पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यहेजकेल
1. इसके बाद मैं ने देखा कि करूबों के सिरों के ऊपर जो आकाशमण्डल है, उस में नीलमणि का सिंहासन सा कुछ दिखाई देता है।
2. तब यहोवा ने उस सन के वस्त्रा पहिने हुए पुरूष से कहा, घूमनेवाले पहियों के बीच करूबों के नीचे जा और अपनी दोनों मुटि्ठयों को करूबों के बीच के अंगारों से भरकर नगर पर छितरा दे। सो वह मेरे देखते देखते उनके बीच में गया।
3. जब वह पुरूष भीतर गया, तब वे करूब भवन की दक्खिन ओर खड़े थे; और बादल भीतरवाले आंगन में भरा हुआ था।
4. तब यहोवा का तेज करूबों के ऊपर से उठकर भवन की डेवढ़ी पर आ गया; और बादल भवन में भर गया; और वह आंगन यहोवा के तेज के प्रकाश से भर गया।
5. और करूबों के पंखों का शब्द बाहरी आंगन तक सुनाई देता था, वह सर्वशक्तिमान् परमेश्वर के बोलने का सा शब्द था।
6. जब उस ने सन के वस्त्रा पहिने हुए पुरूष को घूमनेवाले पहियों के भीतर करूबों के बीच में से आग लेने की आज्ञा दी, तब वह उनके बीच में जाकर एक पहिये के पास खड़ा हुआ।
7. तब करूबों के बीच से एक करूब ने अपना हाथ बढ़ाकर, उस आग में से जो करूबों के बीच में थी, कुछ उठाकर सन के वस्त्रा पहिने हुए पुरूष की मुट्ठी में दे दी; और वह उसे लेकर बाहर चला गया।
8. करूबों के पंखों के नीचे तो मनुष्य का हाथ सा कुछ दिखाई देता था।
9. तब मैं ने देखा, कि करूबें के पास चार पहिये हैं; अर्थात् एक एक करूब के पास एक एक पहिया है, और पहियों का रूप फीरोज़ा का सा है।
10. और उनका ऐसा रूप है, कि चारों एक से दिखाई देते हैं, जैसे एक पहिये के बीच दूसरा पहिया हो।
11. चलने के समय वे अपनी चारों अलंगों के बल से चलते हैं; और चलते समय मुड़ते नहीं, वरन जिधर उनका सिर रहता है वे उधर ही उसके पीछे चलते हैं और चलते समय वे मुड़ते नहीं।
12. और पीठ हाथ और पंखों समेत करूबों का सारा शरीर और जो पहिये उनके हैं, वे भी सब के सब चारों ओर आंखों से भरे हुए हैं।
13. मेरे सुनते हुए इन पहियों को चक्कर कहा गया, अर्थात् घूमनेवाले पहिये।
14. और एक एक के चार चार मुख थे; एक मुख तो करूब का सा, दूसरा पनुष्य का सा, तीसरा सिंह का सा, और चौथा उकाब पक्षी का सा।
15. और करूब भूमि पर से उठ गए। ये वे ही जीवधारी हैं, जो मैं ने कबार नदी के पास देखे थे।
16. और जब जब वे करूब चलते थे तब तब वे पहिये उनके पास पास चलते थे; और जब जब करूब पृथ्वी पर से उठने के लिये अपने पंख उठाते तब तब पहिये उनके पास से नहीं मुड़ते थे।
17. जब वे खड़े होते तब ये भी खड़े होते थे; और जब वे उठते तब ये भी उनके संग उठते थे; क्योंकि जीवधारियों की आत्मा इन में भी रहती थी।
18. यहोवा का तेज भवन की डेवढ़ी पर से उठकर करूबों के ऊपर ठहर गया।
19. और करूब अपने पंख उठाकर मेरे देखते देखते पृथ्वी पर से उठकर निकल गए; और पहिये भी उनके संग संग गए, और वे सब यहोवा के भवन के पूव फाटक में खड़े हो गए; और इस्राएल के परमेश्वर का तेज उनके ऊपर ठहरा रहा।
20. ये वे ही जीवधारी हैं जो मैं ने कबार नदी के पास इस्राएल के परमेश्वर के नीचे देखे थे; और मैं ने जान लिया कि वे भी करूब हैं
21. हर एक के चार मुख और चार पंख और पंखों के नीचे मनुष्य के से हाथ भी थे।
22. और उनके मुखों का रूप वही है जो मैं ने कबार नदी के तीर पर देखा था। और उनके मुख ही क्या वरन उनकी सारी देह भी वैसी ही थी। वे सीधे अपने अपने साम्हने ही चलते थे।

Notes

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यहेजकेल 10
1. इसके बाद मैं ने देखा कि करूबों के सिरों के ऊपर जो आकाशमण्डल है, उस में नीलमणि का सिंहासन सा कुछ दिखाई देता है।
2. तब यहोवा ने उस सन के वस्त्रा पहिने हुए पुरूष से कहा, घूमनेवाले पहियों के बीच करूबों के नीचे जा और अपनी दोनों मुटि्ठयों को करूबों के बीच के अंगारों से भरकर नगर पर छितरा दे। सो वह मेरे देखते देखते उनके बीच में गया।
3. जब वह पुरूष भीतर गया, तब वे करूब भवन की दक्खिन ओर खड़े थे; और बादल भीतरवाले आंगन में भरा हुआ था।
4. तब यहोवा का तेज करूबों के ऊपर से उठकर भवन की डेवढ़ी पर गया; और बादल भवन में भर गया; और वह आंगन यहोवा के तेज के प्रकाश से भर गया।
5. और करूबों के पंखों का शब्द बाहरी आंगन तक सुनाई देता था, वह सर्वशक्तिमान् परमेश्वर के बोलने का सा शब्द था।
6. जब उस ने सन के वस्त्रा पहिने हुए पुरूष को घूमनेवाले पहियों के भीतर करूबों के बीच में से आग लेने की आज्ञा दी, तब वह उनके बीच में जाकर एक पहिये के पास खड़ा हुआ।
7. तब करूबों के बीच से एक करूब ने अपना हाथ बढ़ाकर, उस आग में से जो करूबों के बीच में थी, कुछ उठाकर सन के वस्त्रा पहिने हुए पुरूष की मुट्ठी में दे दी; और वह उसे लेकर बाहर चला गया।
8. करूबों के पंखों के नीचे तो मनुष्य का हाथ सा कुछ दिखाई देता था।
9. तब मैं ने देखा, कि करूबें के पास चार पहिये हैं; अर्थात् एक एक करूब के पास एक एक पहिया है, और पहियों का रूप फीरोज़ा का सा है।
10. और उनका ऐसा रूप है, कि चारों एक से दिखाई देते हैं, जैसे एक पहिये के बीच दूसरा पहिया हो।
11. चलने के समय वे अपनी चारों अलंगों के बल से चलते हैं; और चलते समय मुड़ते नहीं, वरन जिधर उनका सिर रहता है वे उधर ही उसके पीछे चलते हैं और चलते समय वे मुड़ते नहीं।
12. और पीठ हाथ और पंखों समेत करूबों का सारा शरीर और जो पहिये उनके हैं, वे भी सब के सब चारों ओर आंखों से भरे हुए हैं।
13. मेरे सुनते हुए इन पहियों को चक्कर कहा गया, अर्थात् घूमनेवाले पहिये।
14. और एक एक के चार चार मुख थे; एक मुख तो करूब का सा, दूसरा पनुष्य का सा, तीसरा सिंह का सा, और चौथा उकाब पक्षी का सा।
15. और करूब भूमि पर से उठ गए। ये वे ही जीवधारी हैं, जो मैं ने कबार नदी के पास देखे थे।
16. और जब जब वे करूब चलते थे तब तब वे पहिये उनके पास पास चलते थे; और जब जब करूब पृथ्वी पर से उठने के लिये अपने पंख उठाते तब तब पहिये उनके पास से नहीं मुड़ते थे।
17. जब वे खड़े होते तब ये भी खड़े होते थे; और जब वे उठते तब ये भी उनके संग उठते थे; क्योंकि जीवधारियों की आत्मा इन में भी रहती थी।
18. यहोवा का तेज भवन की डेवढ़ी पर से उठकर करूबों के ऊपर ठहर गया।
19. और करूब अपने पंख उठाकर मेरे देखते देखते पृथ्वी पर से उठकर निकल गए; और पहिये भी उनके संग संग गए, और वे सब यहोवा के भवन के पूव फाटक में खड़े हो गए; और इस्राएल के परमेश्वर का तेज उनके ऊपर ठहरा रहा।
20. ये वे ही जीवधारी हैं जो मैं ने कबार नदी के पास इस्राएल के परमेश्वर के नीचे देखे थे; और मैं ने जान लिया कि वे भी करूब हैं
21. हर एक के चार मुख और चार पंख और पंखों के नीचे मनुष्य के से हाथ भी थे।
22. और उनके मुखों का रूप वही है जो मैं ने कबार नदी के तीर पर देखा था। और उनके मुख ही क्या वरन उनकी सारी देह भी वैसी ही थी। वे सीधे अपने अपने साम्हने ही चलते थे।
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