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आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
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2 इतिहास 32:12
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2 इतिहास 32:12 (07 24 am)
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2 इतिहास 32:12
1
इन
बातों
और
ऐसे
प्रबन्ध
के
बाद
अश्शूर
का
राजा
सन्हेरीब
ने
आकर
यहूदा
में
प्रवेश
कर
ओर
गढ़
वाले
नगरों
के
विरुद्ध
डेरे
डाल
कर
उन
को
अपने
लाभ
के
लिये
लेना
चाहा।
2
यह
देख
कर
कि
सन्हेरीब
निकट
आया
है
और
यरूशलेम
से
लड़ने
की
मनसा
करता
है,
3
हिजकिय्याह
ने
अपने
हाकिमों
और
वीरों
के
साथ
यह
सम्मति
की,
कि
नगर
के
बाहर
के
सोतों
को
पठवा
दें;
और
उन्होंने
उसकी
सहायता
की।
4
इस
पर
बहुत
से
लोग
इकट्ठे
हुए,
और
यह
कह
कर,
कि
अश्शूर
के
राजा
क्यों
यहां
आएं,
और
आ
कर
बहुत
पानी
पाएं,
उन्होंने
सब
सोतों
को
पाट
दिया
और
उस
नदी
को
सुखा
दिया
जो
देश
के
मध्य
हो
कर
बहती
थी।
5
फिर
हिजकिय्याह
ने
हियाव
बान्ध
कर
शहरपनाह
जहां
कहीं
टूटी
थी,
वहां
वहां
उसको
बनवाया,
और
उसे
गुम्मटों
के
बराबर
ऊंचा
किया
और
बाहर
एक
और
शहरपनाह
बनवाई,
और
दाऊदपुर
में
मिल्लो
को
दृढ़
किया।
और
बहुत
से
तीर
और
ढालें
भी
बनवाई।
6
तब
उसने
प्रजा
के
ऊपर
सेनापति
नियुक्त
किए
और
उन
को
नगर
के
फाटक
के
चौक
में
इकट्ठा
किया,
और
यह
कह
कर
उन
को
धीरज
दिया,
7
कि
हियाव
बान्धो
और
दृढ
हो
तुम
न
तो
अश्शूर
के
राजा
से
डरो
और
न
उसके
संग
की
सारी
भीड़
से,
और
न
तुम्हारा
मन
कच्चा
हो;
क्योंकि
जो
हमारे
साथ
है,
वह
उसके
संगियों
से
बड़ा
है।
8
अर्थात
उसका
सहारा
तो
मनुष्य
ही
है
परन्तु
हमारे
साथ,
हमारी
सहायता
और
हमारी
ओर
से
युद्ध
करने
को
हमारा
परमेश्वर
यहोवा
है।
इसलिये
प्रजा
के
लोग
यहूदा
के
राजा
हिजकिय्याह
की
बातों
पर
भरोसा
किए
रहे।
9
इसके
बाद
अश्शूर
का
राजा
सन्हेरीब
जो
सारी
सेना
समेत
लाकीश
के
साम्हने
पड़ा
था,
उसने
अपने
कर्मचारियों
को
यरूशलेम
में
यहूदा
के
राजा
हिजकिय्याह
और
उन
सब
यहूदियों
से
जो
यरूशलेम
में
थे
यों
कहने
के
लिये
भेजा,
10
कि
अश्शूर
का
राजा
सन्हेरीब
कहता
है,
कि
तुम्हें
किस
का
भरोसा
है
जिससे
कि
तुम
घेरे
हुए
यरूशलेम
में
बैठे
हो?
11
क्या
हिजकिय्याह
तुम
से
यह
कहकर
कि
हमारा
परमेश्वर
यहोवा
हम
को
अश्शूर
के
राजा
के
पंजे
से
बचाएगा
तुम्हें
नहीं
भरमाता
है
कि
तुम
को
भूखों
प्यासों
मारे?
12
क्या
उसी
हिजकिय्याह
ने
उसके
ऊंचे
स्थान
और
वेदियां
दूर
कर
के
यहूदा
और
यरूशलेम
को
आज्ञा
नहीं
दी,
कि
तुम
एक
ही
वेदी
के
साम्हने
दण्डवत
करना
और
उसी
पर
धूप
जलाना?
13
क्या
तुम
को
मालूम
नहीं,
कि
मैं
ने
और
मेरे
पुरखाओं
ने
देश
देश
के
सब
लोगों
से
क्या
क्या
किया
है?
क्या
उन
देशें
की
जातियों
के
देवता
किसी
भी
उपाय
से
अपने
देश
को
मेरे
हाथ
से
बचा
सके?
14
जितनी
जातियों
का
मेरे
पुरखाओं
ने
सत्यानाश
किया
है
उनके
सब
देवताओं
में
से
ऐसा
कौन
था
जो
अपनी
प्रजा
को
मेरे
हाथ
से
बचा
सका
हो?
फिर
तुम्हारा
देवता
तुम
को
मेरे
हाथ
से
कैसे
बचा
सकेगा?
15
अब
हिजकिय्याह
तुम
को
इस
रीति
भुलाने
अथवा
बहकाने
न
पाए,
और
तुम
उसकी
प्रतीति
न
करो,
क्योंकि
किसी
जाति
था
राज्य
का
कोई
देवता
अपनी
प्रजा
को
न
तो
मेरे
हाथ
से
और
न
मेरे
पुरखाओं
के
हाथ
से
बचा
सका।
यह
निश्चय
है
कि
तुम्हारा
देवता
तुम
को
मेरे
हाथ
से
नहीं
बचा
सकेगा।
16
इस
से
भी
अधिक
उसके
कर्मचारियों
ने
यहोवा
परमेश्वर
की,
और
उसके
दास
हिजकिय्याह
की
निन्दा
की।
17
फिर
उसने
ऐसा
एक
पत्र
भेजा,
जिस
में
इस्राएल
के
परमेश्वर
यहोवा
की
निन्दा
की
थे
बातें
लिखी
थीं,
कि
जैसे
देश
देश
की
जातियों
के
देवताओं
ने
अपनी
अपनी
प्रजा
को
मेरे
हाथ
से
नहीं
बचाया
वैसे
ही
हिजकिय्याह
का
देवता
भी
अपनी
प्रजा
को
मेरे
हाथ
से
नहीं
बचा
सकेगा।
18
और
उन्होंने
ऊंचे
शब्द
से
उन
यरूशलेमियों
को
जो
शहरपनाह
पर
बैठे
थे,
यहूदी
बोली
में
पुकारा,
कि
उन
को
डरा
कर
घबराहट
में
डाल
दें
जिस
से
नगर
को
ले
लें।
19
और
उन्होंने
यरूशलेम
के
परमेश्वर
की
ऐसी
चर्चा
की,
कि
मानो
पृथ्वी
के
देश
देश
के
लोगों
के
देवताओं
के
बराबर
हो,
जो
मनुष्यों
के
बनाए
हुए
हैं।
20
तब
इन
घटनाओं
के
कारण
राजा
हिजकिय्याह
और
आमोस
के
पुत्र
यशायाह
नबी
दोनों
ने
प्रार्थना
की
और
स्वर्ग
की
ओर
दोहाई
दी।
21
तब
यहोवा
ने
एक
दूत
भेज
दिया,
जिसने
अश्शूर
के
राजा
की
छावनी
में
सब
शूरवीरों,
प्रधानों
और
सेनापतियों
को
नाश
किया।
और
वह
लज्जित
हो
कर,
अपने
देश
को
लौट
गया।
और
जब
वह
अपने
देवता
के
भवन
में
था,
तब
उसके
निज
पुत्रों
ने
वहीं
उसे
तलवार
से
मार
डाला।
22
यों
यहोवा
ने
हिजकिय्याह
और
यरूशलेम
के
निवासियों
अश्शूर
के
राजा
सन्हेरीब
और
अपने
सब
शत्रुओं
के
हाथ
से
बचाया,
और
चारों
ओर
उनकी
अगुवाई
की।
23
और
बहुत
लोग
यरूशलेम
को
यहोवा
के
लिये
भेंट
और
यहूदा
के
राजा
हिजकिय्याह
के
लिये
अनमोल
वस्तुएं
ले
आने
लगे,
और
उस
समय
से
वह
सब
जातियों
की
दृष्टि
में
महान
ठहरा।
24
उन
दिनों
हिजकिय्याह
ऐसा
रोगी
हुआ,
कि
वह
मरा
चाहता
था,
तब
उसने
यहोवा
से
प्रार्थना
की;
और
उसने
उस
से
बातें
कर
के
उसके
लिये
एक
चमत्कार
दिखाया।
25
परन्तु
हिजकिय्याह
ने
उस
उपकार
का
बदला
न
दिया,
क्योंकि
उसका
मन
फूल
उठा
था।
इस
कारण
उसका
कोप
उस
पर
और
यहूदा
और
यरूशलेम
पर
भड़का।
26
तब
हिजकिय्याह
यरूशलेम
के
निवासियों
समेत
अपने
मन
के
फूलने
के
कारण
दीन
हो
गया,
इसलिये
यहोवा
का
क्रोध
उन
पर
हिजकिय्याह
के
दिनों
में
न
भड़का।
27
और
हिजकिय्याह
को
बहुत
ही
धन
और
वैभव
मिला;
और
उसने
चान्दी,
सोने,
मणियों,
सुगन्धद्रव्य,
ढालों
और
सब
प्रकार
के
मनभावने
पात्रों
के
लिये
भणडार
बनवाए।
28
फिर
उसने
अन्न,
नया
दाखमधु,
और
टटका
तेल
के
लिये
भणडार,
और
सब
भांति
के
पशुओं
के
लिये
थान,
और
भेड़-बकरियों
के
लिये
भेड़शालाएं
बनवाई।
29
और
उसने
नगर
बसाए,
और
बहुत
ही
भेड़-बकरियों
और
गाय-बैलों
की
सम्पत्ति
इकट्ठा
कर
ली,
क्योंकि
परमेश्वर
ने
उसे
बहुत
ही
धन
दिया
था।
30
उसी
हिजकिय्याह
ने
गीहोन
नाम
नदी
के
ऊपर
के
सोते
को
पाट
कर
उस
नदी
को
नीचे
की
ओर
दाऊदपुर
की
पच्छिम
अलंग
को
सीधा
पहुंचाया,
और
हिजकिय्याह
अपने
सब
कामों
में
कृतार्थ
होता
था।
31
तौभी
जब
बाबेल
के
हाकिमों
ने
उसके
पास
उसके
देश
में
किए
हुए
चमत्कार
के
विषय
पूछने
को
दूत
भेजे
तब
परमेश्वर
ने
उसको
इसलिये
छोड़
दिया,
कि
उसको
परख
कर
उसके
मन
का
सारा
भेद
जान
ले।
32
हिजकिय्याह
के
और
काम,
ओर
उसके
भक्ति
के
काम
आमोस
के
पुत्र
यशायाह
नबी
के
दर्शन
नाम
पुस्तक
में,
और
यहूदा
और
इस्राएल
के
राजाओं
के
इतिहास
की
पुस्तक
में
लिखे
हैं।
33
अन्त
में
हिजकिय्याह
अपने
पुरखाओं
के
संग
सो
गया
और
उसको
दाऊद
की
सन्तान
के
कब्रिस्तान
की
चढ़ाई
पर
मिट्टी
दी
गई,
और
सब
यहूदियों
और
यरूशलेम
के
निवासियों
ने
उसकी
मृत्यु
पर
उसका
आदरमान
किया।
और
उसका
पुत्र
मनश्शे
उसके
स्थान
पर
राज्य
करने
लगा।
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