पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
HOV
28. धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं, परन्तु दुष्टों के मुंह से बुरी बातें उबल आती हैं।

ERVHI
28. धर्मी जन का मन तौल कर बोलता है किन्तु दुष्ट का मुख, बुरी बात उगलता है।

IRVHI
28. धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूँ, परन्तु दुष्टों के मुँह से बुरी बातें उबल आती हैं।



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  • धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं, परन्तु दुष्टों के मुंह से बुरी बातें उबल आती हैं।
  • ERVHI

    धर्मी जन का मन तौल कर बोलता है किन्तु दुष्ट का मुख, बुरी बात उगलता है।
  • IRVHI

    धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूँ, परन्तु दुष्टों के मुँह से बुरी बातें उबल आती हैं।
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