3. तू कौन है जो ज्ञान रहित होकर युक्ति पर परदा डालता है? परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात् जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिनको मैं जानता भी नहीं था।
|
7. और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अरयूब से कह चुका, तब उस ने तेमानी एलीपज से कहा, मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अरयूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही।
|
8. इसलिये अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छांटकर मेरे दास अरयूब के पास जाकर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अरयूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा, क्योंकि उसी की मैं ग्रहण करूंगा; और नहीं, तो मैं तुम से तुम्हारी मूढ़ता के योग्य बर्ताव करूंगा, क्योंकि तुम लोगों ने मेरे विषय मेरे दास अरयूब की सी ठीक बात नहीं कही।
|
9. यह सुन तेमानी एलीपज, शूही बिल्दद और नामाती सोपर ने जाकर यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया, और यहोवा ने अरयूब की प्रार्थना ग्रहण की।
|
10. जब अरयूब ने अपने मित्रों के लिये प्रार्थना की, तब यहोरवा ने उसका सारा दु:ख दूर किया, और जितना अरयूब का पहिले था, उसका दुगना यहोवा ने उसे दे दिया।
|
11. तब उसके सब भाई, और सब बहिनें, और जितने पहिले उसको जानते पहिचानते थे, उन सभों ने आकर उसके यहां उसके संग भोजन किया; और जितनी विपत्ति यहोवा ने उस पर डाली थी, उस सब के विषय उन्हों ने विलाप किया, और उसे शान्ति दी; और उसे एक एक सिक्का ओर सोने की एक एक बाली दी।
|
12. और यहोवा ने अरयूब के पिछले दिनों में उसको अगले दिनों से अधिक आशीष दी; और उसके चौदह हजार भेंड़ बकरियां, छेहजार ऊंट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियां हो गई।
|
15. और उस सारे देश में एंसी स्त्रियां कहीं न थीं, जो अरयूब की बेटियों के समान सुन्दर हों, और उनके पिता ने उनको उनके भाइयों के संग ही सम्पत्ति दी।
|