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3. तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।
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3. तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” [†तब परमेश्वर … उजियाला हो “उत्पत्ति में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी का सृजन किया। 2 जबकि पृथ्वी का कोई विशेष आकार न था, और समुद्र के ऊपर घनघोर अंधेरा छाया था और परमेश्वर का आत्मा पानी के ऊपर मण्डरा रहा था। 3 परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो!” या, “जब परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की रचना शुरू की, 2 जबकि पृथ्वी बिल्कुल खाली थी, और समुद्र पर अंधेरा छाया था, और पानी के ऊपर एक जोरदार हवा बही, 3 परमेश्वर ने कहा, ‘उजियाला होने दो।’ ”] और उजियाला हो गया।
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3. तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो*,” तो उजियाला हो गया।
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