4. जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा; मैं उनके लोहूवाले तपावन नहीं तपाऊंगा और उनका नाम अपने ओठों से नहीं लूंगा।।
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7. मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उस ने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है।
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8. मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है : इसलिये कि वह मेरे दहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।।
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11. तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।।
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