ERVHI
20. धर्मी की वाणी विशुद्ध चाँदी है, किन्तु दुष्ट के हृदय का कोई नहीं मोल।
HOV
20. धर्मी के वचन तो उत्तम चान्दी हैं; परन्तु दुष्टों का मन बहुत हलका होता है।
IRVHI
20. धर्मी के वचन तो उत्तम चाँदी हैं; परन्तु दुष्टों का मन मूल्य-रहित होता है।
KJV
AMP
KJVP
YLT
ASV
WEB
NASB
ESV
RV
RSV
NKJV
MKJV
AKJV
NRSV
NIV
NIRV
NLT
MSG
GNB
NET
ERVEN