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उत्पत्ति 6:17
उत्पत्ति
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उत्पत्ति 6:17 (06 46 pm)
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उत्पत्ति 6:17
1
फिर
जब
मनुष्य
भूमि
के
ऊपर
बहुत
बढ़ने
लगे,
और
उनके
बेटियां
उत्पन्न
हुई,
2
तब
परमेश्वर
के
पुत्रों
ने
मनुष्य
की
पुत्रियों
को
देखा,
कि
वे
सुन्दर
हैं;
सो
उन्होंने
जिस
जिस
को
चाहा
उन
से
ब्याह
कर
लिया।
3
और
यहोवा
ने
कहा,
मेरा
आत्मा
मनुष्य
से
सदा
लों
विवाद
करता
न
रहेगा,
क्योंकि
मनुष्य
भी
शरीर
ही
है:
उसकी
आयु
एक
सौ
बीस
वर्ष
की
होगी।
4
उन
दिनों
में
पृथ्वी
पर
दानव
रहते
थे;
और
इसके
पश्चात
जब
परमेश्वर
के
पुत्र
मनुष्य
की
पुत्रियों
के
पास
गए
तब
उनके
द्वारा
जो
सन्तान
उत्पन्न
हुए,
वे
पुत्र
शूरवीर
होते
थे,
जिनकी
कीर्ति
प्राचीन
काल
से
प्रचलित
है।
5
और
यहोवा
ने
देखा,
कि
मनुष्यों
की
बुराई
पृथ्वी
पर
बढ़
गई
है,
और
उनके
मन
के
विचार
में
जो
कुछ
उत्पन्न
होता
है
सो
निरन्तर
बुरा
ही
होता
है।
6
और
यहोवा
पृथ्वी
पर
मनुष्य
को
बनाने
से
पछताया,
और
वह
मन
में
अति
खेदित
हुआ।
7
तब
यहोवा
ने
सोचा,
कि
मैं
मनुष्य
को
जिसकी
मैं
ने
सृष्टि
की
है
पृथ्वी
के
ऊपर
से
मिटा
दूंगा;
क्या
मनुष्य,
क्या
पशु,
क्या
रेंगने
वाले
जन्तु,
क्या
आकाश
के
पक्षी,
सब
को
मिटा
दूंगा
क्योंकि
मैं
उनके
बनाने
से
पछताता
हूं।
8
परन्तु
यहोवा
के
अनुग्रह
की
दृष्टि
नूह
पर
बनी
रही॥
9
नूह
की
वंशावली
यह
है।
नूह
धर्मी
पुरूष
और
अपने
समय
के
लोगों
में
खरा
था,
और
नूह
परमेश्वर
ही
के
साथ
साथ
चलता
रहा।
10
और
नूह
से,
शेम,
और
हाम,
और
येपेत
नाम,
तीन
पुत्र
उत्पन्न
हुए।
11
उस
समय
पृथ्वी
परमेश्वर
की
दृष्टि
में
बिगड़
गई
थी,
और
उपद्रव
से
भर
गई
थी।
12
और
परमेश्वर
ने
पृथ्वी
पर
जो
दृष्टि
की
तो
क्या
देखा,
कि
वह
बिगड़ी
हुई
है;
क्योंकि
सब
प्राणियों
ने
पृथ्वी
पर
अपनी
अपनी
चाल
चलन
बिगाड़
ली
थी।
13
तब
परमेश्वर
ने
नूह
से
कहा,
सब
प्राणियों
के
अन्त
करने
का
प्रश्न
मेरे
साम्हने
आ
गया
है;
क्योंकि
उनके
कारण
पृथ्वी
उपद्रव
से
भर
गई
है,
इसलिये
मैं
उन
को
पृथ्वी
समेत
नाश
कर
डालूंगा।
14
इसलिये
तू
गोपेर
वृक्ष
की
लकड़ी
का
एक
जहाज
बना
ले,
उस
में
कोठरियां
बनाना,
और
भीतर
बाहर
उस
पर
राल
लगाना।
15
और
इस
ढंग
से
उसको
बनाना:
जहाज
की
लम्बाई
तीन
सौ
हाथ,
चौड़ाई
पचास
हाथ,
और
ऊंचाई
तीस
हाथ
की
हो।
16
जहाज
में
एक
खिड़की
बनाना,
और
इसके
एक
हाथ
ऊपर
से
उसकी
छत
बनाना,
और
जहाज
की
एक
अलंग
में
एक
द्वार
रखना,
और
जहाज
में
पहिला,
दूसरा,
तीसरा
खण्ड
बनाना।
17
और
सुन,
मैं
आप
पृथ्वी
पर
जलप्रलय
करके
सब
प्राणियों
को,
जिन
में
जीवन
की
आत्मा
है,
आकाश
के
नीचे
से
नाश
करने
पर
हूं:
और
सब
जो
पृथ्वी
पर
हैं
मर
जाएंगे।
18
परन्तु
तेरे
संग
मैं
वाचा
बान्धता
हूं:
इसलिये
तू
अपने
पुत्रों,
स्त्री,
और
बहुओं
समेत
जहाज
में
प्रवेश
करना।
19
और
सब
जीवित
प्राणियों
में
से,
तू
एक
एक
जाति
के
दो
दो,
अर्थात
एक
नर
और
एक
मादा
जहाज
में
ले
जा
कर,
अपने
साथ
जीवित
रखना।
20
एक
एक
जाति
के
पक्षी,
और
एक
एक
जाति
के
पशु,
और
एक
एक
जाति
के
भूमि
पर
रेंगने
वाले,
सब
में
से
दो
दो
तेरे
पास
आएंगे,
कि
तू
उन
को
जीवित
रखे।
21
और
भांति
भांति
का
भोज्य
पदार्थ
जो
खाया
जाता
है,
उन
को
तू
ले
कर
अपने
पास
इकट्ठा
कर
रखना
सो
तेरे
और
उनके
भोजन
के
लिये
होगा।
22
परमेश्वर
की
इस
आज्ञा
के
अनुसार
नूह
ने
किया।
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