3. वे अपने बचपन ही में वेश्या का काम मिस्र में करने लगी; उनकी छातियां कुंवारपन में पहिले वहीं मींजी गई और उनका मरदन भी हुआ।
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4. उन लड़कियों में से बड़ी का नाम ओहोला और उसकी बहिन का नाम ओहोलीबा था। वे मेरी हो गई, और उनके पुत्रा पुत्रियां उत्पन्न हुई। उनके नामों में से ओहोला तो शोमरोन, और ओहेलीबा यरूशलेम है।
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5. ओहोला जब मेरी थी, तब ही व्यभिचारिणी होकर अपने मित्रों पर मोहित होने लगी जो उसके पड़ोसी अश्शूरी थे।
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7. सो उस ने उन्हीं के साथ व्यभिचार किया जो सब के सब सव त्तम अश्शूरी थे; और जिस किसी पर वह मोहित हुई, उसी की मूरतों से वह अशुद्ध हुई।
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8. जो व्यभिचार उस ने मिस्र में सीखा था, उसको भी उस ने न छोड़ा; क्योंकि बचपन में मनुष्यों ने उसके साथ कुकर्म किया, और उसकी छातियां मींजी, और तन- मन से उसके साथ व्यभिचार किया गया था।
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10. उन्हों ने उसको नंगी किया; उसके पुत्रा- मुत्रियां छीनकर उसको तलवार से घात किया; इस प्रकार उनके हाथ से दण्ड पाकर वह स्त्रियों में प्रसिद्ध हो गई।
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12. वह अपने अश्शूरी पड़ोसियों पर मोहित होती थी, जो सब के सब अति सुन्दर वस्त्रा पहिननेवाले और घोड़ों के सवार मनभावने, जवानन अधिपति और और प्रकार के प्रधान थे।
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14. परन्तु ओहोलीबा अधिक व्यभिचार करती गई; सो जब उस ने भीत पर सेंदूर से खींचे हुए ऐसे कसदी पुरूषें के चित्रा देखेे,
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15. जो कटि में फेंटे बान्धे हुए, सिर में छोर लटकती हुई रंगीली पगड़ियां पहिने हुए, और सब के सब अपनी कसदी जन्मभूमि अर्थात् बाबुल के लोगों की रीति पर प्रधानों का रूप धरे हुए थे,
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17. सो बाबुली लोग उसके पास पलंग पर आए, और उसके साथ व्यभिचार करके उसे अशुद्ध किया; और जब वह उन से अशुद्ध हो गई, तब उसका मन उन से फिर गया।
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18. तौभी जब वह तन उधड़ती और व्यभिचार करती गई, तब मेरा मन जैसे उसकी बहिन से फिर गया था, वैसे ही उस से भी फिर गया।
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19. इस पर भी वह मिस्र देश के अपने बचपन के दिन स्मरण करके जब वह वेश्या का काम करती थी, और अधिक व्यभिचार करती गई;
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21. तू इस प्रकार से अपने बचपन के उस समय के महापाप का स्मरण कराती है जब मिस्री लोग तेरी छातियां मींजते थे।
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22. इस कारण हे ओहोलीबा, परमेश्वर यहोवा तुझ से यों कहता है, देख, मैं तेरे मिस्रों को उभारकर जिन से तेरा मन फिर गया चारों ओर से तेरे विरूद्ध ले आऊंगा।
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23. अर्थात् बाबुलियों और सब कसदियों को, और पकोद, शो और कोआ के लोगों को; और उनके साथ सब अश्शूरियों को लाऊंगा जो सब के सब घोड़ों के सवार मनभावने जवान अधिपति, और कई प्रकार के प्रतिनिधि, प्रधान और नामी पुरूष हैं।
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24. वे लोग हथियार, रथ, छकड़े और देश देश के लोगों का दल लिए हुए तुझ पर चढ़ाई करेंगे; और ढाल और फरी और टोप धारण किए हुए तेरे विरूद्ध चारों ओर पांति बान्धेंगे; और मैं उन्हीं के हाथ न्याय का काम सौंपूंगा, और वे अपने अपने नियम के अनुसार तेरा न्याय करेंगे।
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25. और मैं तुझ पर जलूंगा, जिस से वे जलजलाहट के साथ तुझ से बर्ताव करेंगे। वे तेरी नाक और कान काट लेंगे, और तेरा जो भी बचा रहेगा वह तलवार से मारा जाएगा। वे तेरे पुत्रा- पुत्रियों को छीन ले जाएंगे, और तेरा जो भी बचा रहेगा, वह आग से भस्म हो जाएगा।
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27. इस रीति से मैं तेरा महापाप और जो वेश्या का काम तू ने मिस्र देश में सीखा था, उसे भी तुझ से छुड़ाऊंगा, यहां तक कि तू फिर अपनी आंख उनकी ओर न लगाएगी और न मिस्र देश को फिर स्मरण करेगी।
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28. क्योंकि प्रभु यहोवा तुझ से यों कहता है, देख, मैं तुझे उनके हाथ सौंपूंगा जिन से तू वैर रखती है और जिन से तेरा मन फिर गया है;
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29. और वे तुझ से वैर के साथ बर्ताव करेंगे, और तेरी सारी कमाई को उठा लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे, और तेरे तन के उघाड़े जाने से तेरा व्यभिचार और महापाप प्रगट हो जाएगा।
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30. ये काम तुझ से इस कारण किए जाएंगे क्योंकि तू अन्यजातियों के पीछे व्यभिचारिणी की नाई हो गई, और उनकी मूरतें पूजकर अशुद्ध हो गई है।
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32. प्रभु यहोवा यों कहता है, अपनी बहिन के कटोरे से तुझे पीना पड़ेगा जीे गहिरा और चौड़ा है; तू हंसी और ठट्ठों में उड़ाई जाएगी, क्योंकि उस कटोरे में बहुत कुछ समाता है।
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33. तू मतवालेपन और दु:ख से छक जाएगी। तू अपनी बहिन शोमरोन के कटोरे को, अर्थात् विस्मय और उजाड़ को पीकर छक जाएगी।
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34. उस में से तू गार गारकर पीएगी, और उसके ठिकरों को भी चबाएगी और अपनी छातियां घायल करेगी; क्योंकि मैं ही ने ऐसा कहा है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
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35. तू ने जो मुझे भुला दिया है और अपना मुंह मुझ से फेर लिया है, इसलिये तू आप ही अपने महापाप और व्यभिचार का भार उठा, परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।
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36. यहोवा ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू ओहोला और ओहोलीबा का न्याय करेगा? तो फिर उनके घिनौने काम उन्हें जता दे।
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37. क्योंकि उन्हों ने व्यभिचार किया है, और उनके हाथों में खून लगा है; उन्हों ने अपनी मूरतों के साथ व्यभिचार किया, और अपने लड़केबाले जो मुझ से उत्पन्न हुए थे, उन मूरतों के आगे भस्म होने के लिये चढ़ाए हैं।
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38. फिर उन्हों ने मुझ से ऐसा बर्ताव भी किया कि उसी के साथ मेरे पवित्रास्थान को भी अशुद्ध किया और मेरे विश्रामदिनों को अपवित्रा किया है।
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39. वे अपने लड़केबाले अपनी मूरतों के साम्हने बलि चढ़ाकर उसी दिन मेरा पवित्रास्थान अपवित्रा करने को उस में घुसी। देख, उन्हों ने इस भांति का काम मेरे भवन के भीतर किया हे।
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40. और उन्हों ने दूर से पुरूषों को बुलवा भेजा, और वे चले भी आए। उनके लिये तू नहा धो, आंखों में अंजन लगा, गहने पहिनकर;
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41. सुन्दर पलंग पर बैठी रही; और तेरे साम्हने एक मेज़ बिछी हुई थी, जिस पर तू ने मेरा धूप और मेरा तेल रखा था।
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42. तब उसके साथ निश्चिन्त लोगों की भीड़ का कोलाहल सुन पड़ा, और उन साधारण लोगों के पास जंगल से बुलाए हुए पियक्कड़ लोग भी थे; उन्हों ने उन दोनों बहिनों के हाथों में चूडियां पहिनाई, और उनके सिरों पर शोभायमान मुकुट रखे।
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43. तब जो क्यभिचार करते करते बुढ़िया हो गई थी, उसके विषय में बोल उठा, अब तो वे उसी के साथ व्यभिचार करेंगे।
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44. क्योंकि वे उसके पास ऐसे गए जैसे लोग वेश्या के पास जाते हैं। वैसे ही वे ओहोला और ओहोलीबा नाम महापापिनी स्त्रियों के पास गए।
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45. सो धम लोग व्यभिचारिणियों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणीयों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणी है, और उनके हाथों में खून लगा है।
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46. इस कारण परमेश्वर यहोवा यों कहता है, मैं एक भीड़ से उन पर चढ़ाई कराकर उन्हें ऐसा करूंगा कि वे मारी मारी फिरेंगी और लटी जाएंगी।
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47. और उस भीड़ के लोग उनको पत्त्रवाह करके उन्हें अपनी तलवारों से काट डालेंगे, तब वे उनके पुत्रा- पुत्रियों को घात करके उनके घर भी आग लगाकर फूंक देंगे।
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48. इस प्रकार मैं महापाप को देश में से दूर करूंगा, और सब स्त्रियां शिक्षा माकर तुम्हारा सा महापाप करने से बची रहेगी।
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49. तुम्हारा महापाप तुम्हारे ही सिर पड़ेगा; और तुम निश्चय अपनी मूरतों को पूजा के पापों का भार उठाओगे; और तब तुम जान लोगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूं।
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