ERVHI
24. मीठी वाणी छत्ते के शहद सी होती है, एक नयी चेतना भीतर तक भर देती है।
HOV
24. मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।
IRVHI
24. मनभावने वचन मधुभरे छत्ते के समान प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।
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