HOV
14. अब मेरे मन भावने फल तेरे पास से जाते रहे; और स्वादिष्ट और भड़कीली वस्तुएं तुझ से दूर हुई हैं, और वे फिर कदापि न मिलेंगी।
ERVHI
14. ‘हे बाबुल! वे सभी उत्तम वस्तुएँ, जिनमें तेरा हृदय रमा था, तुझे सब छोड़ चली गयी हैं तेरा सब विलास वैभव भी आज नहीं है। अब न कभी वे तुझे मिलेंगी।’
IRVHI
14. अब तेरे मन भावने फल तेरे पास से जाते रहे; और सुख-विलास और वैभव की वस्तुएँ तुझ से दूर हुई हैं, और वे फिर कदापि न मिलेगी।
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