1. {#11,44,000 पर मोहर } [PS]इसके बाद मैंने देखा कि चार स्वर्गदूत पृथ्वी के चारों कोनों पर खड़े हुए पृथ्वी की चारों दिशाओं का वायु प्रवाह रोके हुए हैं कि न तो पृथ्वी पर वायु प्रवाहित हो, न ही समुद्र पर और न ही किसी पेड़ पर.
2. मैंने एक अन्य स्वर्गदूत को पूर्वी दिशा में ऊपर की ओर आते हुए देखा, जिसके अधिकार में जीवित परमेश्वर की मोहर थी, उसने उन चार स्वर्गदूतों से, जिन्हें पृथ्वी तथा समुद्र को नाश करने का अधिकार दिया गया था,
3. ऊंचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “न तो पृथ्वी को, न समुद्र को और न ही किसी पेड़ को तब तक नाश करना, जब तक हम हमारे परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें.”
4. तब मैंने, जो चिह्नित किए गए थे, उनकी संख्या का योग सुना: 1,44,000. ये इस्राएल के हर एक गोत्र में से थे. [PE][PBR]
5. [LS] यहूदाह गोत्र से 12,000, [LE][LS]रियूबेन के गोत्र से 12,000, [LE][LS]गाद के गोत्र से 12,000, [LE]
6. [LS] आशेर के गोत्र से 12,000, [LE][LS]नफताली के गोत्र से 12,000, [LE][LS]मनश्शेह के गोत्र से 12,000, [LE]
7. [LS] शिमओन के गोत्र से 12,000, [LE][LS]लेवी के गोत्र से 12,000, [LE][LS]इस्साखार के गोत्र से 12,000, [LE]
8. [LS] ज़ेबुलून के गोत्र से 12,000, [LE][LS]योसेफ़ के गोत्र से 12,000 तथा [LE][LS]बिन्यामिन के गोत्र से 12,000 चिह्नित किए गए. [LE]
9. {#1सफ़ेद वस्त्रों में विशाल भीड़ } [PS]इसके बाद मुझे इतनी बड़ी भीड़ दिखाई दी, जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता था. इस समूह में हर एक राष्ट्र, गोत्र, प्रजाति और भाषा के लोग थे, जो सफ़ेद वस्त्र धारण किए तथा हाथ में खजूर की शाखाएं लिए सिंहासन तथा मेमने के सामने खड़े हुए थे.
10. वे ऊंचे शब्द में पुकार रहे थे: [PE][QS]“उद्धार के स्रोत हैं, [QE][QS]सिंहासन पर बैठे, [QE][QS]हमारे परमेश्वर और मेमना.” [QE]
11. [MS] सिंहासन, पुरनियों तथा चारों प्राणियों के चारों ओर सभी स्वर्गदूत खड़े हुए थे. उन्होंने सिंहासन की ओर मुख करके दंडवत होकर परमेश्वर की वंदना की.
12. वे कह रहे थे: [ME][QS]“आमेन! [QE][QS]स्तुति, महिमा, ज्ञान, [QE][QS]आभार व्यक्ति, आदर, अधिकार [QE][QS]तथा शक्ति [QE][QS]सदा-सर्वदा हमारे परमेश्वर की है. [QE][QS]आमेन!” [QE]
13.
14. [PS]तब पुरनियों में से एक ने मुझसे प्रश्न किया, “ये, जो सफ़ेद वस्त्र धारण किए हुए हैं, कौन हैं और कहां से आए हैं?” [PE][PS]मैंने उत्तर दिया, “श्रीमान, यह तो आपको ही मालूम है.” [PE][PS]इस पर उन्होंने कहा, “ये ही हैं वे, जो उस महाक्लेश में से सुरक्षित निकलकर आए हैं. इन्होंने अपने वस्त्र मेमने के लहू में धोकर सफ़ेद किए हैं.
15. इसलिये, [PE][QS]“वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने उपस्थित हैं [QE][QS2]और उनके मंदिर में दिन-रात उनकी आराधना करते रहते हैं; [QE][QS]और वह, जो सिंहासन पर बैठे हैं, [QE][QS2]उन्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे. [QE]
16. [QS]‘वे अब न तो कभी भूखे होंगे, [QE][QS2]न प्यासे. [QE][QS]न तो सूर्य की गर्मी उन्हें झुलसाएगी,’[* यशा 49:10 ] [QE][QS2]और न कोई अन्य गर्मी. [QE]
17. [QS]क्योंकि बीच के सिंहासन पर बैठा मेमना [QE][QS2]उनका चरवाहा होगा; [QE][QS]‘वह उन्हें जीवन के जल के सोतों तक ले जाएगा.’[† यशा 49:10 ] [QE][QS2]‘परमेश्वर उनकी आंखों से हर एक आंसू पोंछ डालेंगे.’ ” [‡ यशा 25:8 ] [QE]