HOV
23. मैं सदा से वरन आदि ही से पृथ्वी की सृष्टि के पहिले ही से ठहराई गई हूं।
ERVHI
23. मेरी रचना सनातन काल से हुई। आदि से, जगत की रचना के पहले से हुई।
IRVHI
23. मैं सदा से वरन् आदि ही से पृथ्वी की सृष्टि से पहले ही से ठहराई गई हूँ।
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