पवित्र बाइबिल

समकालीन संस्करण खोलें (OCV)
श्रेष्ठगीत
1. {मित्रगण } [QS]स्त्रियों में परम सुंदरी, [QE][QS2]कहां चला गया है तुम्हारा प्रेमी? [QE][QS]किस मोड़ पर बढ़ गया है वह, [QE][QS2]हमें बताओ कि हम भी तुम्हारे साथ उसे खोजें? [QE]
2. {नायिका } [QS]मेरा प्रेमी अपनी वाटिका में है, [QE][QS2]जहां बलसान की क्यारियां हैं. [QE][QS]कि वह वहां अपनी भेड़-बकरियों को चराए, [QE][QS2]कि वहां वह सोसन के फूल इकट्ठा करे. [QE]
3. [QS]मैं अपने प्रेमी की हो चुकी हूं तथा वह मेरा; [QE][QS2]वही, जो अपनी भेड़-बकरियों को सोसन के फूलों के बीच में चरा रहा है. [QE]
4. {नायक } [QS]मेरी प्रियतमा, तुम तो वैसी ही सुंदर हो, जैसी तिरज़ाह[* तिरज़ाह उत्तरी इस्राएल की एक प्राचीन राजधानी थी ], [QE][QS2]वैसी ही रूपवान, जैसी येरूशलेम, [QE][QS2]वैसी ही प्रभावशाली, जैसी झंडा फहराती हुई सेना. [QE]
5. [QS]हटा लो मुझसे अपनी आंखें; [QE][QS2]क्योंकि उन्होंने मुझे व्याकुल कर दिया है. [QE][QS]तुम्हारे बाल वैसे ही हैं, जैसे बकरियों का झुण्ड़, [QE][QS2]जो गिलआद से उतरा हुआ है. [QE]
6. [QS]तुम्हारे दांत अभी-अभी ऊन कतरे हुए [QE][QS2]भेड़ों के समान हैं, [QE][QS]उन सभी के जुड़वां बच्‍चे होते हैं, [QE][QS2]तथा जिनमें से एक भी अकेला नहीं है.
7. तुम्हारे गाल ओढ़नी से ढंके हुए [QE][QS2]अनार की दो फांक के समान हैं. [QE]
8. [QS]वहां रानियों की संख्या साठ है [QE][QS2]तथा उपपत्नियों की अस्सी, [QE][QS2]दासियां अनगिनत हैं, [QE]
9. [QS]किंतु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल सुंदरी, अनोखी है, [QE][QS2]अपनी माता की एकलौती संतान, [QE][QS2]अपनी जननी की दुलारी. [QE][QS]जैसे ही दासियों ने उसे देखा, उसे धन्य कहा; [QE][QS2]रानियों तथा उपपत्नियों ने उसकी प्रशंसा की, उन्होंने कहा: [QE]
10. {मित्रगण } [QS]कौन है यह, जो भोर के समान उद्भूत हो रही है, [QE][QS2]पूरे चांद के समान सुंदर, सूर्य के समान निर्मल, [QE][QS2]वैसी ही प्रभावशाली, जैसे झंडा फहराती हुई सेना? [QE]
11. {नायिका } [QS]मैं अखरोट के बगीचे में गयी [QE][QS2]कि घाटी में खिले फूलों को देखूं, [QE][QS]कि यह पता करूं कि दाखलता में कलियां लगी हैं या नहीं. [QE][QS2]अनार के पेड़ों में फूल आए हैं या नहीं. [QE]
12. [QS]इसके पहले कि मैं कुछ समझ पाती, [QE][QS2]मेरी इच्छाओं ने मुझे मेरे राजकुमार के रथों पर पहुंचा दिया. [QE]
13. {मित्रगण } [QS]लौट आओ, शुलामी, लौट आओ; [QE][QS2]लौट आओ, लौट आओ, कि हम तुम्हें देख सकें! [QE]{नायक }[QS]तुम लोग शुलामी को क्यों देखोगे, [QE][QS2]मानो यह कोई दो समूहों[† दो समूहों मूल में माहानाईम उत्प 32:2 देखें ] का नृत्य है? [QE][PBR]
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मित्रगण 1 स्त्रियों में परम सुंदरी, कहां चला गया है तुम्हारा प्रेमी? किस मोड़ पर बढ़ गया है वह, हमें बताओ कि हम भी तुम्हारे साथ उसे खोजें? नायिका 2 मेरा प्रेमी अपनी वाटिका में है, जहां बलसान की क्यारियां हैं. कि वह वहां अपनी भेड़-बकरियों को चराए, कि वहां वह सोसन के फूल इकट्ठा करे. 3 मैं अपने प्रेमी की हो चुकी हूं तथा वह मेरा; वही, जो अपनी भेड़-बकरियों को सोसन के फूलों के बीच में चरा रहा है. नायक 4 मेरी प्रियतमा, तुम तो वैसी ही सुंदर हो, जैसी तिरज़ाह* तिरज़ाह उत्तरी इस्राएल की एक प्राचीन राजधानी थी , वैसी ही रूपवान, जैसी येरूशलेम, वैसी ही प्रभावशाली, जैसी झंडा फहराती हुई सेना. 5 हटा लो मुझसे अपनी आंखें; क्योंकि उन्होंने मुझे व्याकुल कर दिया है. तुम्हारे बाल वैसे ही हैं, जैसे बकरियों का झुण्ड़, जो गिलआद से उतरा हुआ है. 6 तुम्हारे दांत अभी-अभी ऊन कतरे हुए भेड़ों के समान हैं, उन सभी के जुड़वां बच्‍चे होते हैं, तथा जिनमें से एक भी अकेला नहीं है. 7 तुम्हारे गाल ओढ़नी से ढंके हुए अनार की दो फांक के समान हैं. 8 वहां रानियों की संख्या साठ है तथा उपपत्नियों की अस्सी, दासियां अनगिनत हैं, 9 किंतु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल सुंदरी, अनोखी है, अपनी माता की एकलौती संतान, अपनी जननी की दुलारी. जैसे ही दासियों ने उसे देखा, उसे धन्य कहा; रानियों तथा उपपत्नियों ने उसकी प्रशंसा की, उन्होंने कहा: मित्रगण 10 कौन है यह, जो भोर के समान उद्भूत हो रही है, पूरे चांद के समान सुंदर, सूर्य के समान निर्मल, वैसी ही प्रभावशाली, जैसे झंडा फहराती हुई सेना? नायिका 11 मैं अखरोट के बगीचे में गयी कि घाटी में खिले फूलों को देखूं, कि यह पता करूं कि दाखलता में कलियां लगी हैं या नहीं. अनार के पेड़ों में फूल आए हैं या नहीं. 12 इसके पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मेरी इच्छाओं ने मुझे मेरे राजकुमार के रथों पर पहुंचा दिया. मित्रगण 13 लौट आओ, शुलामी, लौट आओ; लौट आओ, लौट आओ, कि हम तुम्हें देख सकें! नायक तुम लोग शुलामी को क्यों देखोगे, मानो यह कोई दो समूहों दो समूहों मूल में माहानाईम उत्प 32:2 देखें का नृत्य है?
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