पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!
2. क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!
3. फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।
4. तू ने अपने उपदेश इसलिये दिए हैं, कि वे यत्न से माने जाएं।
5. भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए!
6. तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी।
7. जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा।
8. मैं तेरी विधियों को मानूंगा: मुझे पूरी रीति से न तज!
9. जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
10. मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
11. मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं।
12. हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!
13. तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
14. मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
15. मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।
16. मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा॥
17. अपने दास का उपकार कर, कि मैं जीवित रहूं, और तेरे वचन पर चलता रहूं।
18. मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं।
19. मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूं; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख!
20. मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।
21. तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं।
22. मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूं।
23. हाकिम भी बैठे हुए आपास में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा।
24. तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मन्त्री हैं॥
25. मैं धूल में पड़ा हूं; तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला!
26. मैं ने अपनी चालचलन का तुझ से वर्णन किया है और तू ने मेरी बात मान ली है; तू मुझ को अपनी विधियां सिखा!
27. अपने उपदेशों का मार्ग मुझे बता, तब मैं तेरे आश्यर्चकर्मों पर ध्यान करूंगा।
28. मेरा जीवन उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भल!
29. मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और करूणा कर के अपनी व्यवस्था मुझे दे।
30. मैं ने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है, तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूं।
31. मैं तेरी चितौनियों में लौलीन हूं, हे यहोवा, मेरी आशा न तोड़!
32. जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा, तब मैं तेरी आज्ञाओं के मार्ग में दौडूंगा॥
33. हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा।
34. मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा।
35. अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूं।
36. मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।
37. मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।
38. तेरा वचन जो तेरे भय मानने वालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।
39. जिस नामधराई से मैं डरता हूं, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।
40. देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूं; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।
41. हे यहोवा, तेरी करूणा और तेरा किया हुआ उद्धार, तेरे वचन के अनुसार, मुझ को भी मिले;
42. तब मैं अपनी नामधराई करने वालों को कुछ उत्तर दे सकूंगा, क्योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है।
43. मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोक क्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर हैं।
44. तब मैं तेरी व्यवस्था पर लगातार, सदा सर्वदा चलता रहूंगा;
45. और मैं चोड़े स्थान में चला फिरा करूंगा, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है।
46. और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के साम्हने भी करूंगा, और संकोच न करूंगा;
47. क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूं, और मैं उन से प्रीति रखता हूं।
48. मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिन में मैं प्रीति रखता हूं, हाथ फैलाऊंगा और तेरी विधियों पर ध्यान करूंगा॥
49. जो वचन तू ने अपने दास को दिया है, उसे स्मरण कर, क्योंकि तू ने मुझे आशा दी है।
50. मेरे दु:ख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है।
51. अभिमानियों ने मुझे अत्यन्त ठट्ठे में उड़ाया है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा।
52. हे यहोवा, मैं ने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शान्ति पाई है।
53. जो दुष्ट तेरी व्यवस्था को छोड़े हुए हैं, उनके कारण मैं सन्ताप से जलता हूं।
54. जहां मैं परदेशी होकर रहता हूं, वहां तेरी विधियां, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं।
55. हे यहोवा, मैं ने रात को तेरा नाम स्मरण किया और तेरी व्यवस्था पर चला हूं।
56. यह मुझ से इस कारण हुआ, कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था॥
57. यहोवा मेरा भाग है; मैं ने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है।
58. मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिये अपने वचन के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर।
59. मैं ने अपनी चालचलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।
60. मैं ने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है।
61. मैं दुष्टों की रस्सियों बन्ध गया हूं, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।
62. तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूंगा।
63. जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूं।
64. हे यहोवा, तेरी करुणा पृथ्वी में भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियां सिखा!
65. हे यहोवा, तू ने अपने वचन के अनुसार अपने दास के संग भलाई की है।
66. मुझे भली विवेक- शक्ति और ज्ञान दे, क्योंकि मैं ने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है।
67. उससे पहिले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं।
68. तू भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियां सिखा।
69. अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूंगा।
70. उनका मन मोटा हो गया है, परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूं।
71. मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं।
72. तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिये हजारों रूपयों और मुहरों से भी उत्तम है॥
73. तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूं; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूं।
74. तेरे डरवैये मुझे देख कर आनन्दित होंगे, क्योंकि मैं ने तेरे वचन पर आशा लगाई है।
75. हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है।
76. मुझे अपनी करूणा से शान्ति दे, क्योंकि तू ने अपने दास को ऐसा ही वचन दिया है।
77. तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूंगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं।
78. अभिमानियों की आशा टूटे, क्योंकि उन्होंने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है; परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा।
79. जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे।
80. मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े॥
81. मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है; परन्तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है।
82. मेरी आंखें तेरे वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गईं है; और मैं कहता हूं कि तू मुझे कब शान्ति देगा?
83. क्योंकि मैं धूएं में की कुप्पी के समान हो गया हूं, तौभी तेरी विधियों को नहीं भूला।
84. तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्ड कब देगा?
85. अभिमानी जो तरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते, उन्होंने मेरे लिये गड़हे खोदे हैं।
86. तेरी सब आज्ञाएं विश्वासयोग्य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर!
87. वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्तु मैं ने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा।
88. अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूंगा॥
89. हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्थिर रहता है।
90. तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तू ने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिये वह बनी है।
91. वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्योंकि सारी सृष्टि तेरे आधीन है।
92. यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दु:ख के समय नाश हो जाता।
93. मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूंगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है।
94. मैं तेरा ही हूं, तू मेरा उद्धार कर; क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूं।
95. दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूं।
96. जितनी बातें पूरी जान पड़ती हैं, उन सब को तो मैं ने अधूरी पाया है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा है॥
97. अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
98. तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
99. मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
100. मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं।
101. मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।
102. मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।
103. तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!
104. तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं॥
105. तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।
106. मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूंगा।
107. मैं अत्यन्त दु:ख में पड़ा हूं; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला।
108. हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जान कर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।
109. मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
110. दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
111. मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं।
112. मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं।
113. मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं।
114. तू मेरी आड़ और ढ़ाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है।
115. हे कुकर्मियों, मुझ से दूर हो जाओ, कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूं।
116. हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूं, और मेरी आशा को न तोड़!
117. मुझे थाम रख, तब मैं बचा रहूंगा, और निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूंगा!
118. जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्छ जानता है, क्योंकि उनकी चतुराई झूठ है।
119. तू ने पृथ्वी के सब दुष्टों को धातु के मैल के समान दूर किया है; इस कारण मैं तेरी चितौनियों से प्रीति रखता हूं।
120. तेरे भय से मेरा शरीर कांप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूं॥
121. मैं ने तो न्याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अन्धेर करने वालों के हाथ में न छोड़।
122. अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो, ताकि अभिमानी मुझ पर अन्धेर न करने पांए।
123. मेरी आंखें तुझ से उद्धार पाने, और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गई हैं।
124. अपने दास के संग अपनी करूणा के अनुसार बर्ताव कर, और अपनी विधियां मुझे सिखा।
125. मैं तेरा दास हूं, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी चितौनियों को समझूं।
126. वह समय आया है, कि यहोवा काम करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था को तोड़ दिया है।
127. इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूं।
128. इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूं; और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं॥
129. तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं।
130. तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उससे भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं।
131. मैं मुंह खोल कर हांफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।
132. जैसी तेरी रीति अपने नाम की प्रीति रखने वालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिर कर मुझ पर अनुग्रह कर।
133. मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
134. मुझे मनुष्यों के अन्धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा।
135. अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियां मुझे सिखा।
136. मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते॥
137. हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं।
138. तू ने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्यता से कहा है।
139. मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे सताने वाले तेरे वचनों को भूल गए हैं।
140. तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिये तेरा दास उस में प्रीति रखता है।
141. मैं छोटा और तुच्छ हूं, तौभी मैं तेरे उपदेशों को नही भूलता।
142. तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्यवस्था सत्य है।
143. मैं संकट और सकेती में फंसा हूं, परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूं।
144. तेरी चितौनियां सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूं॥
145. मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूंगा।
146. मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूंगा।
147. मैं ने पौ फटने से पहिले दोहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी।
148. मेरी आंखें रात के एक एक पहर से पहिले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूं।
149. अपनी करूणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी रीति के अनुसार मुझे जीवित कर।
150. जो दुष्टता में धुन लगाते हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं।
151. हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएं सत्य हैं।
152. बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूं, कि तू ने उनकी नेव सदा के लिये डाली है॥
153. मेरे दु:ख को देख कर मुझे छुड़ा ले, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
154. मेरा मुकद्दमा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला।
155. दुष्टों को उद्धार मिलना कठिन है, क्योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते।
156. हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिये अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला।
157. मेरा पीछा करने वाले और मेरे सताने वाले बहुत हैं, परन्तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता।
158. मैं विश्वासघातियों को देख कर उदास हुआ, क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते।
159. देख, मैं तेरे नियमों से कैसी प्रीति रखता हूं! हे यहोवा, अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला।
160. तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है॥
161. हाकिम व्यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं, परन्तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है।
162. जैसे कोई बड़ी लूट पा कर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूं।
163. झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं।
164. तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बेर तेरी स्तुति करता हूं।
165. तेरी व्यवस्था से प्रीति रखने वालों को बड़ी शान्ति होती है; और उन को कुछ ठोकर नहीं लगती।
166. हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की आशा रखता हूं; और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूं।
167. मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूं, और उन से बहुत प्रीति रखता आया हूं।
168. मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूं, क्योंकि मेरी सारी चालचलन तेरे सम्मुख प्रगट है॥
169. हे यहोवा, मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे!
170. मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले।
171. मेरे मुंह से स्तुति निकला करे, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियां सिखाता है।
172. मैं तेरे वचन का गीत गाऊंगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएं धर्ममय हैं।
173. तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों को अपनाया है।
174. हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूं, मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं।
175. मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूंगा, तेरे नियमों से मेरी सहायता हो।
176. मैं खोई हुई भेड़ की नाईं भटका हूं; तू अपने दास को ढूंढ़ ले, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया॥

Notes

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Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 119 / 150
भजन संहिता 119:134
1 क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं! 2 क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं! 3 फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं। 4 तू ने अपने उपदेश इसलिये दिए हैं, कि वे यत्न से माने जाएं। 5 भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए! 6 तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी। 7 जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा। 8 मैं तेरी विधियों को मानूंगा: मुझे पूरी रीति से न तज! 9 जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। 10 मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! 11 मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। 12 हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा! 13 तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है। 14 मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं। 15 मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा। 16 मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा॥ 17 अपने दास का उपकार कर, कि मैं जीवित रहूं, और तेरे वचन पर चलता रहूं। 18 मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं। 19 मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूं; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख! 20 मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है। 21 तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं। 22 मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूं। 23 हाकिम भी बैठे हुए आपास में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा। 24 तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मन्त्री हैं॥ 25 मैं धूल में पड़ा हूं; तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला! 26 मैं ने अपनी चालचलन का तुझ से वर्णन किया है और तू ने मेरी बात मान ली है; तू मुझ को अपनी विधियां सिखा! 27 अपने उपदेशों का मार्ग मुझे बता, तब मैं तेरे आश्यर्चकर्मों पर ध्यान करूंगा। 28 मेरा जीवन उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भल! 29 मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और करूणा कर के अपनी व्यवस्था मुझे दे। 30 मैं ने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है, तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूं। 31 मैं तेरी चितौनियों में लौलीन हूं, हे यहोवा, मेरी आशा न तोड़! 32 जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा, तब मैं तेरी आज्ञाओं के मार्ग में दौडूंगा॥ 33 हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा। 34 मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा। 35 अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूं। 36 मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे। 37 मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला। 38 तेरा वचन जो तेरे भय मानने वालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर। 39 जिस नामधराई से मैं डरता हूं, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं। 40 देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूं; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला। 41 हे यहोवा, तेरी करूणा और तेरा किया हुआ उद्धार, तेरे वचन के अनुसार, मुझ को भी मिले; 42 तब मैं अपनी नामधराई करने वालों को कुछ उत्तर दे सकूंगा, क्योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है। 43 मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोक क्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर हैं। 44 तब मैं तेरी व्यवस्था पर लगातार, सदा सर्वदा चलता रहूंगा; 45 और मैं चोड़े स्थान में चला फिरा करूंगा, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है। 46 और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के साम्हने भी करूंगा, और संकोच न करूंगा; 47 क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूं, और मैं उन से प्रीति रखता हूं। 48 मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिन में मैं प्रीति रखता हूं, हाथ फैलाऊंगा और तेरी विधियों पर ध्यान करूंगा॥ 49 जो वचन तू ने अपने दास को दिया है, उसे स्मरण कर, क्योंकि तू ने मुझे आशा दी है। 50 मेरे दु:ख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है। 51 अभिमानियों ने मुझे अत्यन्त ठट्ठे में उड़ाया है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा। 52 हे यहोवा, मैं ने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शान्ति पाई है। 53 जो दुष्ट तेरी व्यवस्था को छोड़े हुए हैं, उनके कारण मैं सन्ताप से जलता हूं। 54 जहां मैं परदेशी होकर रहता हूं, वहां तेरी विधियां, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं। 55 हे यहोवा, मैं ने रात को तेरा नाम स्मरण किया और तेरी व्यवस्था पर चला हूं। 56 यह मुझ से इस कारण हुआ, कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था॥ 57 यहोवा मेरा भाग है; मैं ने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है। 58 मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिये अपने वचन के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर। 59 मैं ने अपनी चालचलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया। 60 मैं ने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है। 61 मैं दुष्टों की रस्सियों बन्ध गया हूं, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला। 62 तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूंगा। 63 जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूं। 64 हे यहोवा, तेरी करुणा पृथ्वी में भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियां सिखा! 65 हे यहोवा, तू ने अपने वचन के अनुसार अपने दास के संग भलाई की है। 66 मुझे भली विवेक- शक्ति और ज्ञान दे, क्योंकि मैं ने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है। 67 उससे पहिले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं। 68 तू भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियां सिखा। 69 अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूंगा। 70 उनका मन मोटा हो गया है, परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूं। 71 मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं। 72 तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिये हजारों रूपयों और मुहरों से भी उत्तम है॥ 73 तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूं; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूं। 74 तेरे डरवैये मुझे देख कर आनन्दित होंगे, क्योंकि मैं ने तेरे वचन पर आशा लगाई है। 75 हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है। 76 मुझे अपनी करूणा से शान्ति दे, क्योंकि तू ने अपने दास को ऐसा ही वचन दिया है। 77 तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूंगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं। 78 अभिमानियों की आशा टूटे, क्योंकि उन्होंने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है; परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा। 79 जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे। 80 मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े॥ 81 मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है; परन्तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है। 82 मेरी आंखें तेरे वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गईं है; और मैं कहता हूं कि तू मुझे कब शान्ति देगा? 83 क्योंकि मैं धूएं में की कुप्पी के समान हो गया हूं, तौभी तेरी विधियों को नहीं भूला। 84 तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्ड कब देगा? 85 अभिमानी जो तरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते, उन्होंने मेरे लिये गड़हे खोदे हैं। 86 तेरी सब आज्ञाएं विश्वासयोग्य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर! 87 वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्तु मैं ने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा। 88 अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूंगा॥ 89 हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्थिर रहता है। 90 तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तू ने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिये वह बनी है। 91 वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्योंकि सारी सृष्टि तेरे आधीन है। 92 यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दु:ख के समय नाश हो जाता। 93 मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूंगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है। 94 मैं तेरा ही हूं, तू मेरा उद्धार कर; क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूं। 95 दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूं। 96 जितनी बातें पूरी जान पड़ती हैं, उन सब को तो मैं ने अधूरी पाया है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा है॥ 97 अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है। 98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं। 99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। 100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं। 101 मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं। 102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है। 103 तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! 104 तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं॥ 105 तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। 106 मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूंगा। 107 मैं अत्यन्त दु:ख में पड़ा हूं; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला। 108 हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जान कर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा। 109 मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया। 110 दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका। 111 मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं। 112 मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं। 113 मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं। 114 तू मेरी आड़ और ढ़ाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है। 115 हे कुकर्मियों, मुझ से दूर हो जाओ, कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूं। 116 हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूं, और मेरी आशा को न तोड़! 117 मुझे थाम रख, तब मैं बचा रहूंगा, और निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूंगा! 118 जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्छ जानता है, क्योंकि उनकी चतुराई झूठ है। 119 तू ने पृथ्वी के सब दुष्टों को धातु के मैल के समान दूर किया है; इस कारण मैं तेरी चितौनियों से प्रीति रखता हूं। 120 तेरे भय से मेरा शरीर कांप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूं॥ 121 मैं ने तो न्याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अन्धेर करने वालों के हाथ में न छोड़। 122 अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो, ताकि अभिमानी मुझ पर अन्धेर न करने पांए। 123 मेरी आंखें तुझ से उद्धार पाने, और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गई हैं। 124 अपने दास के संग अपनी करूणा के अनुसार बर्ताव कर, और अपनी विधियां मुझे सिखा। 125 मैं तेरा दास हूं, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी चितौनियों को समझूं। 126 वह समय आया है, कि यहोवा काम करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था को तोड़ दिया है। 127 इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूं। 128 इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूं; और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं॥ 129 तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं। 130 तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उससे भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं। 131 मैं मुंह खोल कर हांफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था। 132 जैसी तेरी रीति अपने नाम की प्रीति रखने वालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिर कर मुझ पर अनुग्रह कर। 133 मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे। 134 मुझे मनुष्यों के अन्धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा। 135 अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियां मुझे सिखा। 136 मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते॥ 137 हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं। 138 तू ने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्यता से कहा है। 139 मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे सताने वाले तेरे वचनों को भूल गए हैं। 140 तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिये तेरा दास उस में प्रीति रखता है। 141 मैं छोटा और तुच्छ हूं, तौभी मैं तेरे उपदेशों को नही भूलता। 142 तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्यवस्था सत्य है। 143 मैं संकट और सकेती में फंसा हूं, परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूं। 144 तेरी चितौनियां सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूं॥ 145 मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूंगा। 146 मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूंगा। 147 मैं ने पौ फटने से पहिले दोहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी। 148 मेरी आंखें रात के एक एक पहर से पहिले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूं। 149 अपनी करूणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी रीति के अनुसार मुझे जीवित कर। 150 जो दुष्टता में धुन लगाते हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं। 151 हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएं सत्य हैं। 152 बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूं, कि तू ने उनकी नेव सदा के लिये डाली है॥ 153 मेरे दु:ख को देख कर मुझे छुड़ा ले, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया। 154 मेरा मुकद्दमा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला। 155 दुष्टों को उद्धार मिलना कठिन है, क्योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते। 156 हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिये अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला। 157 मेरा पीछा करने वाले और मेरे सताने वाले बहुत हैं, परन्तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता। 158 मैं विश्वासघातियों को देख कर उदास हुआ, क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते। 159 देख, मैं तेरे नियमों से कैसी प्रीति रखता हूं! हे यहोवा, अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला। 160 तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है॥ 161 हाकिम व्यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं, परन्तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है। 162 जैसे कोई बड़ी लूट पा कर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूं। 163 झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं। 164 तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बेर तेरी स्तुति करता हूं। 165 तेरी व्यवस्था से प्रीति रखने वालों को बड़ी शान्ति होती है; और उन को कुछ ठोकर नहीं लगती। 166 हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की आशा रखता हूं; और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूं। 167 मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूं, और उन से बहुत प्रीति रखता आया हूं। 168 मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूं, क्योंकि मेरी सारी चालचलन तेरे सम्मुख प्रगट है॥ 169 हे यहोवा, मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे! 170 मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले। 171 मेरे मुंह से स्तुति निकला करे, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियां सिखाता है। 172 मैं तेरे वचन का गीत गाऊंगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएं धर्ममय हैं। 173 तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों को अपनाया है। 174 हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूं, मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं। 175 मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूंगा, तेरे नियमों से मेरी सहायता हो। 176 मैं खोई हुई भेड़ की नाईं भटका हूं; तू अपने दास को ढूंढ़ ले, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया॥
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