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हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
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2 थिस्सलुनीकियों
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तीतुस
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2 शमूएल 16
उत्पत्ति
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यहोशू
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1 शमूएल
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2 शमूएल 16:0 (12 23 am)
हमारे बारे में
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2 शमूएल 16
1
दाऊद
चोटी
पर
से
थोड़ी
दूर
बढ़
गया
था,
कि
मपीबोशेत
का
कर्मचारी
सीबा
एक
जोड़ी,
जीन
बान्धे
हुए
गदहों
पर
दो
सौ
रोटी,
किशमिश
की
एक
सौ
टिकिया,
धूपकाल
के
फल
की
एक
सौ
टिकिया,
और
कुप्पी
भर
दाखमधु,
लादे
हुए
उस
से
आ
मिला।
2
राजा
ने
सीबा
से
पूछा,
इन
से
तेरा
क्या
प्रयोजन
है?
सीबा
ने
कहा,
गदहे
तो
राजा
के
घराने
की
सवारी
के
लिये
हैं,
और
रोटी
और
धूपकाल
के
फल
जवानों
के
खाने
के
लिये
हैं,
और
दाखमधु
इसलिये
है
कि
जो
कोई
जंगल
में
थक
जाए
वह
उसे
पीए।
3
राजा
ने
पूछा,
फिर
तेरे
स्वामी
का
बेटा
कहां
है?
सीबा
ने
राजा
से
कहा,
वह
तो
यह
कहकर
यरूशलेम
में
रह
गया,
कि
अब
इस्राएल
का
घराना
मुझे
मेरे
पिता
का
राज्य
फेर
देगा।
4
राजा
ने
सीबा
से
कहा,
जो
कुछ
मपीबोशेत
का
था
वह
सब
तुझे
मिल
गया।
सीबा
ने
कहा,
प्रणाम;
हे
मेरे
प्रभु,
हे
राजा,
मुझ
पर
तेरे
अनुग्रह
की
दृष्टि
बनी
रहे।
5
जब
दाऊद
राजा
बहूरीम
तक
पहुंचा,
तब
शाऊल
का
एक
कुटुम्बी
वहां
से
निकला,
वह
गेरा
का
पुत्र
शिमी
नाम
का
था;
और
वह
कोसता
हुआ
चला
आया।
6
और
दाऊद
पर,
और
दाऊद
राजा
के
सब
कर्मचारियों
पर
पत्थर
फेंकने
लगा;
और
शूरवीरों
समेत
सब
लोग
उसकी
दाहिनी
बाई
दोनों
ओर
थे।
7
और
शिमी
कोसता
हुआ
यों
बकता
गया,
कि
दूर
हो
खूनी,
दूर
हो
ओछे,
निकल
जा,
निकल
जा!
8
यहोवा
ने
तुझ
से
शाऊल
के
घराने
के
खून
का
पूरा
पलटा
लिया
है,
जिसके
स्थान
पर
तू
राजा
बना
है;
यहोवा
ने
राज्य
को
तेरे
पुत्र
अबशालोम
के
हाथ
कर
दिया
है।
और
इसलिये
कि
तू
खूनी
है,
तू
अपनी
बुराई
में
आप
फंस
गया।
9
तब
सरूयाह
के
पुत्र
अबीशै
ने
राजा
से
कहा,
यह
मरा
हुआ
कुत्ता
मेरे
प्रभु
राजा
को
क्यों
शाप
देने
पाए?
मुझे
उधर
जा
कर
उसका
सिर
काटने
दे।
10
राजा
ने
कहा,
सरूयाह
के
बेटो,
मुझे
तुम
से
क्या
काम?
वह
जो
कोसता
है,
और
यहोवा
ने
जो
उस
से
कहा
है,
कि
दाऊद
को
शाप
दे,
तो
उस
से
कौन
पूछ
सकता,
कि
तू
ने
ऐसा
क्यों
किया?
11
फिर
दाऊद
ने
अबीशै
और
अपने
सब
कर्मचारियों
से
कहा,
जब
मेरा
निज
पुत्र
भी
मेरे
प्राण
का
खोजी
है,
तो
यह
बिन्यामीनी
अब
ऐसा
क्यों
न
करें?
उसको
रहने
दो,
और
शाप
देने
दो;
क्योंकि
यहोवा
ने
उस
से
कहा
है।
12
कदाचित
यहोवा
इस
उपद्रव
पर,
जो
मुझ
पर
हो
रहा
है,
दृष्टि
करके
आज
के
शाप
की
सन्ती
मुझे
भला
बदला
दे।
13
तब
दाऊद
अपने
जनों
समेत
अपना
मार्ग
चला
गया,
और
शिमी
उसके
साम्हने
के
पहाड़
की
अलंग
पर
से
शाप
देता,
और
उस
पर
पत्थर
और
धूलि
फेंकता
हुआ
चला
गया।
14
निदान
राजा
अपने
संग
के
सब
लोगों
समेत
अपने
ठिकाने
पर
थका
हुआ
पहुंचा;
और
वहां
विश्राम
किया।
15
अबशालोम
सब
इस्राएली
लोगों
समेत
यरूशलेम
को
आया,
और
उसके
संग
अहीतोपेल
भी
आया।
16
जब
दाऊद
का
मित्र
एरेकी
हूशै
अबशालोम
के
पास
पहुंचा,
तब
हूशै
ने
अबशालोम
से
कहा,
राजा
चिरंजीव
रहे!
राजा
चिरंजीव
रहे!
17
अबशालोम
ने
उस
से
कहा,
क्या
यह
तेरी
प्रीति
है
जो
तू
अपने
मित्र
से
रखता
है?
तू
अपने
मित्र
के
संग
क्यों
नहीं
गया?
18
हूशै
ने
अबशालोम
से
कहा,
ऐसा
नहीं;
जिस
को
यहोवा
और
वे
लोग,
क्या
वरन
सब
इस्राएली
लोग
चाहें,
उसी
का
मैं
हूं,
और
उसी
के
संग
मैं
रहूंगा।
19
और
फिर
मैं
किसकी
सेवा
करूं?
क्या
उसके
पुत्र
के
साम्हने
रहकर
सेवा
न
करूं?
जैसा
मैं
तेरे
पिता
के
साम्हने
रहकर
सेवा
करता
था,
वैसा
ही
तेरे
साम्हने
रहकर
सेवा
करूंगा।
20
तब
अबशालोम
ने
अहीतोपेल
से
कहा,
तुम
लोग
अपनी
सम्मति
दो,
कि
क्या
करना
चाहिये?
21
अहीतोपेल
ने
अबशालोम
से
कहा,
जिन
रखेलियों
को
तेरा
पिता
भवन
की
चौकसी
करने
को
छोड़
गया,
उनके
पास
तू
जा;
और
जब
सब
इस्राएली
यह
सुनेंगे,
कि
अबशालोम
का
पिता
उस
से
घिन
करता
है,
तब
तेरे
सब
संगी
हियाव
बान्धेंगे।
22
सो
उसके
लिये
भवन
की
छत
के
ऊपर
एक
तम्बू
खड़ा
किया
गया,
और
अबशालोम
समस्त
इस्राएल
के
देखते
अपने
पिता
की
रखेलियों
के
पास
गया।
23
उन
दिनों
जो
सम्मति
अहीतोपेल
देता
था,
वह
ऐसी
होती
थी
कि
मानो
कोई
परमेश्वर
का
वचन
पूछ
लेता
हो;
अहीतोपेल
चाहे
दाऊद
को
चाहे
अबशलोम
को,
जो
जो
सम्मति
देता
वह
ऐसी
ही
होती
थी।
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