HOV
35. इसलिये चौकस रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अन्धेरा न हो जाए।
ERVHI
35. अतः यदि तुम्हारा सारा शरीर प्रकाश से परिपूर्ण है और इसका कोई भी अंग अंधकारमय नहीं है तो वह पूरी तरह ऐसे चमकेगा मानो कोई दीपक तुम पर अपनी किरणों में चमक रहा हो।”
IRVHI
35. इसलिए सावधान रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अंधेरा न हो जाए।
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