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अय्यूब 20:1
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1 शमूएल
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अय्यूब 20:1 (01 38 am)
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अय्यूब 20:1
1
तब
नामाती
सोपर
ने
कहा,
2
मेरा
जी
चाहता
है
कि
उत्तर
दूं,
और
इसलिये
बोलने
में
फुतीं
करता
हूँ।
3
मैं
ने
ऐसी
चितौनी
सुनी
जिस
से
मेरी
निन्दा
हुई,
और
मेरी
आत्मा
अपनी
समझ
के
अनुसार
तुझे
उत्तर
देती
है।
4
क्या
तू
यह
नियम
नहीं
जानता
जो
प्राचीन
और
उस
समय
का
है,
जब
मनुष्य
पृथ्वी
पर
बसाया
गया,
5
कि
दुष्टों
का
ताली
बजाना
जल्दी
बन्द
हो
जाता
और
भक्तिहीनों
का
आनन्द
पल
भर
का
होता
है?
6
चाहे
ऐसे
मनुष्य
का
माहात्म्य
आकाश
तक
पहुंच
जाए,
और
उसका
सिर
बादलों
तक
पहुंचे,
7
तौभी
वह
अपनी
विष्ठा
की
नाईं
सदा
के
लिये
नाश
हो
जाएगा;
और
जो
उसको
देखते
थे
वे
पूछेंगे
कि
वह
कहां
रहा?
8
वह
स्वप्न
की
नाईं
लोप
हो
जाएगा
और
किसी
को
फिर
न
मिलेगा;
रात
में
देखे
हुए
रूप
की
नाईं
वह
रहने
न
पाएगा।
9
जिसने
उसको
देखा
हो
फिर
उसे
न
देखेगा,
और
अपने
स्थान
पर
उसका
कुछ
पता
न
रहेगा।
10
उसके
लड़के-बाले
कंगालों
से
भी
बिनती
करेंगे,
और
वह
अपना
छीना
हुआ
माल
फेर
देगा।
11
उसकी
हड्डियों
में
जवानी
का
बल
भरा
हुआ
है
परन्तु
वह
उसी
के
साथ
मिट्टी
में
मिल
जाएगा।
12
चाहे
बुराई
उसको
मीठी
लगे,
और
वह
उसे
अपनी
जीभ
के
नीचे
छिपा
रखे,
13
और
वह
उसे
बचा
रखे
और
न
छोड़े,
वरन
उसे
अपने
तालू
के
बीच
दबा
रखे,
14
तौभी
उसका
भोजन
उसके
पेट
में
पलटेगा,
वह
उसके
अन्दर
नाग
का
सा
विष
बन
जाएगा।
15
उसने
जो
धन
निगल
लिया
है
उसे
वह
फिर
उगल
देगा;
ईश्वर
उसे
उसके
पेट
में
से
निकाल
देगा।
16
वह
नागों
का
विष
चूस
लेगा,
वह
करैत
के
डसने
से
मर
जाएगा।
17
वह
नदियों
अर्थात
मधु
और
दही
की
नदियों
को
देखने
न
पाएगा।
18
जिसके
लिये
उसने
परिश्रम
किया,
उसको
उसे
लौटा
देना
पड़ेगा,
और
वह
उसे
निगलने
न
पाएगा;
उसकी
मोल
ली
हुई
वस्तुओं
से
जितना
आनन्द
होना
चाहिये,
उतना
तो
उसे
न
मिलेगा।
19
क्योंकि
उसने
कंगालों
को
पीस
कर
छोड़
दिया,
उसने
घर
को
छीन
लिया,
उसको
वह
बढ़ाने
न
पाएगा।
20
लालसा
के
मारे
उसको
कभी
शान्ति
नहीं
मिलती
थी,
इसलिये
वह
अपनी
कोई
मनभावनी
वस्तु
बचा
न
सकेगा।
21
कोई
वस्तु
उसका
कौर
बिना
हुए
न
बचती
थी;
इसलिये
उसका
कुशल
बना
न
रहेगा
22
पूरी
सम्पत्ति
रहते
भी
वह
सकेती
में
पड़ेगा;
तब
सब
दु:खियों
के
हाथ
उस
पर
उठेंगे।
23
ऐसा
होगा,
कि
उसका
पेट
भरने
के
लिये
ईश्वर
अपना
क्रोध
उस
पर
भड़काएगा,
और
रोटी
खाने
के
समय
वह
उस
पर
पड़ेगा।
24
वह
लोहे
के
हथियार
से
भागेगा,
और
पीतल
के
धनुष
से
मारा
जाएगा।
25
वह
उस
तीर
को
खींच
कर
अपने
पेट
से
निकालेगा,
उसकी
चमकीली
नोंक
उसके
पित्ते
से
हो
कर
निकलेगी,
भय
उस
में
समाएगा।
26
उसके
गड़े
हुए
धन
पर
घोर
अन्धकार
छा
जाएगा।
वह
ऐसी
आग
से
भस्म
होगा,
जो
मनुष्य
की
फूंकी
हुई
न
हो;
और
उसी
से
उसके
डेरे
में
जो
बचा
हो
वह
भी
भस्म
हो
जाएगा।
27
आकाश
उसका
अधर्म
प्रगट
करेगा,
और
पृथ्वी
उसके
विरुद्ध
खड़ी
होगी।
28
उसके
घर
की
बढ़ती
जाती
रहेगी,
वह
उसके
क्रोध
के
दिन
बह
जाएगी।
29
परमेश्वर
की
ओर
से
दुष्ट
मनुष्य
का
अंश,
और
उसके
लिये
ईश्वर
का
ठहराया
हुआ
भाग
यही
है।
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