HOV
22. हे भटकने वाली कन्या, तू कब तक इधर उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्टि पृथ्वी पर प्रगट होगी, अर्थात नारी पुरुष की सहायता करेगी।
ERVHI
22. अविश्वासी पुत्री कब तक तुम चारों ओर मंडराती रहोगी तुम कब घर आओगी” यहोवा एक नयी चीज़ धरती पर बनाता है: एक स्त्री, पुरुष के चारों तरफ।
IRVHI
22. हे भटकनेवाली कन्या, तू कब तक इधर-उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्टि पृथ्वी पर प्रगट होगी, अर्थात् नारी पुरुष की सहायता करेगी*।”
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