ERVHI
33. तू ऐसा हो जायेगा, जैसे उफनते सागर पर सो रहा हो और जैसे मस्तूल की शिखर लेटा हो।
HOV
33. तू विचित्र वस्तुएं देखेगा, और उल्टी-सीधी बातें बकता रहेगा।
IRVHI
33. तू विचित्र वस्तुएँ देखेगा, और उलटी-सीधी बातें बकता रहेगा।
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