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दानिय्येल
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योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
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सपन्याह
हाग्गै
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नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
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2 शमूएल 12
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1 शमूएल
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योना
मीका
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याकूब
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2 शमूएल 12:0 (12 26 am)
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2 शमूएल 12
1
तब
यहोवा
ने
दाऊद
के
पास
नातान
को
भेजा,
और
वह
उसके
पास
जा
कर
कहने
लगा,
एक
नगर
में
दो
मनुष्य
रहते
थे,
जिन
में
से
एक
धनी
और
एक
निर्धन
था।
2
धनी
के
पास
तो
बहुत
सी
भेड़-बकरियां
और
गाय
बैल
थे;
3
परन्तु
निर्धन
के
पास
भेड़
की
एक
छोटी
बच्ची
को
छोड़
और
कुछ
भी
न
था,
और
उसको
उसने
मोल
ले
कर
जिलाया
था।
और
वह
उसके
यहां
उसके
बालबच्चों
के
साथ
ही
बढ़ी
थी;
वह
उसके
टुकड़े
में
से
खाती,
और
उसके
कटोरे
में
से
पीती,
और
उसकी
गोद
मे
सोती
थी,
और
वह
उसकी
बेटी
के
समान
थी।
4
और
धनी
के
पास
एक
बटोही
आया,
और
उसने
उस
बटोही
के
लिये,
जो
उसके
पास
आया
था,
भोजन
बनवाने
को
अपनी
भेड़-बकरियों
वा
गाय
बैलों
में
से
कुछ
न
लिया,
परन्तु
उस
निर्धन
मनुष्य
की
भेड़
की
बच्ची
ले
कर
उस
जन
के
लिये,
जो
उसके
पास
आया
था,
भोजन
बनवाया।
5
तब
दाऊद
का
कोप
उस
मनुष्य
पर
बहुत
भड़का;
और
उसने
नातान
से
कहा,
यहोवा
के
जीवन
की
शपथ,
जिस
मनुष्य
ने
ऐसा
काम
किया
वह
प्राण
दण्ड
के
योग्य
है;
6
और
उसको
वह
भेड़
की
बच्ची
का
औगुणा
भर
देना
होगा,
क्योंकि
उसने
ऐसा
काम
किया,
और
कुछ
दया
नहीं
की।
7
तब
नातान
ने
दाऊद
से
कहा,
तू
ही
वह
मनुष्य
है।
इस्राएल
का
परमेश्वर
यहोवा
यों
कहता
है,
कि
मैं
ने
तेरा
अभिशेक
कराके
तुझे
इस्राएल
का
राजा
ठहराया,
और
मैं
ने
तुझे
शाऊल
के
हाथ
से
बचाया;
8
फिर
मैं
ने
तेरे
स्वामी
का
भवन
तुझे
दिया,
और
तेरे
स्वामी
की
पत्नियां
तेरे
भोग
के
लिये
दीं;
और
मैं
ने
इस्राएल
और
यहूदा
का
घराना
तुझे
दिया
था;
और
यदि
यह
थोड़ा
था,
तो
मैं
तुझे
और
भी
बहुत
कुछ
देने
वाला
था।
9
तू
ने
यहोवा
की
आज्ञा
तुच्छ
जान
कर
क्यों
वह
काम
किया,
जो
उसकी
दृष्टि
में
बुरा
है?
हित्ती
ऊरिय्याह
को
तू
ने
तलवार
से
घात
किया,
और
उसकी
पत्नी
को
अपनी
कर
लिया
है,
और
ऊरिय्याह
को
अम्मोनियों
की
तलवार
से
मरवा
डाला
है।
10
इसलिये
अब
तलवार
तेरे
घर
से
कभी
दूर
न
होगी,
क्योंकि
तू
ने
मुझे
तुच्छ
जानकर
हित्ती
ऊरिय्याह
की
पत्नी
को
अपनी
पत्नी
कर
लिया
है।
11
यहोवा
यों
कहता
है,
कि
सुन,
मैं
तेरे
घर
में
से
विपत्ति
उठा
कर
तुझ
पर
डालूंगा;
और
तेरी
पत्नियों
को
तेरे
साम्हने
ले
कर
दूसरे
को
दूंगा,
और
वह
दिन
दुपहरी
में
तेरी
पत्नियों
से
कुकर्म
करेगा।
12
तू
ने
तो
वह
काम
छिपाकर
किया;
पर
मैं
यह
काम
सब
इस्राएलियों
के
साम्हने
दिन
दुपहरी
कराऊंगा।
13
तब
दाऊद
ने
नातान
से
कहा,
मैं
ने
यहोवा
के
विरुद्ध
पाप
किया
है।
नातान
ने
दाऊद
से
कहा,
यहोवा
ने
तेरे
पाप
को
दूर
किया
है;
तू
न
मरेगा।
14
तौभी
तू
ने
जो
इस
काम
के
द्वारा
यहोवा
के
शत्रुओं
को
तिरस्कार
करने
का
बड़ा
अवसर
दिया
है,
इस
कारण
तेरा
जो
बेटा
उत्पन्न
हुआ
है
वह
अवश्य
ही
मरेगा।
15
तब
नातान
अपने
घर
चला
गया।
और
जो
बच्चा
ऊरिय्याह
की
पत्नी
से
दाऊद
के
द्वारा
उत्पन्न
था,
वह
यहोवा
का
मारा
बहुत
रोगी
हो
गया।
16
और
दाऊद
उस
लड़के
के
लिये
परमेश्वर
से
बिनती
करने
लगा;
और
उपवास
किया,
और
भीतर
जा
कर
रात
भर
भूमि
पर
पड़ा
रहा।
17
तब
उसके
घराने
के
पुरनिये
उठ
कर
उसे
भूमि
पर
से
उठाने
के
लिये
उसके
पास
गए;
परन्तु
उसने
न
चाहा,
और
उनके
संग
रोटी
न
खाई।
18
सातवें
दिन
बच्चा
मर
गया,
और
दाऊद
के
कर्मचारी
उसको
बच्चे
के
मरने
का
समाचार
देने
से
डरे;
उन्होंने
तो
कहा
था,
कि
जब
तक
बच्चा
जीवित
रहा,
तब
तक
उसने
हमारे
समझाने
पर
मन
न
लगाया;
यदि
हम
उसको
बच्चे
के
मर
जाने
का
हाल
सुनाएं
तो
वह
बहुत
ही
अधिक
दु:खी
होगा।
19
अपने
कर्मचारियों
को
आपस
में
फुसफुसाते
देखकर
दाऊद
ने
जान
लिया
कि
बच्चा
मर
गया;
तो
दाऊद
ने
अपने
कर्मचारियों
से
पूछा,
क्या
बच्चा
मर
गया?
उन्होंने
कहा,
हां,
मर
गया
है।
20
तब
दाऊद
भूमि
पर
से
उठा,
और
नहाकर
तेल
लगाया,
और
वस्त्र
बदला;
तब
यहोवा
के
भवन
में
जा
कर
दण्डवत्
की;
फिर
अपने
भवन
में
आया;
और
उसकी
आज्ञा
पर
रोटी
उसको
परोसी
गई,
और
उसने
भोजन
किया।
21
तब
उसके
कर्मचारियों
ने
उस
से
पूछा,
तू
ने
यह
क्या
काम
किया
है?
जब
तक
बच्चा
जीवित
रहा,
तब
तक
तू
उपवास
करता
हुआ
रोता
रहा;
परन्तु
ज्योंही
बच्चा
मर
गया,
त्योंही
तू
उठ
कर
भोजन
करने
लगा।
22
उसने
उत्तर
दिया,
कि
जब
तक
बच्चा
जीवित
रहा
तब
तक
तो
मैं
यह
सोचकर
उपवास
करता
और
रोता
रहा,
कि
क्या
जाने
यहोवा
मुझ
पर
ऐसा
अनुग्रह
करे
कि
बच्चा
जीवित
रहे।
23
परन्तु
अब
वह
मर
गया,
फिर
मैं
उपवास
क्यों
करूं?
क्या
मैं
उसे
लौटा
ला
सकता
हूं?
मैं
तो
उसके
पास
जाऊंगा,
परन्तु
वह
मेरे
पास
लौट
न
आएगा।
24
तब
दाऊद
ने
अपनी
पत्नी
बतशेबा
को
शान्ति
दी,
और
वह
उसके
पास
गया;
और
असके
एक
पुत्र
उत्पन्न
हुआ,
और
उसने
उसका
नाम
सुलैमान
रखा।
और
वह
यहोवा
का
प्रिय
हुआ।
25
और
उसने
नातान
भविष्यद्वक्ता
के
द्वारा
सन्देश
भेज
दिया;
और
उसने
यहोवा
के
कारण
उसका
नाम
यदीद्याह
रखा।
26
और
योआब
ने
अम्मोनियों
के
रब्बा
नगर
से
लड़कर
राजनगर
को
ले
लिया।
27
तब
योआब
ने
दूतों
से
दाऊद
के
पास
यह
कहला
भेजा,
कि
मैं
रब्बा
से
लड़ा
और
जल
वाले
नगर
को
ले
लिया
है।
28
सो
अब
रहे
हुए
लोगों
को
इकट्ठा
करके
नगर
के
विरुद्ध
छावनी
डालकर
उसे
भी
ले
ले;
ऐसा
न
हो
कि
मैं
उसे
ले
लूं,
और
वह
मेरे
नाम
पर
कहलाए।
29
तब
दाऊद
सब
लोगों
को
इकट्ठा
करके
रब्बा
को
गया,
और
उस
से
युद्ध
करके
उसे
ले
लिया।
30
तब
उसने
उनके
राजा
का
मुकुट,
जो
तौल
में
किक्कार
भर
सोने
का
था,
और
उस
में
मणि
जड़े
थे,
उसको
उसके
सिर
पर
से
उतारा,
और
वह
दाऊद
के
सिर
पर
रखा
गया।
फिर
उसने
उस
नगर
की
बहुत
ही
लूट
पाई।
31
और
उसने
उसके
रहने
वालों
को
निकाल
कर
आरों
से
दो
दो
टुकड़े
कराया,
और
लोहे
के
हेंगे
उन
पर
फिरवाए,
और
लोहे
की
कुल्हाडिय़ों
से
उन्हें
कटवाया,
और
ईट
के
पजावे
में
से
चलवाया;
और
अम्मोनियों
के
सब
नगरों
से
भी
उसने
ऐसा
ही
किया।
तब
दाऊद
समस्त
लोगों
समेत
यरूशलेम
को
लौट
आया।
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