HOV
18. फिर एक और स्वर्गदूत जिस आग पर अधिकार था, वेदी में से निकला, और जिस के पास चोखा हंसुआ था, उस से ऊंचे शब्द से कहा; अपना चोखा हंसुआ लगा कर पृथ्वी की दाख लता के गुच्छे काट ले; क्योंकि उस की दाख पक चुकी है।
ERVHI
18. तभी वेदी से एक और स्वर्गदूत आया। अग्नि पर उसका अधिकार था। उस स्वर्गदूत से ऊँचे स्वर में कहा, “अपने तेज हँसिये का प्रयोग कर और धरती की बेल से अंगूर के गुच्छे उतार ले क्योंकि इसके अंगूर पक चुके हैं।”
IRVHI
18. फिर एक और स्वर्गदूत, जिसे आग पर अधिकार था, वेदी में से निकला, और जिसके पास उत्तम हँसुआ था, उससे ऊँचे शब्द से कहा, “अपना उत्तम हँसुआ लगाकर पृथ्वी की दाखलता के गुच्छे काट ले; क्योंकि उसकी दाख पक चुकी है।”
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