HOV
12. परन्तु बहुतेरे याजक और लेवीय और पूर्वजों के घरानों के मुख्य पुरुष, अर्थात वे बूढ़े जिन्होंने पहिला भवन देखा था, जब इस भवन की नेव उनकी आंखों के साम्हने पड़ी तब फूट फूटकर रोने लगे, और बहुतेरे आनन्द के मारे ऊंचे शब्द से जयजयकार कर रहे थे।
ERVHI
12. किन्तु बुजुर्ग याजकों में से बहुत से, लेवीवंशी और परिवार प्रमुख रो पड़े। क्यों क्योंकि उन लोगों ने प्रथम मन्दिर को देखा था, और वे यह याद कर रहे थे कि वह कितना सुन्दर था। वे रो पड़े जब उन्होंने नये मन्दिर को देखा। वे रो रहे थे जब बहुत से अन्य लोग प्रसन्न थे और शोर मचा रहे थे।
IRVHI
12. परन्तु बहुत से याजक और लेवीय और पूर्वजों के घरानों के मुख्य पुरुष, अर्थात् वे बूढ़े जिन्होंने पहला भवन देखा था, जब इस भवन की नींव उनकी आँखों के सामने पड़ी तब फूट फूटकर रोने लगे, और बहुत से आनन्द के मारे ऊँचे शब्द से जयजयकार कर रहे थे।
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