HOV
21. इन को अपनी आंखों की ओट न होने दे; वरन अपने मन में धारण कर।
ERVHI
21. उन्हें अपनी दृष्टि से ओझल मत होने दे। अपने हृदय पर तू उन्हें धरे रह।
IRVHI
21. इनको अपनी आँखों से ओझल न होने दे; वरन् अपने मन में धारण कर।
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