1. तब एप्रैमी पुरूष इकट्ठे हो कर सापोन को जा कर यिप्तह से कहने लगे, कि जब तू अम्मोनियों से लड़ने को गया तब हमें संग चलने को क्यों नहीं बुलवाया? हम तेरा घर तुझ समेत जला देंगे।
2. यिप्तह ने उन से कहा, मेरा और मेरे लोगों का अम्मोनियों से बड़ा झगड़ा हुआ था; और जब मैं ने तुम से सहायता मांगी, तब तुम ने मुझे उनके हाथ से नहीं बचाया।
3. तब यह देखकर कि तुम मुझे नहीं बचाते मैं अपने प्राणों को हथेली पर रखकर अम्मोनियों के विरुद्ध चला, और यहोवा ने उन को मेरे हाथ में कर दिया; फिर तुम अब मुझ से लड़ने को क्यों चढ़ आए हो?
4. तब यिप्तह गिलाद के सब पुरूषों को इकट्ठा करके एप्रैम से लड़ा और एप्रैम जो कहता था, कि हे गिलादियो, तुम तो एप्रैम और मनश्शे के बीच रहने वाले एप्रैमियों के भगोड़े हो, और गिलादियों ने उन को मार लिया।
5. और गिलादियों ने यरदन का घाट उन से पहिले अपने वश में कर लिया। और जब कोई एप्रैमी भगोड़ा कहता, कि मुझे पार जाने दो, तब गिलाद के पुरूष उस से पूछते थे, क्या तू एप्रैमी है? और यदि वह कहता नहीं,
6. तो वह उस से कहते, अच्छा, शिब्बोलेत कह, और वह कहता सिब्बोलेत, क्योंकि उस से वह ठीक बोला नहीं जाता था; तब वे उसको पकड़ कर यरदन के घाट पर मार डालते थे। इस प्रकार उस समय बयालीस हजार एप्रैमी मारे गए॥
7. यिप्तह छ: वर्ष तक इस्राएल का न्याय करता रहा। तब यिप्तह गिलादी मर गया, और उसको गिलाद के किसी नगर में मिट्टी दी गई॥
8. उसके बाद बेतलेहेम का निवासी इबसान इस्राएल का न्याय करने लगा।
9. और उसके तीस बेटे हुए; और उसने अपनी तीस बेटियां बाहर ब्याह दीं, और बाहर से अपने बेटों का ब्याह करके तीस बहू ले आया। और वह इस्राएल का न्याय सात वर्ष तक करता रहा।
10. तब इबसान मर गया, और उसको बेतलेहेम में मिट्टी दी गई॥
11. उसके बाद जबूलूनी एलोन इस्राएल का न्याय करने लगा; और वह इस्राएल का न्याय दस वर्ष तक करता रहा।
12. तब एलोन जबूलूनी मर गया, और उसको जबूलून के देश के अय्यालोन में मिट्टी दी गई॥
13. उसके बाद हिल्लेल का पुत्र पिरातोनी अब्दोन इस्राएल का न्याय करने लगा।
14. और उसके चालीस बेटे और तीस पोते हुए, जो गदहियों के सत्तर बच्चों पर सवार हुआ करते थे। वह आठ वर्ष तक इस्राएल का न्याय करता रहा।
15. तब हिल्लेल का पुत्र पिरातोनी अब्दोन मर गया, और उसको एप्रैम के देश के पिरातोन में, जो अमालेकियों के पहाड़ी देश में है, मिट्टी दी गई॥