HOV
35. आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
ERVHI
35. चाहे धरती और आकाश मिट जायें किन्तु मेरा वचन कभी नहीं मिटेगा।”
IRVHI
35. आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरे शब्द कभी न टलेंगी।
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