HOV
19. सो हे राजा अग्रिप्पा, मैं ने उस स्वर्गीय दर्शन की बात न टाली।
ERVHI
19. “हे राजन अग्रिप्पा, इसीलिये तभी से उस दर्शन की आज्ञा का कभी भी उल्लंघन न करते हूए
IRVHI
19. अतः हे राजा अग्रिप्पा, मैंने उस स्वर्गीय दर्शन की बात न टाली,
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