HOV
21. हाय, खुराजीन; हाय, बैतसैदा; जो सामर्थ के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब के मन फिरा लेते।
ERVHI
21. अरे अभागे खुराजीन, अरे अभागे बैतसैदा [*खुराजीन, बैतसैदा, कफ़रनहूम झील गलील के किनारे बसे नगर जहाँ यीशु ने उपदेश दिये थे।] तुम में जो आश्चर्यकर्म किये गये, यदि वे सूर और सैदा में किये जाते तो वहाँ के लोग बहुत पहले से ही टाट के शोक वस्त्र ओढ़ कर और अपने शरीर पर राख मल [†राख मल उन दिनों लोग शोक व्यक्त करने के लिए इस प्रकार के मोटे कपड़े पहना करते थे, और अपने शरीर पर राख मला करते थे।] कर खेद व्यक्त करते हुए मन फिरा चुके होते।
IRVHI
21. “हाय, खुराजीन*! हाय, बैतसैदा! जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सोर और सीदोन में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब के मन फिरा लेते।
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