3. [QS]वह तुम्हें सभी फंदे से बचाएंगे, [QE][QS2]वही घातक महामारी [QE][QS2]से तुम्हारी रक्षा करेंगे. [QE]
4. [QS]वह तुम्हें अपने परों में छिपा लेंगे, [QE][QS2]उनके पंखों के नीचे तुम्हारा आश्रय होगा; [QE][QS2]उनकी सच्चाई ढाल और गढ़ हैं. [QE]
5. [QS]तुम न तो रात्रि के आतंक से भयभीत होगे, [QE][QS2]न ही दिन में छोड़े गए बाण से, [QE]
6. [QS]वैसे ही न उस महामारी से, जो अंधकार में छिपी रहती है, [QE][QS2]अथवा उस विनाश से, जो दिन-दोपहरी में प्रहार करता है. [QE]
7. [QS]संभव है कि तुम्हारे निकट हजार [QE][QS2]तथा तुम्हारी दायीं ओर दस हजार आ गिरें, [QE][QS2]किंतु वह तुम तक नहीं पहुंचेगा. [QE]
8. [QS]तुम स्वयं अपनी आंखों से देखते रहोगे [QE][QS2]और देखोगे कि कैसा होता है कुकर्मियों का दंड. [QE][PBR]
9. [QS]याहवेह, आप, जिन्होंने सर्वोच्च स्थान को अपना निवास बनाया है, [QE][QS2]“मेरे आश्रय हैं.” [QE]
10. [QS]कोई भी विपत्ति तुम पर आने न पाएगी [QE][QS2]और न कोई विपत्ति ही तुम्हारे मंडप के निकट आएगी. [QE]
11. [QS]क्योंकि वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारी हर एक [QE][QS2]गतिविधि में तुम्हारी सुरक्षा का आदेश देंगे; [QE]
12. [QS]वे तुम्हें अपने हाथों में उठा लेंगे, [QE][QS2]कि कहीं तुम्हारे पांव को पत्थर से ठोकर न लग जाए. [QE]
13. [QS]तुम सिंह और नाग को कुचल दोगे; [QE][QS2]तुम पुष्ट सिंह और सर्प को रौंद डालोगे. [QE][PBR]
14. [QS]यह याहवेह का आश्वासन है, “मैं उसे छुड़ाऊंगा, क्योंकि वह मुझसे प्रेम करता है; [QE][QS2]मैं उसे सुरक्षित रखूंगा, क्योंकि उसने मेरी महिमा पहचानी है. [QE]
15. [QS]जब वह मुझे पुकारेगा, मैं उसे उत्तर दूंगा; [QE][QS2]संकट की स्थिति में मैं उसके साथ रहूंगा, [QE][QS2]उसे छुड़ाकर मैं उसका सम्मान बढ़ाऊंगा. [QE]
16. [QS]मैं उसे दीर्घायु से तृप्‍त करूंगा [QE][QS2]और मैं उसे अपने उद्धार का अनुभव कराऊंगा.” [QE]
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1 वह, जिसका निवास सर्वोच्च परमेश्वर के आश्रय में है, सर्वशक्तिमान के छाया कुंज में सुरक्षित निवास करेगा. 2 याहवेह के विषय में मेरी घोषणा है, “वह मेरे आश्रय, मेरे गढ़ हैं, मेरे शरणस्थान परमेश्वर हैं, जिनमें मेरा भरोसा है.” 3 वह तुम्हें सभी फंदे से बचाएंगे, वही घातक महामारी से तुम्हारी रक्षा करेंगे. 4 वह तुम्हें अपने परों में छिपा लेंगे, उनके पंखों के नीचे तुम्हारा आश्रय होगा; उनकी सच्चाई ढाल और गढ़ हैं. 5 तुम न तो रात्रि के आतंक से भयभीत होगे, न ही दिन में छोड़े गए बाण से, 6 वैसे ही न उस महामारी से, जो अंधकार में छिपी रहती है, अथवा उस विनाश से, जो दिन-दोपहरी में प्रहार करता है. 7 संभव है कि तुम्हारे निकट हजार तथा तुम्हारी दायीं ओर दस हजार आ गिरें, किंतु वह तुम तक नहीं पहुंचेगा. 8 तुम स्वयं अपनी आंखों से देखते रहोगे और देखोगे कि कैसा होता है कुकर्मियों का दंड. 9 याहवेह, आप, जिन्होंने सर्वोच्च स्थान को अपना निवास बनाया है, “मेरे आश्रय हैं.” 10 कोई भी विपत्ति तुम पर आने न पाएगी और न कोई विपत्ति ही तुम्हारे मंडप के निकट आएगी. 11 क्योंकि वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारी हर एक गतिविधि में तुम्हारी सुरक्षा का आदेश देंगे; 12 वे तुम्हें अपने हाथों में उठा लेंगे, कि कहीं तुम्हारे पांव को पत्थर से ठोकर न लग जाए. 13 तुम सिंह और नाग को कुचल दोगे; तुम पुष्ट सिंह और सर्प को रौंद डालोगे. 14 यह याहवेह का आश्वासन है, “मैं उसे छुड़ाऊंगा, क्योंकि वह मुझसे प्रेम करता है; मैं उसे सुरक्षित रखूंगा, क्योंकि उसने मेरी महिमा पहचानी है. 15 जब वह मुझे पुकारेगा, मैं उसे उत्तर दूंगा; संकट की स्थिति में मैं उसके साथ रहूंगा, उसे छुड़ाकर मैं उसका सम्मान बढ़ाऊंगा. 16 मैं उसे दीर्घायु से तृप्‍त करूंगा और मैं उसे अपने उद्धार का अनुभव कराऊंगा.”
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